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Rourkela News: किसानों से 3100 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत पर धान खरीदेगी ओडिशा सरकार

Rourkela News: ओडिशा में भाजपा की डबल इंजन सरकार इस बार किसानों से 3100 रुपये प्रति क्विंटल पर धान खरीदने जा रही है. इसका लाभ लेने के लिए दलाल भी सक्रिय हो गये हैं.

Rourkela News: भाजपा की डबल इंजन सरकार इस बार किसानों से 3100 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान खरीदने जा रही है. राज्य सरकार की ओर से केंद्र द्वारा निर्धारित एमएसपी से प्रति क्विंटल 800 रुपये अधिक का भुगतान किया जायेगा. जिस कारण इसका लाभ लेने के लिए दलाल भी सक्रिय हो गये हैं. जानकारी के अनुसार, पड़ोसी राज्य झारखंड में धान की कीमत प्रति क्विंटल ओडिशा से कम है. इसलिए दलालों और मिल मालिकों ने वहां से बड़ी मात्रा में धान खरीदकर अपने गोदामों में जमा कर लिया है. साथ ही वे किसानों के साथ मिलकर लैंपस में धान बेचकर मुनाफा कमाने की फिराक में हैं. विदित हो कि हर साल दलाल और मिल मालिक पड़ोसी राज्यों से सैकड़ों क्विंटल धान स्थानीय किसानों के जरिये बेचते हैं. दलाल और मिल मालिक प्रति क्विंटल के हिसाब से कमीशन देकर किसानों से टोकन ले लेते हैं, ताकि वे लैंपस में अनाज बेचने के लिए उस टोकन का उपयोग कर सकें. वैसे विगत दिनों में लैंपस द्वारा गठित इन्फोर्समेंट टीम ने विभिन्न दलालों और मिलों के गोदामों पर छापेमारी कर सैकड़ों क्विंटल अनाज जब्त किया था. लेकिन इस पर अंकुश नहीं लग पाया था. जिससे लैंपस में वर्षों से चली आ रही अनियमितता को राज्य की नयी सरकार कितना रोक पायेगी, यह कहना मुश्किल है.

23 लाख क्विंटल धान खरीदने का लक्ष्य

इस वर्ष जिले में 135 मंडियों के माध्यम से कुल 23 लाख क्विंटल धान खरीदने का लक्ष्य है. अब तक जिले के 44 लैंपस में कुल 54 हजार 410 किसानों का पंजीकरण हो चुका है. पिछले साल जिले में पंजीकृत किसानों की संख्या 53 लाख 740 थी, जबकि इस बार इसमें बढ़ोतरी हुई है. जिला स्तरीय धान संग्रह समिति के निर्णय के अनुसार दिसंबर माह के दूसरे सप्ताह से किसानों को टोकन दिये जायेंगे. सुंदरगढ़ सहकारी समिति के उप-निबंधक उमाशंकर दास ने कहा है कि मंगलवार को सरकार ने विभागीय अधिकारियों को किसानों से खरीफ धान खरीद में पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. इन्फोर्समेंट टीम झारखंड और छत्तीसगढ़ की सीमा पर लगे लैंपस पर कड़ी नजर रखेगी. मंडियों में सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं. सभी लैंपस को किसानों का अनाज मंडियों में सुरक्षित रखने का आदेश दिया गया है.

झारसुगुड़ा : मंडियों में नहीं है संग्रहित धान रखने की जगह, होगी परेशानी

झारसुगुड़ा जिले में जल्द ही खरीफ धान संग्रह का कार्य आरंभ होगा. राज्य में सरकार बदलने के बाद धान संग्रह व्यवस्थित होने की आस किसानों ने लगा रखी है. लेकिन झारसुगुड़ा जैसे जिले में आधी-अधूरी तैयारी के बीच धान संग्रह की व्यवस्था को व्यवस्थित करना प्रशासन के लिए किसी से चुनौती से कम नहीं होगा. विदित हो कि जिले में खरीदे गये धान को रखने के लिए गोदाम तक नहीं हैं. इसलिए खुले आसमान के नीचे ही खरीदें गये धान को रखना पड़ता है. धान संग्रह में मुख्य भूमिका निभाने वाली नियंत्रित बाजार कमेटी (आरएमसी) वर्तमान अस्त व्यस्त पड़ी है. गत अप्रैल माह से आरएमसी में नियमित सचिव तक नहीं हैं. ऐसे में प्रशासन कैसे बिना किसी बाधा के धान संग्रह कर पायेगा, यह बड़ा सवाल बना है. जिला में आरएमसी के पांच मार्केट यार्ड सहित 32 पैक्स व 30 एसएचजी के जरिये धान संग्रह होता आया है. इसके अलावा 10 सहायक केंद्र भी हैं. लेकिन आवश्यक सुविधाएं नहीं होने से मजबूरी में पैक्स, महिला एसएचजी एवं आरएमसी के सामने खासकर किसानों से धान खरीदी के बाद उसे कहां रखा जाये, यह बड़ी समस्या है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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