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कोर्ट में केस लड़कर इस्पात कर्मचारियों का बकाया एरियर लेंगे : बीएमएस

बीएमएस नेताओं के साथ बैठक में बोले सेल निदेशक-तीन साल से लोन लेकर दिया जा रहा कर्मचारियों को वेतन

जगन्नाथ महताे, राउरकेला

सेल द्वारा संचालित सभी स्टील प्लांट के कर्मचारियों को 39 महीने का बकाया एरियर कोर्ट के आदेश के बाद ही मिल सकेगा. सेल प्रबंधन ने बकाया एरियर देने को लेकर अपनी असमर्थता जाहिर की है. साथ ही इस बारे में एनजेसीएस के सभी केंद्रीय नेताओं को अवगत कराये जाने की बात कही है. बीएमएस नेता हिमांशु बल की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ने नौ और 10 जुलाई को दो दिवसीय राउरकेला दौरे पर आये सेल के निदेशक (कार्मिक) केके सिंह के साथ बैठक की. इसमें श्री सिंह ने सेल पर 35 हजार करोड़ रुपये का लोन होने तथा पिछले तीन साल से लोन लेकर कर्मचारियों को वेतन दिये जाने की बात कही.हिमांशु बल ने बुधवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि सेल ने यह लोन विस्तारीकरण के लिए लिया है. लेकिन इसके लिए इस्पात कर्मचारियों के पेट पर लात मारी जा रही है. सेल निदेशक के एरियर देने में असमर्थता जताने पर बीएमएस ने कहा है कि जब अधिकारियों को पर्क पर एरियर देने के लिए सेल के पास राशि है, तो कर्मचारियों को बकाया एरियर देने में क्यों आनाकानी की जा रही है. इस पर निदेशक ने कहा कि बीएमएस ने तो बकाया एरियर पाने के लिए कोर्ट में केस किया है. जिस पर बीएमएस नेता हिमांशु बल ने कहा है कि हम केस लड़कर ही इस्पात कर्मचारियों का बकाया एरियर लेंगे. इसके बाद सेल निदेशक ने कहा कि यदि कोर्ट आदेश देती है, तो हम एरियर देने को बाध्य होंगे अन्यथा हम एरियर नहीं दे सकेंगे.हिमांशु बल ने कहा कि इस बातचीत से साबित हो गया है कि इस्पात कर्मचारियों को 39 महीनों का एरियर मिलना या न मिलना अब कोर्ट के आदेश पर ही निर्भर करता है. उन्होंने कहा कि इस मुलाकात के बाद उन नेताओं का भी मुखौटा भी उतर गया है, जो यह झूठ फैला रहे थे कि बीएमएस संबद्ध राउरकेला इस्पात कारखाना कर्मचारी संघ (रिक्स) के कोर्ट केस के कारण एरियर नहीं मिल पा रहा है. लेकिन हमें आशा है कि कोर्ट से इस्पात कर्मचारियों को न्याय अवश्य मिलेगा.

26000 सेवानिवृत्त कर्मियों को भी एरियर का इंतजार

बीएमएस प्रतिनिधिमंडल तथा सेल निदेशक (कार्मिक) केके सिंह के बीच नौ जुलाई को राउरकेला हाउस में हुई बातचीत में यह बात भी सामने आयी है कि एक जनवरी 2017 से 30 जून 2024 तक कुल 26,000 कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं. लेकिन वेतन समझौते को लेकर एमओयू के बाद इन सेवानिवृत्त कर्मचारियों को जितना लाभ हुआ है, उतना ही नुकसान 39 महीनों का बकाया एरियर नहीं मिलने तथा ग्रेच्युटी पर सीलिंग के कारण हुआ है. इसका मतलब है कि 26,000 इस्पात कर्मचारियों के वेतन बढ़ोतरी का भार सेल पर नहीं पड़ा है. इसे लेकर सेल निदेशक (कार्मिक) का जवाब था कि इसी वजह से अभी तक सेल बची हुई है. जिस पर बीएमएस ने कहा कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को जितनी राशि मिलनी चाहिए थी, उससे ज्यादा वे सेल को देकर जा रहे हैं. इसे लेकर सेल निदेशक (कार्मिक) ने कहा कि प्रबंधन की ओर से जो भी किया जा रहा है, वह एमओयू के माध्यम से बहुमत की सहमति के आधार पर ही किया जा रहा है. इस पर बीएमएस ने गत सात वर्ष में सेल का शुद्ध मुनाफा 24,400 करोड़ रुपये से अधिक होने के बाद इस्पात कर्मचारियों को उनका न्यायोचित देय न मिलने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. साथ ही राउरकेला स्टील प्लांट द्वारा संचालित स्कूलों का निजीकरण करने को लेकर भी बीएमएस की ओर से नाराजगी जतायी गयी है.

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