एनके महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष जुटे सैकड़ों विस्थापित

रोहिणी परियोजना के विस्तार से विस्थापित होने के कगार पर खड़े तुमांग, करकटा और नवाडीह ग्रामीणों की समस्या को लेकर बिरसा विस्थापित प्रभावित मंच ने सोमवार को एनके महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 11, 2024 8:53 PM

पांच सूत्री मांगों को लेकर किया प्रदर्शन फोटो 11 डकरा 01 प्रदर्शन में शामिल हुए लोग प्रतिनिधि,डकरा रोहिणी परियोजना के विस्तार से विस्थापित होने के कगार पर खड़े तुमांग, करकटा और नवाडीह ग्रामीणों की समस्या को लेकर बिरसा विस्थापित प्रभावित मंच ने सोमवार को एनके महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया. मंच के नेता ग्रामीणों के साथ जुलूस की शक्ल में पहुंचे. प्रदर्शन के बाद पांच सूत्री मांग पत्र प्रबंधन को सौंपा.

मांग पत्र में रोहिणी करकट्टा ओसीपी अंतर्गत 863.29 हेक्टेयर जमीन का सीमांकन करने, सभी भूमि का प्रकार सहित कुल रकबा चिह्नित करने, पेटपेट के रैयतों की स्थिति स्पष्ट करने, ढ़ूब बस्ती में रहनेवाले रैयतों को लेकर प्रबंधन की योजना का खुलासा करने और ढ़ूब और अगरवा बस्ती के ग्रामीण को जिस जगह पर पुर्नवासित किया जाना है, उसकी जानकारी देने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया गया. अध्यक्षता बहुरा मुंडा ने की. संचालन महेंद्र उरांव और धन्यवाद ज्ञापन रामेश्वर भोक्ता ने किया.

इस अवसर पर उमेश लोहरा, सूरज लोहारा, सुनील भोक्ता, जगलाल भोक्ता, बालेश्वर उरांव, राजू लोहरा, बिगन उरांव, लालू मुंडा, प्रसाद मुंडा, अनिल राम, छोटू राम, मंजीता देवी, सरस्वती देवी, सुबरी देवी, बाजो देवी आदि मौजूद थे. ढ़ूब बस्ती पर राज्य सरकार ने जतायी आपत्ति डकरा. एनके एरिया की सबसे बड़ी कोयला परियोजना रोहिणी-करकट्टा खुली कोयला खदान के लिए ढ़ूब बस्ती को भी विस्थापित किया जाना है. प्रबंधन ने 67 मकान को पुर्नवासित करने की योजना बनाकर मुआवजा के लिए जब प्रस्ताव मुख्यालय भेजा, तो मुख्यालय ने इसके लिए राज्य सरकार के संबंधित अधिकारियों से जानकारी ली.सूत्रों ने बताया कि 249 एकड़ जमीन का पोजीशन सर्टिफिकेट राज्य सरकार सीसीएल को पहले ही दे दी है. सीसीएल और राज्य सरकार द्वारा यहां यह पता लगाया जा रहा है कि यहां की जमीन के बदले किसे पूर्व में मुआवजा का भुगतान किया गया है, ताकि काम आगे बढ़ाया जा सके

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