भुवनेश्वर. निष्क्रिय शासन व्यवस्था, बेरोजगारी की समस्या, गरीबी, भ्रष्टाचार, ओडिया अस्मिता आदि मुद्दों को लेकर भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता अपराजिता षाड़ंगी ने राज्य सरकार से सवाल किया है. पार्टी कार्यालय में आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन में उन्होंने कहा कि वर्तमान ओड़िया अस्मिता खतरे हैं. एक छोटे बाबू बड़ा बनने का विफल प्रयास कर रहे हैं तथा राज्य शासन के जनमत को हाइजैक करने की साजिश रच रहे हैं. राज्य की जनता इसे भलीभांति समझ चुकी है. राज्य में शासन व्यवस्था निष्क्रिय है. कोरोना के बाद से ही मुख्यमंत्री के दर्शन नहीं मिल रहे हैं. उन्होंने सचिवालय आना लगभग बंद कर दिया है. किसी भी राज्य में ऐसी विचित्र स्थिति नहीं है. चुनाव के समय नवीन बाबू के नाम पर वोट मांग रहे हैं लेकिन बाद में पांच साल छोटे बाबू शासन कर रहे हैं. मंत्री, सांसद, विधायक, मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक से लेकर अन्य नेता व अधिकारियों को योजनाबद्ध तरीके से मुख्यमंत्री से दूर रखा जा रहा है. बीजद के नेताओ, मंत्री, विधायकों को मंच तैयार करने, टेंट लगाने व ट्रैफिक नियंत्रण करने में लगाया जा रहा है. अनेक स्वाभिमानी नेता बीजद छोड़कर भाजपा में शामिल हो रहे हैं. मुख्यमंत्री ने शासन व्यवस्था को आउटसोर्स कर दिया है.
मुख्यमंत्री शासन व्यवस्था की ड्राइविंग सीट पर नहीं
अपराजिता षाड़ंगी ने सवाल किया कि लोकसेवा भवन में पत्रकारों पर रोक क्यों है. शासन व्यवस्था को हाइजैक करने वाले छोटे बाबू को नौकरी क्यों छोड़नी पड़ी. इ-फाइल सिस्टम में मुख्यमंत्री के पास आ रही महत्वपूर्ण फाइलों को कौन देख रहा है. यूजर आइडी, पासवर्ड व इ-सिग्नेचर का गलत इस्तेमाल तो नहीं हो रहा है. मुख्यमंत्री को इन विषयों के बारे में अवगत तो कराया जा रहा है. राज्य की जनता ओडिशा को लूटने का लाइसेंस फिर से बीजद को नहीं देने वाली. उन्होंने कहा कि बेरोजगारी में ओडिशा नंबर वन है. राज्य सरकार के 40 विभागों के एक लाख से अधिक पद रिक्त हैं. मुख्यमंत्री के अपने चुनाव क्षेत्र हिंजिलि से सर्वाधिक लोग काम की तलाश में मजबूरी में बाहर के राज्यों में जा रहे हैं. मुख्यमंत्री की स्वास्थ्य स्थिति ठीक नहीं है. सचिवालय भी नहीं जा रहे हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें दो स्थान से चुनाव लड़ाने का क्या कारण है. छोटे बाबू की बैकडोर एंट्री के लिए यह सुनियोजित योजना है.
बीजद सरकार ने राज्य के किसानों के साथ किया है फरेब : मनमोहन सामल
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन सामल ने पार्टी कार्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में गुरुवार को कहा कि बीजू जनता दल सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण ओडिशा के किसानों की स्थिति बदहाल है. अपने कार्यकाल में नवीन सरकार ने न राज्य के किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराया न अन्य सुविधाएं दी. यही कारण है कि आज पंजाब का किसान डेढ़ लाख रुपये प्रतिमाह आय कर रहा है, जबकि ओडिशा का किसान केवल पांच हजार रुपये. श्री सामल ने कहा कि राज्य में केवल 17 प्रतिशत खेतों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है गत तीन बार के चुनावी घोषणा पत्रों में बीजू जनता दल ने बड़े-बड़े वादे किये थे. 2009 में बीजद ने कहा था कि यदि उनकी सरकार बनती है, तो पांच सालों में राज्य के सभी प्रखंडों में एक तिहाई खेतों की सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी. लेकिन कुछ नहीं हुआ. इसी तरह 2014 के घोषणा पत्र में पार्टी ने कहा कि आगामी पांच वर्षों में दस लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी. 2019 में बीजद ने फिर से कहा कि प्रति प्रखंड में 35 प्रतिशत जमीन की सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी. लेकिन एक इंच की जमीन पर भी सिंचाई की सुविधा नहीं दी गयी. उन्होंने कहा कि महानदी में बैराज बनाने के संबंध में नवीन पटनायक सरकार ने बड़ी-बड़ी बातें कीं. लेकिन इतने सालों में एक भी बैराज नहीं बनाया जा सका. राज्य सरकार ने आलू मिशन, प्याज मिशन आदि का गठन कर राज्य की जनता के करोड़ों रुपये को स्वाहा कर दिया. लेकिन ये सारे मिशन फेल हुए. राज्य के किसानों को कोई लाभ नहीं हुआ. श्री सामल ने कहा कि नवीन सरकार में किसानों को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं दिया जा रहा है. खरीदने के समय किसानों का धान काटा जा रहा है. दलाल व मिलरों के द्वारा किसान शोषण का शिकार हो रहे हैं. धान की खरीद में लगभग एक करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है. ओडिशा सरकार ने अपने शासनकाल में चीनी व कपड़ा मिलों को बंद कर दिया है.
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