कोविड19 के खिलाफ जंग में शामिल होना चाहते हैं पाकिस्तान से आये प्रवासी हिंदू डॉक्टर

war against covid19 pandemic जोधपुर : पाकिस्तान के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने वाले प्रवासी हिंदू चिकित्सकों के एक समूह ने सरकार से यहां कोरोना वायरस का मुकाबला कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों के साथ काम करने की इजाजत देने की मांग की है. इन चिकित्सकों को भारत में तब तक कार्य (प्रैक्टिस) करने की इजाजत नहीं है, जब तक वे मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) द्वारा निर्धारित परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर लेते.

By Mithilesh Jha | April 19, 2020 12:21 PM
an image

जोधपुर : पाकिस्तान के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने वाले प्रवासी हिंदू चिकित्सकों के एक समूह ने सरकार से यहां कोरोना वायरस का मुकाबला कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों के साथ काम करने की इजाजत देने की मांग की है. इन चिकित्सकों को भारत में तब तक कार्य (प्रैक्टिस) करने की इजाजत नहीं है, जब तक वे मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) द्वारा निर्धारित परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर लेते.

Also Read: ड्यूटी के दौरान कोविड19 संक्रमण से मृत्यु पर कर्मचारी के परिवार को 50 लाख रुपये की सहायता

विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करने वाले चिकित्सकों के लिए भारत में कार्य करने के लिए यह परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य है. इन चिकित्सकों ने वर्तमान में कोरोना महामारी की स्थितियों के मद्देनजर सरकार से परीक्षा नियम से छूट प्रदान कर उन्हें कोरोना के खिलाफ जारी भारत की जंग में सहयोग करने देने की अपील की है.

एक ऐसे ही डॉक्टर हैं एमएल जांगिड़, जो 20 साल पहले भारत आये थे. उनके पास कराची के सिंध मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री है. वह बताते हैं कि भारतीय चिकित्सा परिषद से अनिवार्य परीक्षा की अनुमति नहीं मिलने के बाद वह और उनके जैसे 300 अन्य डॉक्टर भारत में प्रैक्टिस करने में समर्थ नहीं हैं, क्योंकि विदेश से एमबीबीए की डिग्री हासिल कर चुके केवल भारतीय नागरिक ही यह परीक्षा दे सकते हैं.

Also Read: Rajasthan Coronavirus Outbreak: तबलीगी जमात ने बढ़ायी राजस्थान की चिंता, तेजी से बढ़ रहे कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज

जांगिड़ ने कहा, ‘यदि भारत सरकार इस मामले को गंभीरता से लेती है और हमें योग्य मेडिकल डॉक्टर के रूप में अनुमति देती है, तो हम कोविड19 से निबटने में कुछ मददगार हो सकते हैं.’ एक अन्य ऐसी ही डॉक्टर हैं, अनिला शारदा, जो 2007 में भारत आयीं और उनके पास पाकिस्तान के हैदराबाद के एक मेडिकल कॉलेज की डिग्री है.

उन्होंने कहा, ‘भारत आने के बाद हमें भारत की नागरिकता हासिल करने में कम से कम 11 साल लग गये और उसके बाद हमें भारत में प्रैक्टिस की अर्हता हासिल करने के लिए एमसीआइ की परीक्षा में शामिल होना था, जो एक कठिन कार्य है. हममें से ज्यादातर उम्र या अन्य कारकों से यह परीक्षा नहीं दे पाये.’

Also Read: Coronavirus Pandemic: राजस्थान में 30 लाख से अधिक लोगों को मिलेंगे 2500-2500 रुपये, गहलोत सरकार का फैसला

सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढ़ा ने सरकार को पत्र लिखकर उनका ध्यान पाक हिंदू शरणार्थी परिवारों के इन 300 से अधिक एमबीबीएस डॉक्टरों की ओर आकृष्ट किया है, जो वर्ष 2000 के बाद भारत आये थे. सोढ़ा ने कहा, ‘हम पिछले कुछ सालों से गृह मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा कानून एवं न्याय मंत्रालय के सामने यह मुद्दा उठा चुके हैं.’

उन्होंने कहा कि वैसे तो सभी पक्ष सैद्धांतिक रूप से राजी हैं, लेकिन उन्हें भारत में प्रैक्टिस करने की इजाजत संबंधी अंतिम कदम उठाया जाना अभी बाकी है.

Exit mobile version