राउरकेला. सुंदरगढ़ जिले के लोगों के लिए खुशखबरी है. रेलवे ने बिमलगढ़ छोर से तालचेर-बिमलगढ़ रेल परियोजना का काम शुरू करने के लिए 500 करोड़ रुपये का टेंडर आमंत्रित किया गया है. इसमें आगामी 15 अक्तूबर से काम शुरू होने की संभावना है. इसके लिए सचेतन नागरिक मंच के अध्यक्ष बिमल बिसी ने रेलवे का आभार जताया है. खासकर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव समेत आदिवासी कल्याण मंत्री जुएल ओराम के प्रति कृतज्ञता प्रकट की गयी है. जानकारी के अनुसार रेलवे लाइन निर्माण कार्य के लिए निविदा दो महीने के भीतर अंतिम रूप दिये जाने की उम्मीद है, ताकि 15 अक्तूबर से शुरू होने वाले आगामी कार्य सत्र में बिमलगढ़ छोर से फास्ट ट्रैक मोड में काम शुरू किया जा सके. इसमें बिमलगढ़ से महुलढिहा तक 32 किलोमीटर की दूरी पर एक साथ काम शुरू किया जायेगा. इसके मध्यवर्ती स्टेशन गोपना, कलईपोश, कुहुरा होंगे. इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए बणई में एक पूर्णकालिक शिविर कार्यालय स्थापित किया जायेगा. इसके माध्यम से रेलवे को परियोजना की निगरानी, पर्यवेक्षण और निष्पादन के अलावा स्थानीय अधिकारियों के साथ भूमि अधिग्रहण के मुद्दों का बारीकी से काम करने में मदद मिलेगी. साथ ही इस परियोजना को नवीनतम सॉफ्टवेयर और प्रबंधन उपकरणों और विधियों का उपयोग करके फास्ट ट्रैक मोड पर शुरू करने के लिए डिजाइन किया गया है. हालांकि लगभग 6.5 किलोमीटर रेलवे भूमि, जहां अभी तक मार्ग का अधिकार रेलवे को नहीं सौंपा गया है, अभी भी बाधा बनी हुई है.
कोर्ट में लंबित है जमीन का मामला
सुंदरगढ़ जिले में लगभग 76 एकड़ निजी भूमि अभी भी परियोजना कार्य के लिए सौंपी जानी है, क्योंकि भूमि मामले एलएआरएंडआर कोर्ट संबलपुर/एनडी में लंबित हैं. अगली सुनवाई की तारीख 14 अगस्त, 2024 निर्धारित है. अनुगूल जिले जैसी स्थिति को रोकने के लिए, जहां भूमि मालिकों द्वारा ‘रेस जुडिकाटा’ के सिद्धांत की अनदेखी करते हुए बार-बार न्यायिक स्थगन प्राप्त किया गया है, रेलवे एलएआरएंडआर कोर्ट में भी खुद को पक्षकार बना रहा है, जैसा कि उसने अनुगूल जिले के भूमि स्थगन मामलों में किया है. जिससे अगर भूमि अधिग्रहण और हस्तांतरण के प्रभारी राजस्व अधिकारी सक्रिय हो जाते हैं, तो इन मुद्दों को हल करने में ज्यादा समय नहीं लगेगा और परियोजना समय पर पूरी हो जायेगी.
ओडिशा सरकार इच्छाशक्ति दिखाये, तो हल हो जायेंगी अड़चने
रेलवे परियोजनाओं में भूमि संबंधी मुद्दे सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे हैं क्योंकि कमीशनिंग में देरी होती है, रखरखाव के अभाव में संपत्ति खराब हो जाती है, सामग्री की चोरी होती है और देरी की अवधि के लिए कोई राजस्व हानि नहीं होती है. लेकिन ओडिशा सरकार अपनी इच्छाशक्ति दिखाती है तो ये अड़चनें भी हल हो जायेंगी. काम का अगला चरण पाल्लहड़ा से महुलढिहा तक है, जो लगभग 40 किलोमीटर है. लेकिन इस स्तर पर निविदाएं आमंत्रित नहीं की जा सकती हैं क्योंकि लगभग 15 किलोमीटर की परियोजना भूमि अधिग्रहण के मुद्दों से प्रभावित है. फिर भी ओडिशा के लोगों को लंबे समय से प्रतीक्षित उपहार देने के लिए रेल मंत्री के प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए, क्योंकि उन्होंने तालचेर-बिमलागढ़ नयी लाइन परियोजना को पुनर्जीवित किया है, जिसे दो साल पहले ही बंद मान लिया गया था. सचेतन नागरिक मंच की ओर से पूर्व सीएमओ ईस्ट कोस्ट रेलवे डॉ प्राणबंधु साहू सहित वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों को विशेष धन्यवाद दिया गया है, जिन्होंने नियमित आधार पर मदद की है. इस परियोजना में समय-समय पर इस मुद्दे को उठाने और इसमें शामिल होने के लिए प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक्स और डिजिटल मीडिया की विशेष सराहना करने के साथ मंच की ओर से कृतज्ञता प्रकट की गयी है.
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