राजस्थान सरकार की याचिका पर मोदी सरकार का दावा : मूल अधिकार का हनन नहीं करता CAA

modi govt claims in response to rajasthan government's petition: CAA does not violate fundamental rights जयपुर/नयी दिल्ली : राजस्थान सरकार की याचिका पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि संशोधित नागरिकता कानून (CAA),2019 संविधान में प्रदत्त किसी मूल अधिकार का हनन नहीं करता है. न ही यह किसी भारतीय नागरिक के कानूनी, लोकतांत्रिक या धर्मनिरपेक्ष अधिकारों को प्रभावित करता है.

By Mithilesh Jha | March 18, 2020 8:03 AM
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जयपुर/नयी दिल्ली : राजस्थान सरकार की याचिका पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि संशोधित नागरिकता कानून (CAA),2019 संविधान में प्रदत्त किसी मूल अधिकार का हनन नहीं करता है. न ही यह किसी भारतीय नागरिक के कानूनी, लोकतांत्रिक या धर्मनिरपेक्ष अधिकारों को प्रभावित करता है.

केंद्र ने सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपने 129 पन्नों के हलफनामे में इस कानून को वैध बताया और कहा कि उसके द्वारा किसी भी तरह की संवैधानिक नैतिकता की सीमा लांघने का सवाल ही नहीं है. याचिकाओं को खारिज करने की मांग करते हुए केंद्र ने कहा कि भारतीय धर्मनिरपेक्षता ‘गैर धार्मिक’ नहीं है. इसकी बजाय यह सभी धर्मों का संज्ञान लेता है और सौहार्द एवं भाईचारे को बढ़ावा देता है.

गृह मंत्रालय के निदेशक बीसी जोशी द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि यह कानून कार्यपालिका को किसी भी तरह की मनमानी करने और अनियंत्रित अधिकार प्रदान नहीं करता है, क्योंकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यकों को इस कानून के अंतर्गत र्निदिष्ट तरीके से ही नागरिकता प्रदान की जायेगी.

इसमें कहा गया है, ‘संशोधन के लागू होने से पहले मौजूद रहे किसी मौजूदा अधिकार का सीएए अतिक्रमण नहीं करता है और यह कहीं से भी किसी भारतीय नागरिक के कानूनी, लोकतांत्रिक या धर्मनिरपेक्ष अधिकारों को प्रभावित नहीं करता है. किसी विदेशी द्वारा भारतीय नागरिकता हासिल करने के लिए मौजूदा व्यवस्था को सीएए द्वारा नहीं छुआ गया है और वह पहले की तरह ही है.’

संशोधित नागरिकता कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में कथित रूप से उत्पीड़न का शिकार हुए हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी अल्पसंख्यक समुदाय के उन सदस्यों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है, जो 31 दिसंबर, 2014 तक यहां आ गये थे.

शीर्ष न्यायालय ने पिछले साल 18 दिसंबर को सीएए की संवैधानिक वैधता की पड़ताल करने का निश्चय किया था, लेकिन इसके क्रियान्वयन पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था. नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ केरल और राजस्थान सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 का सहारा लेते हुए वाद दायर किया है, जबकि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, माकपा, तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा, कांग्रेस के जयराम रमेश, द्रमुक मुन्नेत्र कषगम, एआईएमआईएम, भाकपा और कई अन्य संगठनों ने 160 से अधिक याचिकाएं शीर्ष अदालत में दायर की गयी हैं.

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