ओडिशा के व्यवसायी से 2.65 करोड़ ठगी मामले में दो नाइजीरियाई नागरिक समेत तीन गिरफ्तार
-विश्व बैंक में केसर की आपूर्ति करने के लिए नकली क्रय निर्देशनामा के बल पर की थी ठगी
-ओडिशा पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम ने दिल्ली में की छापेमारी -छह मोबाइल फोन, दो लैपटॉप, 10 सिम कार्ड, डोंगल, 10 बैंक पासबुक, दो डेबिट कार्ड और एक आधार कार्ड जब्त प्रतिनिधि भुवनेश्वर ओडिशा पुलिस की क्राइम ब्रांच ने विश्व बैंक में केसर की आपूर्ति करने के लिए नकली क्रय निर्देशनामा के बल पर भुवनेश्वर के एक व्यवसायी से 2.65 करोड़ रुपये ठगी के मामले में दो नाइजीरियाई नागरिक समेत कुल तीन लोगों नयी दिल्ली से गिरफ्तार किया है. आरोपियों की पहचान आरती गौतम, क्रिस्टोफर चिजोबम उर्फ चिजोबम क्रिस्ट और नामडी स्टेनली मबामालू उर्फ जर्मन के रूप में हुई है. क्राइम ब्रांच की टीम तीनों आरोपियों को दिल्ली से ट्रांजिट रिमांड पर लेकर शनिवार रात करीब नौ बजे भुवनेश्वर हवाईअड्डा पहुंची. यहां से तीनों को कटक स्थित क्राइम ब्रांच कार्यालय ले जाया गया है. क्राइम ब्रांच एडीजी अरुण बोथरा ने कहा कि कटक स्थित कोर्ट में चालान किये जाने के बाद तीनों को रिमांड पर लिया जायेगा. क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर विभु रंजन सुंदरराय ने बताया कि खुद को ओडिशा कैडर का पूर्व आइएएस अधिकारी बताते हुए जालसाजों में से एक ने ओडिशा के व्यवसायी से दिसंबर 2023 में सोशल साइट पर संपर्क किया था. सोशल मीडिया पर बातचीत के दौरान, जालसाजों ने पीड़ित को एक ईमेल भेजा और उसे विश्व बैंक मुख्यालय को केसर की आपूर्ति करने की एक परियोजना में शामिल होने की पेशकश की. उसने पीड़ित को परियोजना में रुचि व्यक्त करने के लिए ईमेल के माध्यम से विश्व बैंक खरीद विभाग से संपर्क करने के लिए कहा. जालसाज ने फिर पीड़ित को एक आपूर्तिकर्ता से मिलवाया, जिसने खुद को ऑर्गेनिक्स मर्चेंडाइज में क्षेत्रीय प्रबंधक के रूप में पेश किया, जो भारत में केसर किसानों के लिए एक विपणन एजेंट है. उन्होंने परीक्षण के लिए 10 किलो केसर की शुरुआती आपूर्ति के साथ कारोबार शुरू किया और बाद में विश्व बैंक से फर्जी खरीद आदेश के अनुसार 110 किलोग्राम तक पहुंच गये. पीड़ित ने भारत में बनाये गये विभिन्न बैंक खातों में कई लेन-देन के माध्यम से 2,65,15,940 रुपये का भुगतान किया. जब जालसाज ने और पैसे मांगे, तो पीड़ित को धोखाधड़ी का एहसास हुआ और उसने साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन से संपर्क किया. शिकायत के आधार पर आइपीसी की धारा 419, 420, 465, 467, 468, 471, 120बी और 34 तथा आइटी एक्ट, 2000 की धारा 66डी के तहत मामला (10/2024) दर्ज कर जांच शुरू की गयी. श्री सुंदरराय के नेतृत्व में एक टीम ने जांच की और नयी दिल्ली में आरती को पकड़ने में कामयाब रही. इसके बाद दो नाइजीरियाई नागरिकों को गिरफ्तार कर लिया गया. इनके पास से छह मोबाइल फोन, दो लैपटॉप, 10 सिम कार्ड, 10 बैंक पासबुक, दो डेबिट कार्ड और एक आधार कार्ड बरामद किया गया. सीआइडी-सीबी आइजी, शेफीन अहमद ने कहा कि जांच के दौरान, क्राइम ब्रांच ने पाया कि आरती ने अपने और दूसरों के नाम पर बैंक खाते खोले थे. उसने बैंक खातों का विवरण क्रिस्टोफर के साथ साझा किया और उसने उनका इस्तेमाल गलत तरीके से कमाये गये पैसे प्राप्त करने के लिए किया. जबकि क्रिस्टोफर ने डमी बैंक खातों से पैसे जमा किये, ननमदी ने एटीएम से नकदी निकालकर दूसरे नाइजीरियाई को सौंप दी. गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर सत्यापन के दौरान पाया गया कि यह गिरोह देश भर में साइबर धोखाधड़ी की एक श्रृंखला में शामिल था. 10 राज्यों में कम से कम 94 मामलों में एक ही डमी बैंक खाते का इस्तेमाल किया गया था. उन्होंने कहा कि अन्य मामलों में भी उनकी संलिप्तता का पता लगाने के लिए विभिन्न पोर्टलों पर आगे की जांच चल रही है. क्राइम ब्रांच की टीम को दिल्ली पुलिस के डीसीपी, साउथ वेस्ट और डीसीपी, द्वारका का सहयोग मिला. दिल्ली पुलिस की विशेष टीमों की सक्रिय भागीदारी से इन अपराधियों को पकड़ने के लिए दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर संयुक्त छापे मारे गये.
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