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मोदी कैबिनेट से पशुपति पारस का इस्तीफा, एनडीए छोड़ने पर साधी चुप्पी

पशुपति पारस ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है. पारस ने दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उन्होंने कैबिनेट से खुद को अलग कर लिया है. उन्होंने आगे की रणनीति का खुलासा नहीं किया है.

पटना. बिहार में सीट बंटवारे को लेकर नाराज चल रहे केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) प्रमुख पशुपति कुमार पारस आज केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया हैं. हालांकि एनडीए छोड़ने पर उन्होंने कोई भी टिप्पणी नहीं की. पशुपति पारस दिल्ली पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मेरे और मेरी पार्टी के साथ नाइंसाफी हुई मुझे एक भी सीट नहीं दी गई है.उन्होंने केंद्रीय मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया है.पशुपति पारस मोदी सरकार में खाद्य और प्रसंस्करण मंत्री थे. इसके साथ ही शाम को चार बजे पारस दिल्ली से पटना के लिए रवाना होंगे. सूत्रों के मुताबिक पशुपति पारस और उनके पार्टी के नेता राजद के संपर्क में हैं. हालांकि, यहां भी बात बनने की संभवना बेहद कम है.

ईमानदारी से एनडीए की सेवा की

इस्तीफे के बाद मीडिया से बातचीत के क्रम में पशुपति पारस ने कहा कि सोमवार को एनडीए में सीटों का बंटवारा हो गया. मैंने पांच-छह दिन पहले कहा था कि मैं तब तक इंतजार करूंगा जब तक एनडीए की सीटों की घोषणा आधिकारिक तौर पर ना हो जाए. पशुपति ने आगे कहा कि उन्होंने ईमानदारी से एनडीए की सेवा की, आज भी वह पीएम मोदी के शुक्रगुजार हैं, लेकिन हमारी पार्टी और व्यक्तिगत रूप से हमारे साथ ना इंसाफी हुई. उन्होंने कह कि इसलिए उन्होंने केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है.

राजग के अंदर नहीं मिली थी कोई सीट

दरअसल, एनडीए सीट बंटवारे को लेकर हुए समझौते में राजग में शामिल केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के दावे को नजरअंदाज किया गया है. एनडीए में उसे एक भी सीट नहीं दी गई है. यहां भाजपा मुख्यालय में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दलों के संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाजपा महासचिव व बिहार मामलों के प्रभारी विनोद तावड़े ने यह घोषणा की थी.

भाजपा की प्रतिक्रया

पशुपति पारस के इस्तीफे पर बिहार के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता विजय सिन्हा ने कहा कि मोदी जी ने रामविलास पासवान के उत्तराधिकारी के रूप में चिराग को नहीं बल्कि पशुपति पारस को आगे बढ़ाया. अब चिराग को भी मौका मिलना चाहिए. विजय सिन्हा ने कहा कि हम पशुपति पारस की इज्जत करते हैं और उन्हें पूरा सम्मान देंगे.

आरजेडी का बड़ा बयान

पशुपति पारस के इस्तीफे पर आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि पशुपति पारस के पास पांच सांसद थे, उन्हें एक भी सीट नहीं दी जबकि चिराग अकेले सांसद थे और उन्हें पांच सीट दे दी, ये साफ है बीजेपी ने रामविलास जी के उत्तराधिकारी के रूप में उनके बेटे को चुना है. पारस को महागठबंधन में शामिल करने के सवाल पर शिवानंद तिवारी ने कहा कि अभी वह जहां पर है, वहां उन्हें कोई सीट नहीं मिली तो मैं आगे का क्या बोलूं.

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राजद से हो सकती है बातचीत

वहीं, सोमवार को दिल्ली में राजग द्वारा बिहार की सभी 40 लोकसभा सीटों के बंटवारे की घोषणा के बाद पारस ने अपने सरकारी आवास पर पार्टी के नेताओं के साथ बैठक की. इसमें राजग से नाता तोड़ कर महागठबंधन में शामिल होने का फैसला लिया गया. बैठक में पशुपति पारस ने सर्वसम्मति से फैसला लिया है कि जब राजग ने हमारी पार्टी का सम्मान नहीं किया है तो पार्टी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है. इसको लेकर हमारी पार्टी की बात लालू यादव से हुई है और यह बात सकरात्मक रही है. हालांकि, फिलहाल इसको लेकर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है.

इन सीटों पर हो सकती है राजद से बातचीत

दिल्ली में पारस के आवास पर देर शाम तक चली राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) की बैठक में अन्य विकल्प पर चर्चा हुई. इससे पहले भी पारस ने पहले ही साफ कर दिया था कि हम राजग में सीट शेयरिंग की घोषणा तक इंतजार करेंगे. अब हमारे लिए एकमात्र विकल्प बचा है. पार्टी के लिए अस्तित्व का सवाल है. राजग में मेरे साथ न्याय नहीं हुआ. पार्टी सूत्रों ने बताया कि महागठबंधन में हाजीपुर, समस्तीपुर, खगड़िया, वैशाली और नवादा लोकसभा सीट मिलेगी. पारस खुद हाजीपुर से चुनाव लड़ेंगे.

राजग में चिराग को मिली है पांच सीटें

बिहार में बीजेपी 17, जेडीयू 16 और चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी(आर) को 5 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को एक-एक सीट दी गई है. एनडीए में शामिल एलजेपी के पशुपति पारस गुट को एक भी सीट नहीं दी गई है. लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा, जद(यू) और लोजपा को संयुक्त रूप से 39 सीट पर जीत मिली थी. राज्य में राजग का मत प्रतिशत 53 से अधिक था, जो विपक्षी ‘महागठबंधन’ को मिले मतों से लगभग 20 प्रतिशत ज्यादा था.

(भाषा इनपुट के साथ)

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