कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना! कोरोना पर विधानसभा सत्र बुलाकर क्या करना चाहते हैं गहलोत
राजस्थान के सियासी फलक पर मंडरा रहेअनिश्चिंतता के बादल कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं. राजनीति में चल तनातनी के बीच अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यपाल के पास विधानसभा सत्र बुलाने के प्रस्ताव भेजा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रस्ताव में कहा गया है वो कोरोना पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाना चाहते हैं. साथ ही इस सत्र में छह और नये बिल पेश करने की योजना है. हालांकि इसमें बहुमत साबित करने का कोई जिक्र नहीं है.
राजस्थान के सियासी फलक मंडरा रहे अनिश्चिंतता के बादल कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं. राजनीति में चल तनातनी के बीच अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यपाल के पास विधानसभा सत्र बुलाने के प्रस्ताव भेजा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रस्ताव में कहा गया है वो कोरोना पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाना चाहते हैं. साथ ही इस सत्र में छह और नये बिल पेश करने की योजना है. हालांकि इसमें बहुमत साबित करने का कोई जिक्र नहीं है.
प्रदेश में इस सियास टकराव के बीच गहलोत को विधानसभा सत्र बुलाने की इतनी जल्दी है कि शुक्रवार को विशेष सत्र बुलाने की मांग को लेकर अशोक गुट के विधायकों ने राजभवन में धरना पर भी बैठ गये. राज्यपाल कलराज मिश्र ने इस दौरान धरना पर बैठे गहलोत गुट के विधायकों से भी बात की. अभी भी इस गुट के विधायक विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग को लेकर अड़े हुए हैं. इस दौरान राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधायकों से बात भी की. हालांकि गहलोत गुट अभी भी विधानसभा सत्र बुलाने के लिए अड़ा हुआ है. इस बीच यह भी सूत्रों के हवाले से यह भी खबर आ रह है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस महीने की आखिर में 31 जुलाई को राजस्थान विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है.
इससे पहले गुरुवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कैबिनेट की बैठक बुलाई थी और विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का प्रस्ताव कैबिनेट से पास भी करा लिया था. इसके बाद शनिवार को दिन भर संविधान के जानकारों और कानूनविदों से चर्चा की गयी. तब जाकर राज्यपाल के प्रस्ताव भेज दिया गया. विशेष सत्र बुलाने के पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि इस दौरान छह बिलों को पेश किया जायेगा.
सरकार ने अपने प्रस्ताव में लिखा है है कि सरकार से पास सत्र बुलाने का संवैधानिक अधिकार होता है. पर इसमें सरकार ने कहीं यह नहीं लिखा है कि सरकार विधानसभा में बहुमत साबित करना चाहती है. जबकि राज्यपाल भी सरकार से ही पूछ रहे थे आखिर किस एजेंडे को लेकर वो विधानसभा का सत्र बुलाना चाहते हैं.
जिस तरह के सियासी हालात राज्य में चल रहे हैं उससे माना यह जा रहा है कि अशोक गहलोत विशेष सत्र बुलाकर बिल के जरिये व्हिप जारी करके सचिन खेमें के 19 विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा अयोग्य करार दिया जायेगा. विधायकों के अयोग्य होने के बाद सदन में कुल विधायकों की संख्या कम हो जायेगी. गहलोत सरकार इसका फायदा उठाकर बहुमत में आ जायेगी. सदन में बहुमत साबित कर देगी.
कुल मिलाकर कहा जाये तो अशोक गहलोत की नजर विधानसभा सत्र पर है और निशाने पर 19 विधायक हैं. जिन्हें विशेष सत्र बुलाकर अयोग्य करार दिलवाना है. दो दिन पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि वे सोमवार से ही विधानसभा का सत्र बुलाना चाहते हैं, लेकिन राज्यपाल कलराज मिश्र कोरोना ने कोरोना संकट और संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री से वक्त मांगा था.
Posted By: Pawan Singh