एक दशक पुरानी बालूघाट थोक मंडी परियोजना का इंतजार खत्म करेगी नयी सरकार

ओडिशा में भाजपा की सरकार बनने के बाद राउरकेला के लोगों को लंबित परियोजनाओं के पूरा होने की उम्मीद जगी है. 2014 में शुरू की गयी बालूघाट थोक मंडी परियोजना के पूरा होने से लोगों को ट्रैफिक समस्या से राहत मिल सकती है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 14, 2024 11:18 PM

राउरकेला. बालूघाट में थोड़ मंडी एक दशक पुरानी परियोजना है. अब सूबे में नयी सरकार के पदभार संभालने से इस उम्मीद को फिर एक बार पंख लग रहे हैं. हालांकि, अब भी सवाल वही है कि क्या नयी सरकार इसे पूरा करेगी? एक थोक मंडी के निर्माण से स्मार्ट सिटी की कई समस्याओं का एकमुश्त समाधान होना है. लिहाजा शहर के लिए यह बेहद जरूरी परियोजना है, जो पिछले एक दशक से अटकी पड़ी है. वर्ष 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने बालूघाट में इस परियोजना का शिलान्यास किया था. बाद में कई अड़चनों के बाद जिला खनिज कोष से इसके निर्माण की प्रक्रिया भी शुरू हुई थी. स्मार्ट सिटी राउरकेला के तत्कालीन सीइओ से इस परियोजना का विस्तृत तथ्य (डीपीआर) मांगा गया था. प्राथमिक चरण में इसके लिए 25 करोड़ रुपये देने की बात हुई. राउरकेला महानगर निगम के जरिए इसका काम करने की घोषणा हुई थी. लेकिन इन सभी के बीच यह परियोजना आगे नहीं बढ़ पायी.

शहर की ट्रैफिक समस्या को ध्यान में रखकर की गयी थी परिकल्पना

दरअसल इस परियोजना की परिकल्पना शहर की ट्रैफिक समस्या को ध्यान में रखकर की गयी थी. शहर के अंदर चावल, आटा, आलू, प्याज, मछली, फल से लदे भारी वाहन प्रवेश करते हैं. ऐसे में इस समस्या के समाधान के लिए बालूघाट के पास 10 एकड़ जमीन की पहचान की गयी थी. जहां आरएमसी (रेग्युलेटेड मार्केट कमेटी) की ओर से कृषक बाजार बनाया जाना तय हुआ था. इसके लिए 10 साल पहले 23 फरवरी, 2014 को तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने शिलान्यास भी किया था. सरकार की ओर से इसकी चहारदीवारी समेत अन्य कार्य के लिए 98.45 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गयी थी. चहारदीवारी का निर्माण कार्य शुरू होते ही विस्थापितों ने जमीन को लेकर विरोध किया. जिससे इस योजना को अधूरा छोड़ दिया गया. इसके चारों ओर चहारदीवारी का काम भी पूरा नहीं हो पाया था. बाद में डीएमएफ कोष से कृषक बाजार निर्माण के लिए स्मार्ट सिटी सीइओ को पत्र लिखकर डीपीआर मांगा गया था. इसके बाद निर्माण कार्य फिर से शुरू होने की उम्मीद थी. लेकिन एक बार निराशा हाथ लगी और काम नहीं हुआ. इस बार के चुनाव में किसी नेता ने इस मुद्दे का जिक्र तक नहीं किया.

थोक कारोबारियों को बालूघाट किया जाना था शिफ्ट

शहर में फिलहाल थोक मंडी अलग-अलग बाजारों में बंटी है. जैसे प्लांट साइट, पुराना स्टेशन रोड और डेली मार्केट. इन तीन जगहों पर आटा, चावल, दाल, मैदा, सूजी, चीनी, फल, सब्जी, अंडा, मछली जैसे उत्पादों की थोक खरीद-फरोख्त होती है. रोजाना यहां पर बाहरी राज्यों से ट्रकों का आना होता है. बेहद संकरी और अव्यवस्थित इन मंडियों में ही शहर का मुख्य कारोबार होता है. जिसकी वजह से यहां हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है. थोक मंडी बनने की स्थिति में यहां पर भारी वाहनों का प्रवेश नहीं होगा. थोक कारोबारी बालूघाट शिफ्ट हो जायेंगे. यहां पर पहले से ही एनएच-143 काे फोर लेन किया जा चुका है. यानी भारी वाहन शहर के बाहर होते हुए मंडी पहुंचेंगे और वहीं से बाहर निकल जायेंगे. शहर में प्रवेश के लिए छोटे वाहनों का इस्तेमाल होगा, जिससे परिवहन क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा.

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