तीन दिवसीय रजो उत्सव शुरू, पारंपरिक परिधान में युवतियों ने झूला का लिया आनंद

ओडिशा में तीन दिवसीय रजो पर्व शुक्रवार से शुरू हो गया है. कुंवारी कन्याओं को समर्पित यह उत्सव तीन दिनों तक बड़े ही आनंद के साथ ओडिशा में मनाया जाता है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 14, 2024 11:38 PM
an image

राउरकेला. ओडिशा में तीन दिवसीय रजो पर्व शुक्रवार से शुरू हो गया है. कुंवारी कन्याओं को समर्पित यह उत्सव तीन दिनों तक बड़े ही आनंद के साथ ओडिशा में मनाया जाता है. इस दिन घर की बालिकाएं, युवतियां और बड़ी-बूढ़ी महिलाएं पूरे दिन मौज-मस्ती करतीं हैं. प्रत्येक वर्ष 14 से 16 जून तक ओडिशा में रजो उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. इन तीनों दिन महिलाएं कोई काम नहीं करती हैं. खाना भी पुरुष ही बनायेंगे. महिलाएं तीन दिन तक नये-नये पारंपरिक कपड़े व आभूषण पहनेंगी. झूला झूलेंगी और नाच-गाना करेंगी. मान्यता है कि जिस प्रकार महिलाओं के प्रतिमास मासिक धर्म होता है, जो उनके शारीरिक विकास का प्रतीक होता है. ठीक उसी प्रकार कुमारी कन्याओं के रजोत्सव का यह महापर्व लगभग तीन दिनों तक बड़े ही आनंद-मौज के साथ ओडिशा में मनाया जाता है. इस दिन भगवान सूर्यदेव की पूजा का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि इससे भावी लोक जीवन में शांति तथा अमन-चैन आता है.

युवतियां नाच-गाना और मस्ती में बिताती हैं पूरा दिन

रजो उत्सव का अपना सामाजिक महत्व भी है. यूं तो ये पर्व कुंवारी कन्याओं के लिए होता है. लेकिन इसे सभी उम्र की महिलाएं धूमधाम से मनाती हैं. पहली रज को घर की बालिकाएं, युवतियां, महिलाएं तथा बुजुर्ग महिलाएं पूरे दिनभर आपस में मिलकर मौज-मस्ती करतीं हैं. नाच-गाना करती हैं. लूडो खेलती हैं. रज पर पान खाती हैं. झूला झूलती हैं. परंपरागत साड़ी और पहनावा धारण करती हैं. अपने हाथों में मेहंदी रचाती हैं. मान्यता है कि जिस प्रकार धरती वर्षा के आगमन के लिए अपने आपको तैयार करती है, ठीक उसी प्रकार पहली रज को कुमारी कन्याएं अपने आपको तैयार करतीं हैं. सुबह उठकर वे अपने शरीर पर हल्दी-चंदन का लेप लगातीं हैं. पवित्र स्नान करतीं हैं. महाप्रभु श्री जगन्नाथ की पूजा करती हैं. अपने भावी सुखमय जीवन के लिए भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना करतीं हैं.

विशेष होता है खान-पान

रजो उत्सव में महिलाएं मौसमी फल कटहल का कोवा, आम, केला, लीची और अन्नानास आदि का सेवन करती हैं. वे ओडिशा के परंपरागत भोजन पोड़ पीठा खाती हैं. पैरों में चप्पल तक नहीं पहनतीं. लगातार तीन दिनों तक घर में किसी प्रकार के काटने व छिलने का काम भी नहीं करतीं हैं. सबसे रोचक बात यह है कि इन तीन दिनों तक ओडिशा में धरती में कोई खुदाई भी नहीं होती है.

इस्पातांचल में संगीत कार्यक्रम मेघ मल्हार आज

रजो उत्सव को विशेष बनाने के लिए राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) की ओर से 15 जून, 2024 को लोकप्रिय ओडिया त्योहार ‘रजो उत्सव’ के उपलक्ष्य में वर्षा ऋतु के आगमन पर नृत्य और संगीत संध्या ‘मेघा मल्हार’ का आयोजन किया जायेगा. इस वर्ष यह उत्सव राउरकेला क्लब के स्पेक्ट्रम हॉल में आयोजित होगा. कार्यक्रम शाम 7:00 बजे शुरू होगा. विशेष संध्या में ओडिसी नृत्य, संबलपुरी लोक नृत्य और अन्य मनोरम पारंपरिक और समकालीन प्रस्तुतियां होंगी, जिसमें रज उत्सव और वर्षा ऋतु के आगमन से जुड़े उत्सव, खेल और मौज-मस्ती का कार्यक्रम शामिल होगा.

राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने दीं शुभकामनाएं

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास और मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने शुक्रवार को ओडिशा के लोगों को रजो उत्सव की शुभकामनाएं दीं. रजो उत्सव एक कृषि त्योहार है जो अधिकतर राज्य के तटीय क्षेत्र में मनाया जाता है. राष्ट्रपति ने कहा कि ओडिशा के लोग मिट्टी और बादलों के प्रति सम्मान के रूप में यह त्योहार मनाते हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, इस कृषि महोत्सव के अवसर पर मैं राज्य और देश के लोगों के लिए सुख, शांति और समृद्धि की कामना करती हूं. मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने कहा, ओडिशा की संस्कृति और परंपरा का यह अनूठा त्योहार सभी के जीवन में खुशी और आनंद लाये. राज्य में शुक्रवार से तीन दिनों तक रजो उत्सव मनाया जा रहा है. इस अवधि के दौरान ऐसा माना जाता है कि धरती माता मासिक धर्म से गुजरती है और मॉनसून के आगमन के साथ भविष्य की कृषि गतिविधियों के लिए खुद को तैयार करती है. ओडिशा पर्यटन विकास निगम (ओटीडीसी) ने त्योहार के दौरान ‘पिठा’ (मिठाई का एक प्रकार) उपलब्ध कराने के लिए विशेष व्यवस्था की है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Exit mobile version