नई दिल्ली : भारत में राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया जारी है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. वहीं, विपक्षी दलों ने पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारा है. इन दोनों राजनीतिक गठबंधनों के अलावा कुछ अन्य प्रत्याशी निर्दलीय के तौर पर राष्ट्रपति चुनाव में मैदान में ताल ठोके हुए हैं. निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर कई लोगों ने नामांकन दाखिल किया है, तो कई उसकी तैयारी में जुटे हैं. इसी क्रम में जनता कल्याण मोर्चा के अध्यक्ष एवं कबीरपंथी स्वामी जसमेर सिंह महाराज ने भी राष्ट्रपति चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरने का फैसला किया है.
बताया जा रहा है कि स्वामी जसमेर सिंह महाराज वाराणसी के कबीर चौरा काशी मूल गद्दी के श्री महंत और सोनीपत के खेड़ी दमकन स्थित कबीर सत्संग आश्रम के संचालक भी हैं. उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि हमेशा से राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए बड़े राजनीतिज्ञों को जगह दी जाती रही है, लेकिन अध्यात्म और संस्कृति से जुड़े लोग अगर इस चुनाव में अपनी भागीदारी निभाते हैं तो हमारा राष्ट्र और मजबूत होगा.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए वह एक योग्य उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए कम से कम उन्हें 50 वोटों की आवश्यकता होगी. इसके लिए उन्होंने बकायदा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, विपक्ष के नेता राहुल गांधी, सोनिया गांधी, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान, तेजस्वी यादव सहित कई दक्षिण भारतीय मुख्यमंत्रियों को भी पत्र लिखा है. उन्होंने इस चुनाव के लिए उनसे समर्थन मांगा है.
स्वामी जसमेर सिंह महाराज ने कहा कि वह कबीर पंथ से हैं जो समदर्शी दृष्टि रखने वाले थे, इसलिए अगर राष्ट्र के रक्षक में भी कबीर की समदर्शी दृष्टि होगी तो राष्ट्र की उन्नति और प्रगति और बेहतर होगी. उन्होंने जनता और देश के नेताओं से अपील की है कि इस बार राष्ट्रपति चुनाव में आध्यात्मिक गुरु को मौका दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक बार इस चुनाव के लिए 50 वोटरों का उन्हें समर्थन मिल जाए और उनका नामांकन हो जाए तो बाकी समर्थन भी वे जुटा लेंगे. उन्होंने कहा कि उनकी जीत जरूर होगी.