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बंडामुंडा : कोरोना काल में बंद हुई ट्रेनों का तीन साल के बाद भी ठहराव शुरू नहीं हुआ, आक्रोश

बंडामुंडा में कोरोना काल से बंद ट्रेनों का ठहराव शुरू करने को लेकर यहां के लोग, रेल के यूनियन के नेता व स्थानीय नेता रेलवे प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन केंद्र सरकार और रेलवे के आला अधिकारी इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं.

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बंडामुंडा. बंडामुंडा में कोरोना काल से बंद ट्रेनों का ठहराव शुरू करने को लेकर यहां के लोग, रेल के यूनियन के नेता व स्थानीय नेता रेलवे प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन केंद्र सरकार और रेलवे के आला अधिकारी इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. यहां पर एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव नहीं होने से आठ किलोमीटर की दूरी तय कर राउरकेला स्टेशन पहुंचकर ट्रेन पकड़नी होती है. खासकर रात के समय में या गर्मी और ठंड के दिनों में ऐसा करने में लोगों को कठिनाई होती है. जिससे कोरोना काल से पहले यहां रुकने वाली एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव पुनः शुरू करने की मांग तेज होती जा रही है.

पैसेंजर व मेमू ट्रेनें रुक रहीं, एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव नहीं

कोरोना काल के बाद राउरकेला हटिया पैसेंजर, बिरमित्रपुर पैसेंजर, चक्रधरपुर-राउरकेला सारंडा पैसेंजर मेमू, झारसुगड़ा हटिया मेमू, इस्पात एक्सप्रेस डाउन, धनबाद एलेप्पी अप का ठहराव हो रहा है. लेकिन कोरोना काल से पहले बंडामुंडा स्टेशन में साउथ बिहार अप व डाउन, एलटीटी शालीमार अप व डाउन, टाटा एलेप्पी, पुरी हरिद्वार उत्कल एक्सप्रेस अप, समलेश्वरी एक्सप्रेस अप, टाटा इतवारी एक्सप्रेस अप व डाउन, टाटा बिलासपुर एक्सप्रेस अप व डाउन का भी ठहराव होता था. कोरोना काल में बंद इन ट्रेनों को पुन: शुरू नहीं करने से लोग परेशानी का सामना कर रहे हैं.

डीआरएम से चर्चा की एवं पत्र दिया, लेकिन पहल नहीं

दक्षिण पूर्व रेलवे मेंस यूनियन, बंडामुंडा के अध्यक्ष राजा मुखर्जी ने कहा कि हमारे संगठन ने इस मामले को लेकर रेल प्रबंधक एवं डीआरएम से चर्चा की एवं पत्र दिया है. कोरोना काल से पहले जिन पैसेंजर एवं एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव बंडामुंडा में होता था, उनका स्टॉपेज शीघ्र शुरू किया जाये. ट्रेनों का ठहराव नहीं होने के कारण आम जनता एवं रेल कर्मचारियों को राउरकेला स्टेशन आने-जाने में बहुत तकलीफ होती है. खासकर रात के समय में. वहीं, दपूरे मेस कांग्रेस के केंद्रीय कोषाध्यक्ष एवं अंचल प्रभारी रतन पंडा ने कहा कि बंडामुंडा जैसे महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन में ट्रेनों का ठहराव नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण एवं निराशाजनक है. रेलनगरी बंडामुंडा में जहां हजारों रेलवे कर्मचारी अपनी सेवा प्रदान कर रहे हैं, उन्हें ट्रेनों में यातायात के लिए राउरकेला आना पड़ता है, यह अत्यंत दुखद है. हमारे संगठन का एक प्रतिनिधिमंडल शीघ्र उक्त समस्या को लेकर मंडल रेल प्रबंधक से वार्ता करेगा.

गर्मी के दिनों में राउरकेला जाना तकलीफदेह

बंडामुंडा, बी सेक्टर, बोगदा बस्ती निवासी नारायण स्वामी ने कहा कि बंडामुंडा रेलवे स्टेशन में कोरोना काल से पहले बहुत सारी एक्सप्रेस ट्रेनें रुकती थीं, पर अब नाम मात्र ट्रेनें ही रुकती हैं. जिससे यात्रियों को बहुत तकलीफ झेलनी पड़ती है. दो सप्ताह पहले रात के समय में अपने रिश्तेदार को राउरकेला स्टेशन छोड़ने गया था. रात के समय आने-जाने में बहुत तकलीफ होती है. जल्द से जल्द बंडामुंडा स्टेशन पर पहले की तरह ट्रेनों का ठहराव शुरू हो. बंडामुंडा, इ सेक्टर निवासी प्रवीण सिंह ने कहा कि कोरोना से पहले यहां सभी ट्रेनें रुकती थीं. मैं बिहार के अपने गांव पटना जाने के लिए पहले बंडामुंडा स्टेशन से साउथ बिहार एक्सप्रेस पकड़ता था. गर्मी के मौसम में गांव जाने के लिए ट्रेन पकड़ने के लिए राउरकेला जाने में बहुत परेशानी होती है. मेरा रेल प्रशासन के उच्च अधिकारियों से अनुरोध है कि बंडामुंडा स्टेशन में इन ट्रेनों का ठहराव जल्द शुरू किया जाये. बंडामुंडा, डी केबिन निवासी अमित सिन्हा ने कहा कि बडामुंडा के प्रति रेलवे का रवैया सदैव पक्षपात वाला रहा है. कोरोना का प्रभाव खत्म होने बाद भी इक्की-दुक्की ट्रेनों का ही यहां ठहराव होता है. एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव नहीं होने से आठ किलोमीटर की दूरी तय कर राउरकेला स्टेशन पहुंचकर ट्रेन पकड़नी पड़ती है. गर्मी और ठंडी के मौसम में दिन या रात के समय आठ किलोमीटर दूर जाकर ट्रेन पकड़ने में लोगों को परेशानी होती है.

कोरोना काल खत्म हुआ, अब ट्रेनों का ठहराव जल्द हो

बंडामुंडा के युवा नेता डी अवीक कुमार ने कहा कि कोरोना खत्म हो गया, लेकिन बंडामुंडा स्टेशन में बंंद ट्रेनों का ठहराव शुरू नहीं हो पाया है. मैंने खुद भी इसके लिए राउरकेला विधायक का प्रतिनिधित्व करते हुए रेलवे के डीआरएम से इसकी मांग की थी. लेकिन अब तक कुछ नहीं हो पाया. जल्द ट्रेनों का ठहराव दिया जाये. वहीं डीजल कॉलोनी निवासी समाजसेवी आइ राजा रमेश ने कहा कि कोरोना से पहले बंडामुंडा रेलवे स्टेशन से रोजाना सैकड़ों यात्री ट्रेनों में सफर करते थे. रेल नगरी के नाम से परिचित बंडामुंडा में आम जनता हो या रेलवे विभाग में कार्यरत ज्यादातर अधिकारी व कर्मचारियों को पिछले तीन सालों से ट्रेन पकड़ने के लिए राउरकेला रेलवे स्टेशन जाना पड़ रहा है. रेल प्रशासन को इस पर जल्द सकारात्मक कदम उठाना चाहिए.

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