Rourkela News: आरएसपी में मान्यता यूनियन चुनाव : अंतिम दिन ट्रेड यूनियनों ने रैली व जनसभा में झोंकी ताकत
Rourkela News: आरएसपी में 12 नवंबर को होनेवाले मान्यता यूनियन चुनाव को लेकर रविवार की शाम प्रचार थम गया है. अंतिम दिन यूनियनों ने प्रचार में अपनी ताकत झोंक दी.
Rourkela News: राउरकेला स्टील प्लांट (आरएसपी) में 12 नवंबर को होनेवाले मान्यता यूनियन चुनाव को लेकर रविवार की शाम पांच बजे प्रचार थम गया है. रविवार को प्रचार के अंतिम दिन इस चुनाव में शामिल आधा दर्जन से अधिक यूनियनों ने अपनी पूरी ताकत झाेंक दी. रैली निकालने के साथ नुक्कड़ सभा व जनसभा में इस्पात श्रमिकों को लुभाने का प्रयास किया गया. बीएमएस संबद्ध राउरकेला इस्पात कारखाना कर्मचारी संघ (रिक्स) की ओर से रविवार सुबह तारिणी मंदिर में पूजा करने के साथ सेक्टर-4 बीएमएस कार्यालय से रैली निकाली गयी. यह रैली अलग-अलग सेक्टरों की परिक्रमा करने के बाद सेक्टर-6 टेलीफोन भवन के सामने आकर एक जनसभा में तब्दील हो गयी. इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप राय, पूर्व विधायक शंकर ओराम, बीएमएस के नेता हिमांशु बल, कृष्णचंद्र मिश्र, सुरेंद्र कंसारी, बेनेडिक्ट तिर्की, विवेकानंद महांत, समिता मिश्र व अन्य शामिल हुए. इस जनसभा में इस्पात श्रमिकों को वेरियेबल पर्क परसेंटेज काे लेकर कोई मांग न करने को लेकर इंटक, एचएमएस व एटक पर निशाना साधा गया. वहीं 39 महीनों के बकाया एरियर नहीं मिलने, सम्मानजनक बोनस नहीं मिलने, ग्रेच्युटी में सीलिंग लगाने समेत अन्य श्रमिक विरोधी मुद्दों को लेकर भी अन्य यूनियनों पर निशाना साधा गया.
आरएसएस ने इस्पात श्रमिकों के सम्मान व स्वाभिमान की रक्षा का किया वादा
राउरकेला श्रमिक संघ (आरएसएस) की ओर से रविवार को गांगपुर मजदूर मंच के सेक्टर-8 स्थित कार्यालय के समक्ष एक जनसभा हुई. इस जनसभा में एनजेसीएस के माध्यम से 39 महीनों का बकाया एरियर प्रदान करने, ग्रेच्युटी पर सीलिंग हटाने का वायदा किया गया. इसके अलावा आरएसपी को निजीकरण से बचाने, फेशियल अटेंडेंट से मुक्ति दिलाने समेत इस्पात श्रमिकों के सम्मान व स्वाभिमान की सुरक्षा की गारंटी भी दी गयी है. इसमें राउरकेला श्रमिक संघ के महासचिव प्रशांत बेहेरा, अध्यक्ष डीएस पाणिकर समेत दिलीप महापात्र, चक्रधर पंडा, गांगपुर मजदूर मंच के महासचिव गोपाल दास, पूर्व विधायक जॉर्ज तिर्की, बिरमित्रपुर विधायक रोहित जोसेफ तिर्की, मानस एक्का, सुलेमान काउड़िया, संजय पंडा समेत दोनों संघ के कार्यकर्ता शामिल थे.
सभी यूनियनों ने लगाया पूरा जोर
सीटू नेता विष्णु मोहंती, बसंत नायक, विमान माइती की अगुवाई में सीटू संबद्ध स्टील एम्प्लाइज ट्रेड यूनियन की ओर से प्रचार के अंतिम रैली निकालकर इस्पात श्रमिकों काे अपने पक्ष में करने का प्रयास किया गया. इसके अलावा एटक संबद्ध राउरकेला स्टील मजदूर यूनियन, हिंद मजदूर सभा संबद्ध राउरकेला मजदूर सभा, राउरकेला इस्पात कर्मचारी संघ व अन्य यूनियनों की ओर से अंतिम दिन रविवार को जोरदार प्रचार किया गया.
11 केंद्रों में हाेगा मतदान, शाम 6:30 बजे से मतगणना
इस चुनाव को लेकर 12 नवंबर को राउरकेला स्टील प्लांट के अंदर व बाहर बने 11 मतदान केंद्रों में मतदान किया जायेगा. मतदान का समय सुबह छह बजे से शाम चार बजे तक निर्धारित है. इस बार कुल 9441 वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. 12 नवंबर काे मतदान खत्म होने के बाद शाम के 6:30 बजे सेक्टर-18 स्थित दीपिका इस्पात शिक्षा संस्थान में मतों की गिनती शुरू होगी. मतों की गिनती के बाद परिणाम की घोषणा की जायेगी.
प्रचार में छाया रहा बकाया एरियर, सम्मानजनक बोनस व ग्रेच्युटी सीलिंग का मुद्दा
इस बार चुनाव प्रचार में 39 महीनों का बकाया एरियर, सम्मानजनक बोनस समेत ग्रेच्युटी पर सीलिंग हटाने का मुद्दा मुख्य रूप से छाया रहा है. इसके लिए इस्पात श्रमिकों काे हो रही आर्थिक क्षति को लेकर सभी यूनियनों ने एक-दूसरे पर निशाना साधा. लेकिन इन मुद्दाें का समाधान करने को लेकर राउरकेला स्टील प्लांट के स्थायी कर्मचारी किस यूनियन को अपना हितैषी मानते हैं, इसका पता 12 नवंबर को चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद ही चल पायेगा.
50 हजार रुपये से अधिक बोनस अब तक है इस्पात श्रमिकों का सपना
देश के अन्य राष्ट्रीय उद्योगों से लेकर निजी उद्योगों में जहां कर्मचारियाें को लाखों रुपयों का सालाना पूजा बोनस मिलता है. वहीं इस्पात कर्मचारियों के लिए अभी तक 50 हजार रुपये से अधिक बोनस पाना एक सपना ही बनकर रह गया है. इस्पात श्रमिकों को 2017 से लेकर 2021 तक 18,200 रुपये का बोनस मिला था. जबकि 2022 में 40,500 रुपये का बोनस दिया गया था. लेकिन वह भी दो किस्तों में. 2023 में बोनस की राशि लगभग आधी होकर 23,000 रह गयी थी. वहीं 2024 में 26,500 रुपये का बोनस मिला है. इसके लिए गलत बोनस फॉर्मूला को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. लेकिन इस गलत बोनस फॉर्मूला के लिए जिम्मेदार कौन है, यह नहीं बताया जा रहा है.
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