Jharsuguda News: शीतकालीन गणना में झारसुगुड़ा वन मंडल में मिले केवल चार हाथी, बढ़ी चिंता

Jharsuguda News: झारसुगुड़ा जिले में 14 नवंबर से हाथियों की तीन दिवसीय गणना शुरू हुई थी. इसके परिणाम से पर्यावरणविदों की चिंता बढ़ गयी है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 30, 2024 12:35 AM

Jharsuguda News: झारसुगुड़ा वन मंडल की ओर से जिले में हाथियों की नवीनतम गणना ने पर्यावरणविदों की चिंता बढ़ा दी है. 14 नवंबर से शुरू हुई इस तीन दिवसीय शीतकालीन गणना के परिणाम बेहद चिंताजनक बताये जा रहे हैं. झारसुगुड़ा डीएफओ मनु अशोक भट्ट के अनुसार, इस बार की हाथियों की गणना में इस सर्दी में क्षेत्र में औसतन केवल एक हाथी दर्ज किया गया, जबकि मार्च में यह संख्या शून्य थी. 14 नवंबर को शुरू हुई तीन दिवसीय गणना में वन अधिकारियों ने शुरुआत में चार हाथियों को देखा, लेकिन तीसरे दिन तक प्रभाग में कोई भी हाथी नहीं बचा. सभी सुंदरगढ़ के जंगल में वापस चले गये. यह प्राकृतिक आवासों के विखंडन से जुड़ी एक चिंताजनक प्रवृत्ति को उजागर करता है. ऐतिहासिक रूप से, हाथी झारसुगुड़ा, कोलाबीरा, बागडीही और जिले के अन्य वन क्षेत्रों में स्वतंत्र रूप से घूमते थे. हालांकि औद्योगिक विस्तार, रेलवे परियोजनाओं, शहरीकरण और वनों की कटाई ने इनके आवासों को काफी हद तक नष्ट कर दिया है. पारंपरिक हाथी गलियारों के अवरुद्ध होने से भी झारसुगुड़ा में उनकी आवाजाही सीमित हो गयी है.

सुंदरगढ़ और बामड़ा के जंगलों से जिले में आते हैं हाथी

हाथी अक्सर सुंदरगढ़ और बामड़ा के जंगलों से जिले में प्रवेश करते हैं, खासकर धान की कटाई के मौसम में. वे कोलाबीरा, लैयकेरा, किरमीरा और झारसुगुड़ा ब्लॉक जैसे क्षेत्रों में फसलों को नष्ट करने के लिए जाने जाते हैं. जिससे स्थानीय किसानों को परेशानी होती है. इस वर्ष की गणना झारसुगुड़ा में घटती हाथी आबादी की रक्षा के लिए हाथी गलियारों को बहाल करने और आवास विनाश को कम करने सहित संरक्षण प्रयासों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है. जैसे-जैसे शहरीकरण तेज होता है, वन्यजीव संरक्षण के साथ विकास को संतुलित करना इस क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बन जाती है. वन अधिकारी और पर्यावरणविद झारसुगुड़ा और पड़ोसी क्षेत्रों में वन्यजीवों के और अधिक नुकसान को रोकने के लिए समन्वित कार्रवाई का आह्वान कर रहे हैं.

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