Rourkela News: एसटीआइ चौक के पास फुटपाथ पर लगने वाली सब्जी दुकानों को हटाने गयी राउरकेला महानगर निगम (आरएमसी) की टीम को स्थानीय लोगों के विरोध के कारण बैरंग लौटना पड़ा. लोगों ने आरएमसी की टीम का जमकर विरोध किया. जिस कारण निगम के अधिकारियों को कार्रवाई स्थगित करनी पड़ी. शनिवार सुबह निगम की टीम जरूरी साजोसामान के साथ एसटीआइ चौक के पास पहुंची. सब्जी विक्रेताओं को फुटपाथ से हटने की चेतावनी देने के साथ ही उनके सामान को निगम की गाड़ी में लादा गया. लेकिन उसी वक्त वहां मौजूद स्थानीय लोगों ने इस कार्रवाई का विरोध करते हुए कहा कि सब्जी विक्रेता यहां पर स्थायी रूप से नहीं रहते. बल्कि सब्जी बेचने के बाद चले जाते हैं. शहर में कई इलाके हैं, जहां पर अतिक्रमण कर लोग स्थायी दुकानें बना रहे हैं. उनपर कार्रवाई की जगह गरीब सब्जी विक्रेताओं पर कार्रवाई हो रही है. हालात को देखते हुए निगम की टीम ने जो भी सामान जब्त किया था, उसे छोड़ दिया और वहां से चले गये. इस दौरान मौके पर काफी संख्या में लोगों की भीड़ जुट गयी थी. सब्जी विक्रेताओं से यहां पर रोजाना सब्जी खरीदने के लिए आनेवाले लोग भी शामिल थे. गौरतलब है कि आस-पास के ग्रामीण इलाकों से आदिवासी महिलाएं यहां सब्जी बेचने आती हैं.
इधर, शहर के फुटपाथ दुकानदारों के कब्जे में, प्रशासन मौन
शहर के मुख्य मार्ग में फुटपाथ पर अतिक्रमण के कारण आये दिन जाम लगता है. जिससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आलम यह है कि दुकानदार किराया तो दुकान का देते हैं, लेकिन फुटपाथ को भी वे अपनी दुकान का हिस्सा मानते हैं. वे फुटपाथ पर कब्जा कर सामान रखते हैं. जिससे लोगों के आने-जाने के लिए जगह ही नहीं बचती है. आगामी दिनों में धनतेरस, दीपावली व छठ का त्योहार है. इस दौरान सड़कों पर भयंकर जाम लगने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है.
भारी सामान रखने के कारण टूट रहे मुख्यमार्ग के पेवर ब्लॉक
राउरकेला मुख्य मार्ग पर राहगीरों की सुविधा के लिए दोनों ओर फुटपाथ बनाया गया है. इन फुटपाथ पर पेवर ब्लॉक भी लगाया गया है. लेकिन यहां के कई दुकानदार फुटपाथ पर भी अपनी दुकानों का सामान रखकर बेचते हैं. जिससे राहगीरों को सड़क पर चलना पड़ता है. इस वजह से दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है. इसके अलावा फुटपाथ पर दुकानों का भारी सामान रखे जाने के कारण यहां पर लगे पेवर ब्लॉक भी टूट रहे हैं. इसके बाद भी इस समस्या का समाधान करने के स्थान पर प्रशासन का मूक दर्शक बने रहना आश्चर्य का विषय बना हुआ है.
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