शहर में रोजाना तीन ट्रक बिक रही सुंदरगढ़ की लीची, मुजफ्फरपुर की लीटी को देती है मात

राउरकेला सहित सुंदरगढ़ जिले में स्थानीय स्तर पर उत्पादित लीची ने बाजार पर एक तरह से कब्जा कर लिया है. इनकी जबरदस्त मांग देखी जा रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 30, 2024 11:46 PM

राउरकेला. लीची का नाम लेते ही जेहन में बिहार का मुजफ्फरपुर आता है, जहां की लीचियों की मिठास और रस का अलग ही स्वाद है. लेकिन इन दिनों राउरकेला सहित सुंदरगढ़ जिले में स्थानीय लीचियों ने बाजार पर एक तरह से कब्जा कर लिया है. इनकी जबरदस्त मांग देखी जा रही है. उपभोक्ताओं को 80 रुपये किलो में मुजफ्फरपुर के लीचियों के बराबर या कुछ हद तक उससे बेहतर स्वाद और मिठास वाली लीची मिल रही है. नतीजतन लीची का उत्पादन करनेवाले किसानों को शहर के उपभोक्ताओं का भी भरपूर साथ मिल रहा है. हालत यह है कि रोजाना तीन ट्रक से ज्यादा लीची की खपत बाजार में हो रही है. इसकी मांग लगातार बनी हुई है.

हरी और लाल दिखती है लीची

मुजफ्फरपुर की लीची जहां पूरी तरह से लाल दिखती है, वहीं स्थानीय लीची में हरा और लाल दोनों का मिला रंग है. बाहर से देखने में एकबारगी लगता है कि लीची पकी नहीं होगी, लेकिन खाने पर मीठी और रसीली है. इसके अलावा स्थानीय उत्पाद होने का भी एक फायदा किसानों को मिल रहा है. लोगों में अपने इलाके के उत्पाद के सेवन को लेकर जागरूकता बढ़ी है. लिहाजा लीची का कारोबार जबरदस्त हो रहा है.

फल उत्पादन में आत्मनिर्भर हो रहा है सुंदरगढ़

फलों के उत्पादन के क्षेत्र में सुंदरगढ़ जिला आत्मनिर्भर होने की दिशा में बढ़ रहा है. स्थानीय लीची इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. ना केवल लीची, बल्कि आम के उत्पादन में भी यहां के किसान बेहतर कर रहे हैं. उत्पादन अच्छा होने से डिमांड और सप्लाई के बीच का अंतर भी कम हो रहा है. राउरकेला के बाजार में ही रोजाना तीन ट्रक लीची आ रही है, जिसकी खपत आसानी से हो रही है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version