Jharsuguda news: झारसुगुड़ा-संबलपुर सीमा पर स्थित एनएलसी ने तालाबीरा क्रमांक 2 व 3 कोयला खदान के लिए जमीन अधिग्रहण करने के पांच वर्ष बाद भी विस्थापितों को दिया गया आश्वासन पूरा नहीं किया है. इसे लेकर झारसुगुड़ा ब्लॉक, सदर ब्लॉक के पत्रापाली एवं मालदा गांव के लोगों ने जिलाधीश व एसपी से मिलकर ज्ञापन सौंपा है. इसमें कहा गया है कि यदि उन्हें उचित मुआवजा व पुनर्वास की सुविधा नहीं मिली, तो वे खदान के मेन गेट के सामने बेमियादी धरना देंगे. ग्रामीणों का कहना है कि वे लोग 1975 में हीराकुद बांध प्रोजेक्ट से विस्थापित हुए थे. उसके बाद वे लोग बांध के किनारे अपने प्रयास से ही बसे हैं. वे लोग जंगल में अपना घरद्वार बनाने के बाद जल भंडार से मछली पकड़ने व वन से प्राप्त सामग्रियां संग्रह कर अपना जीवन यापन कर रहे थे. वहीं पांच वर्ष पहले तालाबीरा अंचल में कोयला खदान के लिए जमीन को अधिग्रहण करने के बाद उनके जीवन यापन का माध्यम बने घने जंगल को कंपनी ने उजाड़ दिया. जिससे उन लोगों का रोजगार छिन गया है.
कंपनी ने पूरा नहीं किया वादा, विकास से वंचित हैं ग्रामीण
ग्रामीणों ने बताया कि उनको नौकरी, रोजगार का जरिया, उपयुक्त रूप से उन्हें फिर से बसाये जाने की व्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य, कंपनी के आस-पास के अंचल का विकास, मुआवजा एवं अन्य सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने का आश्वासन कंपनी ने उन्हें दिया था. लेकिन इसे आज तक पूरा नहीं किया. इसके विरोध में गांव के लोगों ने गुरुवार को 11 सूत्री मांगपत्र जिलाधीश अबोली सुनील नरवाणे को सौंपा और कंपनी के साथ बात कर उनकी समस्याओं का समाधान करने की मांग की है.
ग्रामीणों ने सभी 240 परिवारों को मुआवजा देने की मांग की
ग्रामीणों के अनुसार, प्रभावित अंचल के युवाओं को सीधी नियुक्ति, महिलाओं को रोजगार का माध्यम उपलब्ध कराना, हीराकुद बांध से क्षतिग्रस्त 240 परिवारों में से केवल 145 परिवार को ही मुआवजा मिलने से सभी परिवारों को मुआवजा देने की मांग शामिल है. मांगपत्र सौंपने के समय सरपंच खगेश्वर नायक, समिति सदस्य गणेश राउत, घनश्याम सेठ, रुद्र देव साहू सहित दोनों गांव के ग्रामीण उपस्थित थे.
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