मतदाताओं ने साध रखी है चुप्पी, उम्मीदवारों में खलबली

स्मार्ट सिटी राउरकेला के सियासी गलियारों में चुनावी हलचल तेज

By Prabhat Khabar News Desk | April 29, 2024 10:36 PM

विधायक के दावेदार को दिखाये जा रहे सब्जबाग:

राउरकेला सिविल टाउनशिप के एक व्यवसायी तथा विधायक के दावेदार माने जा रहे नेता के करीबी दिन-रात यह बताने में जुटे हैं कि सबकुछ अपना हो चुका है. केवल औपचारिक घोषणा भर बाकी है. अपनी इस कोशिश में कई बार यह शख्स नेताजी से डांट सुन चुके हैं. लेकिन फिर भी सुधार नहीं हो रहा है. नतीजतन नामांकन के दौरान उन्हें दूर ही रखा गया. नेताजी परिपक्व हैं इसलिए धरातल पर बात कर रहे हैं लेकिन उनके आसपास के लोग उन्हें खुश करने के लिए मनमाने तरीके की बात बता रहे हैं.

पुराने वीडियो और तसवीर वायरल कर हो रहे हमले:

चुनाव में गिनती के 21 दिन बाकी रह गये हैं. लेकिन अभी तक राउरकेला विधानसभा सीट से प्रमुख उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ किसी तरह की टीका टिप्पणी से बच रहे हैं. लेकिन उनके समर्थकों की ओर से पुराने वीडियो और तसवीरों को वायरल कर एक-दूसरे पर हमला किया जा रहा है. जिसे लेकर सोशल मीडिया पर एक तरह के जंग जैसा माहौल बन गया है. इनमें एकदूसरे के पुराने कारनामों से जुड़े किस्से-कहानियों को साझा करने की एक होड़ सी मच गयी है.

सभी के पास है पांच हजार का वोट बैंक:

इन दिनों शहर में हर गली-मोहल्ले से दावेदारी आ रही है कि उनके पास पांच हजार वोटों की ताकत है. यह बताकर सियासी सूरमाओं को भरमाने की नाकाम कोशिश हो रही है लेकिन नेताओं के पास पूरा आंकड़ा है लिहाजा वे सुन सभी की रहे हैं लेकिन किसी भी तरह के बहकावे में आये बगैर अपनी कोशिशों पर फोकस कर रहे हैं. दरअसल राउरकेला विधानसभा सीट पर वर्ष 2014 से अगर जीत का अंतर देखें तो दस हजार वोटों का ही रहा है. ऐसे में इस मैजिकल फिगर को साधने के लिए उम्मीदवार अपनी तरफ से पूरी ताकत झोंक रहे हैं और पांच हजार वोटों की ताकत के दावेदारी को नजरअंदाज कर रहे हैं.

सीधे मतदाताओं से जुड़ने की तैयारी में प्रत्याशी:

साल 2024 का चुनाव बेहद रोमांचक और दिलचस्प नजर आ रहा है. खासकर राउरकेला विधानसभा सीट को लेकर मतदाताओं ने जिस तरह की चुप्पी साध रखी है उससे उम्मीदवारों के दिल की धड़कनें तेज हो गयी है. किसी तरह का कोई रूझान समझ नहीं आ रहा है. कार्यकर्ताओं की फौज यह पता लगाने में अब तक विफल रही है कि जनता का मूड क्या है और वे किस तरफ के संकेत दे रहे हैं. ऐसे में उम्मीदवार भी अब कार्यकर्ताओं के भरोसे नहीं बैठकर सीधे मतदाता से जुड़ने की तैयारियों में लग गए हैं.

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