राजगांगपुर. राजगांगपुर के डालमिया सीमेंट कॉलोनी में गुरुवार तड़के एक हाथी घुस आया था. जिससे कॉलोनी सहित पूरे शहर के लोग भयभीत थे. इसकी सूचना पर कुछ समय बाद ही वन विभाग ने हाथी के रुकने के स्थान पर पहुंच कर चारों ओर करीब 500 मीटर के इलाके को अपने घेरे में ले लिया. कुछ घंटों में ही जिला वन विभाग के अधिकारी पूरी तैयारी के साथ घटना स्थल पर पहुंचे और स्थिति पर नजर रखते हुए शाम होने का इंतजार करते रहे. हाथी जिस तरफ से आया था, वह रिहायशी इलाका होने के कारण सुरुडीह की ओर खदेड़ने की रणनीति विभाग द्वारा बनायी गयी थी. गुरुवार शाम 5 से 6 बजे के बीच हाथी को सुरुडीह की ओर खदेड़ने की कोशिश भी की गयी, लेकिन वह जिस रास्ते से आया था, उसी ओर जाने की कोशिश करते देखा गया. जिस कारण वन विभाग ने रात के समय हाथी को खदेड़ने का समय तय किया.
पूरे शहर की बिजली काट कर हाथी को सुरक्षित जंगल की ओर खदेड़ा
निर्धारित योजना के अनुसार जैसे ही रात्रि ठीक 9.30 बजे पूरे शहर की बिजली काटी गयी. जिसके बाद हाथी अपने डेरे से निकला. वन विभाग के कर्मचारियों ने पटाखे फोड़ उसको खदेड़ने का प्रयास प्रारंभ किया. जिसमें उन्हें सफलता मिली. हाथी पहले डालमिया मंदिर से निकल स्कूल के रास्ते पर आया. फिर केदारनाथ माइनिंग कॉलोनी में घुस उसके दूसरे दरवाजे से सुशीला इंडस्ट्रीज के तरफ निकल गया. सुशीला इंडस्ट्रीज का मुख्य फाटक बंद होने के बावजूद छोटे दरवाजे में घुसकर दूसरी तरफ झोपड़ी पाड़ा के रास्ते बांठू पाड़ा पहुंचा. जहां से मास्टर कॉलोनी, श्रीराम कॉलोनी के पिछले इलाके से होते हुए सिंघा पाड़ा पार कर जंगल की ओर कूच कर गया. वन विभाग के अधिकारी तथा कर्मचारी इस दौरान उस पर नजर रखे हुए थे. हाथी के जंगल की ओर कूच करने की खबर के बाद सभी ने राहत की सांस ली. सुबह पांच बजे से रात 10 बजे तक 17 घंटे पूरे शहर के लोग विशेष कर डालमिया सीमेंट कॉलोनी काफी चिंता में रहे. इस दौरान वन विभाग, पुलिस प्रशासन तथा डालमिया सीमेंट कंपनी के सुरक्षा अधिकारी, कर्मचारियों का हौसला बुलंद रहा, जिस कारण बिना किसी जान माल के नुकसान के हाथी को जंगल में खदेड़ा जा सका.
जिस जगह पहुंचा था हाथी, वहां कभी हुआ करता था हाथीघर
शहर में गुरुवार को घुसे हाथी ने डालमिया मंदिर के पीछे गोल्डन जुबिली पार्क के नजदीक जिस जंगल नुमा जगह पर अपना डेरा बनाया था, उसके कुछ दूरी पर ही कभी हाथीघर हुआ करता था. इसमें ओडिशा सीमेंट लिमिटेड की ओर से 1960-70 के दशक में हाथियों को रखा जाता था. उस समय तकनीकी के क्षेत्र में भारत बहुत ज्यादा उन्नत नहीं था, जिस कारण रेलवे के डिब्बों को ठेलने के लिए हाथियों का इस्तेमाल किया जाता था. देश में जानवरों के इस्तेमाल पर रोक लगने संबंधी कानून लागू होने के बाद धीरे-धीरे यहां हाथियों का इस्तेमाल पूरी तरह बंद कर दिया गया. गुरुवार को हाथी के शहर में घुसने पर इसकी यादें ताजा हो गयीं.
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