Rourkela News: झीरपानी में बन रहे दूसरे (मिटकुंदरी) ब्रिज का निर्माण कार्य पूरा होने का रास्ता साफ हो गया है. ब्रिज निर्माण को पूरा करने में सबसे बड़ी अड़चन एक स्थानीय ग्रामीण मंगु ओराम की ओर से विरोध किया जाना था. उनका दावा था कि उन्हें मुआवजे की रकम नहीं मिली है. जिस कारण इस ब्रिज का काम पिछले एक साल से रुका पड़ा था. विभाग ने अब मंगु ओराम को 1.46 करोड़ रुपये का मुआवजा दे दिया है. मुआवजा मिलने के बाद अब निर्माण कार्य पूरा होने की उम्मीद स्थानीय लोगों में जगी है. प्रारंभ में इस ब्रिज की लागत सात करोड़ निर्धारित की गयी थी. विभागीय सूत्रों के मुताबिक, तय समय पर परियोजना पूरी नहीं होने के कारण इसकी लागत बढ़ कर 15 करोड़ रुपये तक पहुंच गयी है. मंगु ओराम की करीब 52 डिसमिल जमीन इस परियोजना के लिए अधिग्रहित की गयी थी.
20 ग्रामपंचायतों के हजारों लोगों को मिलेगा लाभ
ब्रिज के लिए कुल पांच खंभों का निर्माण पूरा हो चुका है. जिसमें से चार खंभों के ऊपर पीयर लगाये जा चुके हैं. लेकिन पांचवे पीयर को नहीं चढ़ाया जा सका था क्योंकि मंगु ओराम ने विरोध कर दिया था. अब मुआवजा प्रदान किये जाने के बाद इस काम में तेजी आयेगी. ग्रामीण विकास विभाग के कार्यकारी अभियंता केसी खटुआ ने कहा कि जैसे ही देव नदी में पानी का स्तर कम होगा, हम पांचवें खंभे पर पीयर बिछाने का काम शुरू कर देंगे. हमारा मुख्य उद्देश्य इसे जल्द से जल्द पूरा करना होगा. इस ब्रिज के निर्माण से इलाके की बीस से अधिक ग्रामपंचायतों के हजारों लोगों को आवागमन का मार्ग मिल जायेगा और इलाके की तस्वीर बदल जायेगी.
2018 में शुरू हुआ था पुल का निर्माणकार्य
2018 में झीरपानी को मिटकुंदरी से जोड़ने वाले इस महत्वपूर्ण पुल का काम शुरू हुआ था. जिससे 20 से अधिक ग्राम पंचायतों और बिरमित्रपुर के निवासियों के लिए आवागमन के द्वार खुलने हैं. तब से भूमि अधिग्रहण को लेकर इसका कई बार विरोध हुआ. ब्रिज का काम समय पर पूरा करने के लिए राजनेताओं ने भी कई बार मांग बुलंद की. लेकिन पुल का निर्माण पूरा नहीं हो सका था. देरी का मुख्य कारण भूमि अधिग्रहण था.
52 डिसमिल जमीन का मुआवजा नहीं मिलने पर रुकवा दिया था काम
मंगू ओराम की 52 डिसमिल जमीन इस परियोजना में आयी है. उन्होंने 1.46 करोड़ रुपये का मुआवजा नहीं मिलने के कारण काम रोकवा दिया था. जब से पुल का प्रस्ताव आया और निर्माण शुरू हुआ, तब से जमीन की कीमतें आसमान छूने लगी थीं. कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पिछले साल अक्तूबर में एक महीने से अधिक समय तक प्रदर्शन किया था, जिसमें मुआवजा के तत्काल वितरण और पुल के पूरा होने की मांग की गयी थी. उस समय प्रशासन ने हस्तक्षेप किया और आश्वासन दिया कि मंगू को जल्द ही उसका मुआवजा मिल जायेगा. उस हिस्से के निर्माण के बाद ग्रामीण विकास विभाग जल्द से जल्द पुल का निर्माण पूरा करने की तैयारी कर रहा है. ग्रामीण विकास विभाग की ओर से अब पानपोष उपजिलापाल के कार्यालय में मंगू को उसका चेक सौंपा गया है.
बिरमित्रपुर विधायक की पहल पर की गयी है वैकल्पिक व्यवस्था
झीरपानी-मिटकुंदरी को जोड़ने का एकमात्र रास्ता होने के कारण मजबूरी में स्थानीय लोग निर्माणाधीन ब्रिज से ही आवागमन कर रहे थे, जो बेहद असुरक्षित था. बिरमित्रपुर विधायक रोहित जोसेफ तिर्की ने यहां लोहे के एंगल का उपयोग कर एक अस्थायी पुल का निर्माण करवाया है, जिससे लोग आवाजाही कर रहे हैं. यह पहले की तुलना में अधिक सुरक्षित है.
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