सुंदरगढ़. एकीकृत आदिवासी विकास प्राधिकरण, सुंदरगढ़ की ओर से स्थानीय विकास भवन प्रांगण में गुरुवार को ‘मेरा जंगल जमीन योजना’ के तहत एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस योजना का मुख्य उद्देश्य वन अधिकार अधिनियम के कार्यान्वयन में तेजी लाना और वनों पर निर्भर आबादी को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उनका आर्थिक विकास सुनिश्चित करना है. कार्यशाला में योजना के कार्यान्वयन में शामिल प्रमुख विभागों जैसे अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति विकास, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, वन और पर्यावरण विभाग और राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग के बीच समस्याओं, कठिनाइयों आदि के बीच उचित समन्वय बनाने, कानून को अधिक से अधिक लोकाभिमुखी बनाने, अनुसूचित जनजातियों और परंपरागत रूप से वन में रहने वाले लोगों को वन भूमि और अन्य सामाजिक सुरक्षा का अधिकार देने, विभिन्न सरकारी योजनाओं और समाज की मुख्यधारा में शामिल करने, उनकी संस्कृति का संरक्षण करने, परंपराओं, वन संसाधनों का संरक्षण करने, उनकी आजीविका में मदद करने और उनके जीवन स्तर में सुधार लाने आदि पर चर्चा की गयी.
योजना के कार्यान्वयन को
विभागों के बीच समन्वय पर दिया जोर
कार्यशाला में इस योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए उपरोक्त तीनों विभागों के बीच समन्वय बनाये रखने पर जाेर दिया गया. वन भूमि के लिए आवेदनों की उचित जांच और पात्र जनजातियों और पारंपरिक निवासियों को वन भूमि पर रहने और खेती करने का अधिकार दिये जाने पर चर्चा की गयी. बाद में कार्यक्रम में फील्ड स्टाफ के साथ खुली चर्चा की गयी और योजना से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया. एकीकृत आदिवासी विकास प्राधिकरण के परियोजना प्रशासक धीरेंद्र सेठी, अतिरिक्त जिलापाल अभिमन्यु माझी, सदर, पानपोस और बणई के उपजिलापाल क्रमश: दाशरथी सराबू, विजय नायक, सुरंजन साहू, अतिरिक्त जिला कल्याण अधिकारी दमयंती नायक, सभी तहसीलदार, वन विभाग के अधिकारी, रेंजर, स्वयंसेवी संस्थान के कार्यकर्ता उपस्थित थे.
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