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‘बोल बम का नारा है’ से गूंजा वेदव्यास-घोघड़ मार्ग

सावन की पहली सोमवारी पर घोघड़ धाम में जलाभिषेक के लिए कांवरियों का जत्था रविवार को राउरकेला से रहाना हुआ. इस दौरान महादेव के जयकारों से पूरा मार्ग गूंजायमान रहा.

By Prabhat Khabar News Desk | July 22, 2024 12:12 AM

राउरकेला. सावन का पावन महीना 22 जुलाई से शुरू हो रहा है. इसी दिन पहली सोमवारी होने से रविवार को पवित्र जल कांवर में भरने के लिए वेदव्यास के त्रिवेणी संगम पर कांवरियों का तांता लगा रहा. कांवरिये यहां से जल लेकर घोघड़ धाम, महादेवशाल, सिमडेगा के रामरेखा धाम, बागडीही समेत अन्य शैव पीठों में जलाभिषेक करने के लिए रवाना होते हैं. इस दौरान वेदव्यास धाम में कांवरियों की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किये गये थे. जिसके बाद देर शाम के बाद अधिकतर कांवरियों का जत्था घोघड़ धाम के लिए रवाना हुआ. इस दौरान वेदव्यास से घोघड़ धाम तक का मार्ग ‘हर-हर महादेव’, ‘बोल बम’, ‘भाेले बाबा पार करेगा’, ‘बोल बम का नारा है, बाबा एक सहारा है’ से गूंजायमान रहा.

घोघड़ेश्वर महादेव का हुआ भव्य शृंगार

सावन माह को लेकर घोघड़ धाम में तैयारी पूरी कर ली गयी है. घोघड़ धाम मंदिर की सुंदर सजावट की गयी है. रविवार को बाबा का भव्य शृंगार भक्तों के आकर्षण का केंद्र रहा. जानकारी के अनुसार घोघड़ धाम में जलाभिषेक करने के लिए ओडिशा के विभिन्न जिलों समेत पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ व झारखंड से भी भक्तों की टोली पहुंचती है. घोघड़ेश्वर महादेव का जलाभिषेक करने के लिए रविवार सुबह से वेदव्यास त्रिवेणी संगम में कांवरियों के जत्थों का आना शुरू हो गया है. इन जत्थों में झारखंड के गुमला, पालकोट, बसिया, सिमडेगा, कोलेबिरा, छत्तीसगढ़ के जांजगीर, कोरबा, जशपुर, पत्थलगांव, बागबहार, रायगढ़, चांपा आदि स्थानों से आये कांवरिये शामिल थे. इसके अलावा सुंदरगढ़ जिले के राउरकेला समेत बंडामुंडा, नुआगांव, राजगांगपुर, कांसबाहाल, कुतरा, बड़गांव लाठीकटा, बणई, बीरमित्रपुर, समेत पड़ोसी जिले झारसुगुड़ा के साथ संबलपुर जिले से भी भक्तों की टोली पहुंची.

कांवरियों ने हनुमान वाटिका, वैष्णो देवी मंदिर में की पूजा

घोघड़ेश्वर धाम में महादेव का जलाभिषेक करने के लिए कावंरिये वेदव्यास से जल लेते हैं. इसके लिए रविवार सुबह यहां पहुंची कांवरियों की टोली ने हनुमान वाटिका, वैष्णो देवी मंदिर समेत अन्य धार्मिक स्थलों पर पहुंच कर पूजा-पाठ किया. इंदिरा गांधी पार्क में दिन गुजारने के बाद शाम ढलने के साथ वेदव्यास त्रिवेणी संगम पहुंचे. यहां भक्तों की भीड़ को देखते हुए घोघड़ धाम ट्रस्ट की ओर से पुख्ता प्रबंध किया गया था.

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