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Rourkela News: मन की शांति की तलाश में आध्यात्म की ओर बढ़ रहा मनुष्य

Rourkela News: गोपबंधु पाठागार में आरएबीएसएस का विज्ञान और अध्यात्म का मानव जीवन पर प्रभाव विषय पर सेमिनार आयोजित हुआ.

Rourkela News: प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग तक मनुष्य ने विज्ञान में प्रगति की है तथा सुख और स्वतंत्रता का जीवन निर्मित किया है. लेकिन सच्ची खुशी और मन की शांति की तलाश में आज मनुष्य अपने मन में अनगिनत सवाल लेकर आध्यात्म की ओर बढ़ रहा है. इस पर चर्चा के लिए नयी दिल्ली स्थित कॉरपोरेट आश्रम और राउरकेला एसोसिएशन फॉर बायोजेनेसिस ऑफ साइंस एंड स्पिरिचुअलिटी (आरएबीएसएस) की संयुक्त पहल पर छेंड कॉलोनी स्थित गोपबंधु पाठागार में एक सेमिनार का आयोजन सोमवार को किया गया. इस सेमिनार का शीर्षक था विज्ञान और अध्यात्म का मानव जीवन पर प्रभाव.

प्राचीन भारतीय संस्कृति और विज्ञान पर दी जानकारी

मुख्य वक्ता के रूप में हाइटेक मेडिकल कॉलेज के उप अधीक्षक डॉ प्रफुल्ल चंद्र महापात्र, राउरकेला स्टील प्लांट के सेवानिवृत्त महाप्रबंधक सुभाष चंद्र महापात्र और प्रसिद्ध योग गुरु एवं समाजसेवी श्रीकांत षांड़गी ने इस विषय पर प्रकाश डाला और बहुमूल्य एवं ज्ञानवर्धक जानकारी दी. कार्यक्रम का शुभारंभ कॉरपोरेट आश्रम की संस्थापक सदस्य लिप्सा मोहंती, आरएबीएसएस के उपाध्यक्ष देवप्रसाद महापात्र और अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ. लिप्सा मोहंती ने इस कार्यक्रम के उद्देश्य और महत्व पर प्रकाश डाला. आरएबीएसएस के उपाध्यक्ष देव प्रसाद महापात्र ने जन्म, गठन और अभिविन्यास पर बात की. डॉ प्रफुल्ल चंद्र महापात्र ने प्राचीन भारतीय संस्कृति, विज्ञान, पश्चिमी और भारतीय वैज्ञानिकों तथा भारतीय आध्यात्मिक गुरुओं के बारे में बताकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया कि कैसे विज्ञान और अध्यात्म एक ही सिक्के के दो पहलू हैं.

ऊर्जा के विभिन्न रूपों, संपूर्ण ब्रह्मांड में इसके महत्व की आवश्यकता को समझाया

सुभाष चंद्र महापात्र ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ऊर्जा के विभिन्न रूपों, संपूर्ण ब्रह्मांड में इसके महत्व, अहंकार के स्वरूप और इसकी आवश्यकता को समझाया. श्रीकांत षाड़ंगी ने योग, विज्ञान और अध्यात्म की परिभाषाओं को बहुत ही खूबसूरती से समझाया और बताया कि किस प्रकार ये एक दूसरे के पूरक हैं. एएबीएस के महासचिव डॉ पूर्ण चंद्र प्रधान ने तीनों वक्ताओं के भाषणों को शब्दों के सुन्दर सामंजस्य में सारांशित करते हुए ब्रह्मांड की रचना, पृथ्वी पर मानव की उपस्थिति, विज्ञान की उन्नति के साथ-साथ अध्यात्म के महत्व पर अपने विचार रखे तथा अंत में सभी का आभार व्यक्त किया. उक्त सेमिनार में राउरकेला के कई बुद्धिजीवियों ने भाग लिया.

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