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एनआइटी राउरकेला में तीन दिवसीय‘ रिसर्च स्कॉलर्स वीक2024’शुरू,193 पीएचडी छात्र प्रस्तुत करेंगे अपने शोधकार्य

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) राउरकेला में शुक्रवार को तीन दिवसीय ‘रिसर्च स्कॉलर्स वीक 2024’ (आरएसडब्ल्यू) शुरू हुआ. इसमें एनआइटी के कुल 193 पीएचडी छात्र अपने शोध कार्य प्रस्तुत करने के लिए इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं.

राउरकेला. राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) राउरकेला में शुक्रवार को तीन दिवसीय ‘रिसर्च स्कॉलर्स वीक 2024’ (आरएसडब्ल्यू) शुरू हुआ. पीएचडी विद्यार्थियों के शोध कार्यों को एक मंच प्रदान करने के लिए हर साल एनआइटी आरएसडब्ल्यू यह कार्यक्रम आयोजित करता है. वर्ष 2024 के लिए आरएसडब्ल्यू बीबी ऑडिटोरियम में उद्घाटन समारोह के साथ शुरू हुआ. वीएसएसयूटी बुर्ला के कुलपति के रूप में कार्यरत प्रो बंशीधर मांझी मुख्य अतिथि थे. उन्होंने कहा कि कहा कि शोध के छात्र किसी भी शैक्षणिक संस्थान में अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र के प्राथमिक हितधारक हैं और एनआइटी राउरकेला अपनी स्थापना के बाद से अपने शोधकर्ता छात्रों के महत्वपूर्ण योगदान के माध्यम से इसका उदाहरण देता रहा है. मुझे याद है जब मैं दस साल पहले एनआइटी राउरकेला में अकादमिक डीन के रूप में कार्यरत था, तब हमने छात्रों के बीच विद्वत्तापूर्ण संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए रिसर्च स्कॉलर सप्ताह की शुरुआत की थी. यह छात्र और संकाय के साथ बातचीत के लिए एक मूल्यवान मंच प्रदान करता है, जो उनके काम को और बेहतर बनाने के लिए अंतर्दृष्टि प्रदान करता है.

एनआइटी राउरकेला के रिसर्च स्कॉलर्स वीक का यह आठवां सत्र है

एनआइटी के कुल 193 पीएचडी छात्र अपने शोध कार्य प्रस्तुत करने के लिए इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं. समारोह की शुरुआत आरएसडब्ल्यू-2024 के प्रभारी प्रोफेसर डॉ प्रदीप चौधरी के स्वागत भाषण से हुई. उन्होंने कहा कि शैक्षणिक वर्ष 2014-2015 में शुरू हुए एनआइटी राउरकेला के रिसर्च स्कॉलर्स वीक का यह आठवां सत्र है. आज पीएचडी छात्रों का यह जमावड़ा अकादमिक शोध, खोज और बौद्धिकता के प्रति हमारे सामूहिक समर्पण के प्रमाण के रूप में खड़ा है. वहीं डीन (शिक्षाविद) और आरएसडब्ल्यू समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर स्नेहाशीष चक्रवर्ती ने कहा कि 1903 में मैरी क्यूरी ने विकिरण घटना (रेडियोधर्मिता) पर अपने शोध के लिए भौतिकी में नोबेल पुरस्कार जीता था. यह उपलब्धि इसका उदाहरण है कि क्या हासिल किया जा सकता है, किसी विषय में गहरी समझ और अनुसंधान के माध्यम से जो एक पीएचडी पाठ्यक्रम प्रदान करता है. अनुसंधान के पथ पर आगे बढ़ना चुनौतीपूर्ण हो सकता है और इसके लिए दैनिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है. हालांकि, अनुसंधान को करियर के रूप में चुनने का मतलब समस्या-समाधान के लिए समर्पित जीवन को अपनाना और एक बौद्धिक यात्रा के माध्यम से हल निकालना होता है.

सामाजिक समस्याओं का हल करने पर ध्यान केंद्रित करें शोधार्थी

संस्थान के प्रभारी निदेशक प्रो चंदन कुमार साहू ने भी शोधार्थियों को बधाई दी. उन्होंने छात्रों को पीएचडी के बाद उद्यमशीलता करियर पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कितने पीएचडी छात्र औद्योगिक अनुसंधान को चुन रहे हैं और अपने निष्कर्षों को नवाचार में लागू कर स्टार्टअप के क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं. प्रो साहू ने छात्रों से अपने शोध प्रयासों के माध्यम से सामाजिक समस्याओं को हल करने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया.

एनआइटी के निदेशक ने विद्यार्थियों का हौसला बढ़ाया

एनआइटी राउरकेला के निदेशक प्रोफेसर के उमामहेश्वर राव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि मेरा दृढ़ विश्वास है कि आरएसडब्ल्यू 2024 के दौरान प्रदर्शित अनुसंधान को महत्वपूर्ण दृश्यता मिलेगी. इन शोधकर्ताओं की चर्चाओं के नतीजे एनआइटी राउरकेला में वैज्ञानिक समुदाय को सशक्त बनायेंगे. आपके शोध में प्रभावशाली पत्रिकाओं, पेटेंट आदि में प्रमुखता से शामिल होने की क्षमता है, साथ ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ साझेदारी शुरू करने की भी क्षमता है. मैं विज्ञान, प्रौद्योगिकी, मानविकी और प्रबंधन में ज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए आपके अथक प्रयासों और समर्पण की सराहना करता हूं. मैं आपकी सफलता की कामना करता हूं, जिसके आप हकदार हैं.

प्रो बंशीधर मांझी को किया गया सम्मानित

उद्घाटन सत्र के दौरान इस अवसर को चिह्नित करने वाली एक पत्रिका जारी की गयी. इसके बाद मंच पर मौजूद गणमान्य लोगों ने मुख्य अतिथि प्रोफेसर बंशीधर माझी को सम्मानित किया. प्रोफेसर माझी ने एनआइटी राउरकेला में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया है. उनके पास 30 से अधिक वर्षों का शिक्षण अनुभव है और उनके नाम पर 130 से अधिक प्रकाशन और तीन पेटेंट हैं. इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा ग्लोबल लीप फेलोशिप और ओडिशा सरकार द्वारा सामंत चंद्र शेखर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. एसोसिएट डीन (अकादमिक) प्रो ज्योति प्रकाश कर ने सभी को धन्यवाद देते हुए उद्घाटन समारोह का समापन किया.

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