Rourkela News: बंगाल की खाड़ी में बने चक्रवाती परिसंचरण का असर शनिवार को स्मार्ट सिटी राउरकेला में भी दिखा. पूरे दिन रिमझिम बारिश होने से कनकनी बढ़ गयी है. लोग कन्फ्यूज हैं कि स्वेटर पहनें या रैनकोट. बारिश के कारण पिछले 24 घंटे में शहर का पारा करीब आठ डिग्री सेल्सियस लुढ़क गया है. शुक्रवार को शहर का अधिकतम तापमान 29.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हुआ था, जो शनिवार को 20.5 डिग्री सेल्सियस रहा. बारिश जारी रहने की स्थिति में अगले चौबीस घंटे के दौरान तापमान में और गिरावट रिकॉर्ड होगी. जिसका सीधा असर ठंड में बढ़ोतरी के रूप में दिखेगा. चक्रवात तूफान के असर से मौसम में यह बदलाव देखा गया. मौसम के इस मिजाज को देखते हुए शहरवासियों ने गर्म कपड़े और रेनकोट दोनों पहन कर ठंड और बारिश से मुकाबला किया. लेकिन पूरे दिन सुबह से लेकर रात तक ठंड व कंपकपी से परेशान दिखे. मौसम विभाग के अनुसार, पिछले 24 घंटे में तापमान में सीधे आठ डिग्री सेल्सियस की एकमुश्त गिरावट हुई है. हालांकि राहत रही कि न्यूनतम तापमान में बढ़ोतरी हुई है.
न्यूनतम तापमान में बढ़ोतरी से मामूली राहत
शहर का अधिकतम तापमान अचानक घटने से लोगों को परेशानी हुई. हालांकि न्यूनतम तापमान में बढ़ोतरी से थोड़ी राहत भी मिली. शुक्रवार को जहां अधिकतम तापमान 29.8 डिग्री सेल्सियस, न्यूनतम तापमान 14.7 डिग्री सेल्सियस और आर्द्रता अधिकतम 96 फीसदी तथा न्यूनतम 58 फीसदी रिकॉर्ड हुई थी, वहीं शनिवार को अधिकतम तापमान 20.5 डिग्री सेल्सियस, न्यूनतम तापमान- 18.0 डिग्री सेल्सियस और आर्द्रता अधिकतम 97 फीसदी तथा न्यूनतम 83 फीसदी रही.
सब्जियों व धान की फसल नष्ट होने की आशंका, किसान चिंतित
जिले में हो रही बेमौसम बारिश से कटनी के लिए तैयार धान की फसल को नुकसान पहुंचने की आशंका है. जिन किसानों ने सब्जियों की खेती की है, उन्हें भी काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है. जानकारी के अनुसार, इस सीजन में नुआगांव इलाके में एक किसान ने तीन एकड़ जमीन में सात लाख फूलगोभी की फसल लगायी है. कुछ दिनों तक उत्पाद 80 रुपये किलो बिका. जबकि वर्तमान यह 50 से 60 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. लाठीकटा के बाजार में सब्जियां बेचने पहुंचे एक किसान ने बताया कि बारिश के कारण फूलगोभी में कीड़े लग जायेंगे और रंग काला पड़ने का खतरा है. जिससे हमें अपनी फसल को औने-पौने दाम में बेचने को विवश होना पड़ेगा. इसी तरह धान की खेती करने वाले किसान जो जून से लेकर 6 महीने तक फसल कटने का इंतजार कर रहे हैं, उन्हें इस बेमौसम बारिश से फसल नष्ट होने की चिंता सता रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है