Rourkela News: आदिवासियों के अधिकारों की हो रक्षा, सरकारी सेवा में 100 फीसदी आरक्षण मिले

Rourkela News: राजी पाड़हा भारत उदितनगर आरएमसी चौक से एडीएम कार्यालय तक रैली निकाली कर अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा.

By Prabhat Khabar News Desk | February 10, 2025 12:45 AM

Rourkela News: राजी पाड़हा भारत की ओर से सरकारी सेवा में आदिवासियों को 100 फीसदी आरक्षण समेत सात सूत्री मांगों को लेकर रविवार को उदितनगर आरएमसी चौक से एडीएम कार्यालय तक विशाल रैली निकाली गयी. इसके जरिये केंद्र से लेकर राज्य सरकार का ध्यानाकर्षण अपनी समस्याओं की ओर कराया गया. साथ ही सूबे के राज्यपाल डॉ हरि बाबू कंभमपति, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल ओराम के नाम राउरकेला एडीएम को एक ज्ञापन सौंपा गया. इसमें राजी पाड़हा भारत की ओर से की गयी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का अनुरोध किया गया.

आदिवासियों के संवैधानिक अधिकार केवल कागज-कलम तक सीमित

राजी पाड़हा भातर की ओर से सौंपे गये ज्ञापन में कहा गया है कि सुंदरगढ़ जिला एक अनुसूचित जनजाति क्षेत्र है और यह भारत के संविधान की 5वीं अनुसूची-अनुच्छेद 244 (1) के अंतर्गत आता है. लेकिन भारत का संविधान लागू होने से लेकर आज तक यानि 77 वर्षों के प्रशासन में आदिवासियों के सभी संवैधानिक अधिकार केवल कलम और कागजों तक ही सीमित हैं, जिसका कारण है 5वीं अनुसूची क्षेत्रों के मुख्यमंत्रियों, राज्यपालों और अन्य गैर आदिवासी प्रशासनिक अधिकारियों का आदिवासी विरोधी रवैया हैं. आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को गैर-आदिवासियों द्वारा अवैध रूप से छीना जा रहा है. आदिवासियों और आदिवासी क्षेत्रों की सभी जमीनों को गैरकानूनी और बेरहमी से लूटा जा रहा है. आदिवासी अपने ही गांव और क्षेत्र में भिखारियों की तरह रह रहे हैं. अतः आपसे अनुरोध है कि भारत के संविधान का सम्मान करें और हमारे ज्ञापन में उल्लिखित हमारी निम्नलिखित मांगों के अनुसार आवश्यक कार्य अविलंब करें.

गैर-आदिवासी व्यक्तियों को अवैध रूप से हस्तांतरित जनजातीय भूमि वापस की जाये

राजी पाड़हा की ओर से सात सूत्री ज्ञापन में मांग की गयी है कि पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों की प्रत्येक तहसील में विशिष्ट विशेष पुनर्स्थापना कार्यालय की स्थापना करके जनजातीय भूमि के लुटेरों के खिलाफ स्वत: मामला शुरू करके तीन महीने के भीतर गैर-आदिवासी व्यक्तियों को अवैध रूप से हस्तांतरित जनजातीय भूमि वापस की जाये. जनजातीय अधिकारियों और विशेषज्ञ राजस्व निरीक्षकों की नियुक्ति की जाये, जो साबिक खाते और प्लॉट नंबरों से उत्पन्न हॉल खाता संख्या और प्लॉट नंबरों के विवरण का पता लगा सकें और हॉल खाता संख्या और प्लॉट नंबरों से उत्पन्न भूमि के विवरण का बाद में हस्तांतरण कर सकें ताकि आदिवासी काश्तकार को साबिक खाते और हॉल खाते की वास्तविक स्थिति का पता चल सके. ‘समाथा केस’, 1997 में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के अनुसार सरकारी भूमि पर गैर-आदिवासी व्यक्तियों के पक्ष में दिये गये सभी पट्टे और जारी किये गये आरओआर को रद्द करें. भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 के खंड-6, उप-खंड-(जी) के अनुसार 5वीं अनुसूची क्षेत्रों में आदिवासियों के लिए सरकारी सेवा में 100 फीसदी आरक्षण दें. राउरकेला में एक स्वायत्त आदिवासी विश्वविद्यालय की स्थापना की जाये, जिसका प्रबंधन और नियंत्रण आदिवासी व्यक्तियों द्वारा किया जाये. ओडिशा राज्य के 5वीं अनुसूची क्षेत्रों के सभी इलाकों में एसटी और एससी पुलिस स्टेशन स्थापित करना, राजधानी भुवनेश्वर में एसटी और एससी भवन का निर्माण, जिला खनिज फाउंडेशन, सुंदरगढ़ से जिले के प्रत्येक गांव में सिंचाई सुविधाएं, शौचालय और पेयजल की सुविधा के साथ 500 व्यक्तियों की बैठने की क्षमता वाला आदिवासी भवन बनाने और आदिवासियों के आर्थिक विकास के लिए सुंदरगढ़ जिले के प्रत्येक गांव में अनुपयोगी भूमि या खाली भूमि पर औषधीय और फलदार पौधे रोपण करने के लिए धन उपलब्ध कराये जायें.

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