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Rourkela News: एनआइटी के शोधार्थियों ने एमसीवीडी मॉडल और एलएफबीएफपीएन टूल विकसित किया, जटिल ट्रैफिक समस्या के समाधान में होगा सहायक

Rourkela News: एनआइटी राउरकेला के शोधार्थियों ने ट्रैफिक समस्या के समाधान को एमसीवीडी मॉडल और एलएफबीएफपीएन टूल विकसित किया है.

Rourkela News: बढ़ती ट्रैफिक की समस्या और चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी), राउरकेला के शोधकर्ताओं ने एक मल्टी-क्लास व्हीकल डिटेक्शन (एमसीवीडी) मॉडल और लाइट फ्यूजन बाय-डायरेक्शनल फीचर पिरामिड नेटवर्क (एलएफबीएफपीएन) टूल विकसित किया है, इसका उद्देश्य विकासशील देशों में ट्रैफिक प्रबंधन में सुधार करना है. एनआइटी राउरकेला के इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर संतोष कुमार दास के मार्गदर्शन में शोध टीम ने एक इंटेलिजेंट व्हीकल डिटेक्शन (आइवीडी) सिस्टम का उपयोग किया है, जो कंप्यूटर विजन की मदद से इमेज और वीडियो द्वारा वाहनों की पहचान करने में सक्षम है.

एआइ से लैस तकनीकी वाहनों की पहचान करने में कारगर

इस प्रणाली से रियल-टाइम ट्रैफिक डेटा एकत्रित कर ट्रैफिक के प्रवाह को संगठित करने, ट्रैफिक नियंत्रण और भावी सड़क नियोजन में सहायता मिलेगी. इस शोध के निष्कर्ष बतौर शोधपत्र प्रतिष्ठित जर्नल आइइइइ ट्रांजेक्शन्स ऑन इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम में प्रकाशित किये गये हैं, जिसे डॉ संतोष कुमार दास ने अपने शोधार्थियों प्रशांत देशमुख, कृष्ण चैतन्य रायसम, विभाग के प्रो उपेंद्र कुमार साहू और आइआइएससी बेंगलुरु के प्रो सुधन मांझी के साथ लिखा है. आइवीडी सिस्टम विकसित देशों में अच्छा काम करते हैं, क्योंकि वहां ट्रैफिक सुनियोजित हैं. लेकिन विकासशील देशों में चूंकि मिक्स्ड ट्रैफिक है, इसलिए कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं. भारत जैसे देशों में कारों और ट्रकों से लेकर साइकिल, रिक्शा, पशु-गाड़ियों और तमाम वाहनों के साथ-साथ पैदल यात्री भी एक दूसरे के नजदीक से गुजरते हैं. इस वजह से वाहनों की सटीक पहचान करना कठिन होता है.

वीडियो-आधारित सिस्टम से खासकर भारत में काफी उम्मीदें

आइवीडी के आम सिस्टम में रेडार और लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (एलआइडीएआर) जैसे सेंसर सिस्टम होते हैं, जो नियंत्रित परिस्थिति में तो कारगर हैं, लेकिन धूल या बारिश जैसी प्रतिकूल स्थितियों में चुनौतियों से घिर जाते हैं. इतना ही नहीं यह सिस्टम महंगा भी पड़ता है. हालांकि वीडियो-आधारित सिस्टम से खासकर भारत में काफी उम्मीदें हैं, लेकिन वीडियो प्रोसेसिंग की आम तकनीक ट्रैफिक की रफ्तार में सही काम नहीं करती है और इसके लिए काफी कम्प्यूटेशनल पावर की जरूरत है. डीप लर्निंग (डीएल) मॉडल एक तरह का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) है, इसलिए मौजूदा डेटा से सीख कर वीडियो फीड में वाहनों की पहचान करने में अधिक कारगर है. ये मॉडल कन्वोल्यूशनल न्यूरल नेटवर्क (सीएनएन) की मदद से ट्रैफिक इमेज की पहचान और उनका विश्लेषण करते हैं. हालांकि वाहनों के आकार और एंगल अलग-अलग होने की वजह से ये अक्सर वाहनों की सटीक पहचान करने में नाकाम होते हैं. यह चुनौती खास कर जब अधिक और मिक्स्ड ट्रैफिक होने से बढ़ जाती है. ऐसी जटिल स्थितियों के लिए डिजाइन किये गये लेबल्ड डेटासेट की भी कमी है.

आइवीडी सिस्टम की चुनौतियों का सामना करने को नया एमसीवीडी मॉडल

प्रो संतोष कुमार दास और उनकी टीम ने इन चुनौतियों के समाधान के लिए एक नया एमसीवीडी मॉडल बनाया, जो वीडियो डिइंटरलेसिंग नेटवर्क (वीडीनेट) की मदद से ट्रैफिक इमेज के मुख्य फीचर्स हासिल करने में सक्षम है, चाहे वाहन के साइज और शेप में अंतर हो. इस तरह हासिल विवरणों को अधिक स्पष्ट दिखाने के लिए उन्होंने एक विशेषज्ञतापूर्ण लाइट फ्यूजन द्वि-दिशात्मक फीचर पिरामिड नेटवर्क (एलएफबीएफएन) भी तैयार किया. एनआइटी राउरकेला में इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग विभाग के निदेशक प्रो संतोष कुमार दास (एसोसिएट प्रोफेसर) ने मॉडल के पीछे के इनोवेशन के बारे में बताया कि एलएफबीएफपीएन इसलिए यूनिक है क्योंकि यह एक सरल विधि अपना कर इस मॉडल की जटिलता कम करता है और इसकी एक्युरेसी में भी कमी नहीं आने देता है. इसके बाद यह सिस्टम एक अन्य टूल-मॉडिफाइड व्हीकल डिटेक्शन हेड (एमवीडीएच) के माध्यम से विवरणों को प्रोसेस करता है. इससे हर तरह के ट्रैफिक में वाहनों की सटीक पहचान और उनका वर्गीकरण करना आसान होता है. एमसीवीडी मॉडल मौजूदा पद्धतियों की तुलना में अधिक सटीक परिणाम देता है. रिसर्च टीम ने इस मॉडल का परीक्षण हेटेरोजेनियस ट्रैफिक लेबल्ड डेटासेट (एचटीएलडी) पर किया, जिसके तहत पूरे भारत के कई शहरों के डेटा लिये गये और अब यह सार्वजनिक उपयोग के लिए उपलब्ध है. इस मॉडल के रियल-टाइम परफॉर्मेंस का आकलन एनवीडिया जेटसन टीएक्स-2 पर किया गया, जो एक अत्याधुनिक कंप्यूटिंग डिवाइस है. इस परीक्षण में यह देखा गया कि खराब मौसम और कम-रिजॉल्यूशन वाली इमेज मिलने के बावजूद स्पीड और एक्युरेसी बनी रही.

सड़क पर भीड़ कम करने, सुरक्षा बढ़ाने में होगी सहायक : प्रो दास

शोध के लाभ बताते हुए प्रो दास ने कहा कि एमसीवीडी मॉडल विकासशील देशों के पुराने मॉडलों की सीमाओं से आगे बढ़ कर और मिक्स्ड ट्रैफिक की चुनौतियों का समाधान कर रियल-टाइम में वाहनों की सटीक पहचान करने का स्केलेबल विकल्प है. इसका लाभ लेकर हम बेहतर ट्रैफिक सिस्टम बनाने, सड़कों पर भीड़ कम करने और सड़क सुरक्षा बढ़ाने में सफल हो सकते हैं. रिसर्च टीम इस आइडिया पर काम जारी रखते हुए बेहतर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम बनाने और एक स्टार्ट-अप के माध्यम से इसे बाजार तक पहुंचाने की योजना भी बना रहा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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