Rajasthan Election : इस्लाम के खिलाफ सोशल मीडिया पर एक पोस्ट का कथित तौर पर समर्थन करने को लेकर कन्हैयालाल की पिछले साल हत्या कर दिये जाने के बाद उनके बेटे यश साहू ने दोषियों को फांसी नहीं दिए जाने तक नंगे पैर रहने, अपने बाल नहीं कटवाने व उनकी अस्थियां विसर्जित नहीं करने की कसम खा रखी है. यश 21 साल का है और उस लोमहर्षक घटना को याद करते हुए वह कहता है,‘‘मैं अपनी प्रतिज्ञा पर कायम रहूंगा.’’
शहर के व्यस्त हाथीपोल इलाके में दर्जी कन्हैया लाल की उसकी ही दुकान पर दो चाकूधारी लोगों ने हत्या कर दी थी. यह घटना राजस्थान विधानसभा चुनाव में भी मुद्दा बना हुई है. राज्य की 200 विधानसभा सीट के लिए 25 नवंबर को चुनाव होंगे. कन्हैयालाल का परिवार इस समय शहर के बाहरी इलाके में की गोवर्धन विलास कॉलोनी में रहता है. उसका कहना है कि 28 जून को हत्या से पहले ही उन्हें (कन्हैया लाल को) धमकियां मिल रही थीं.
उनके बड़े बेटे यश साहू ने कहा, ‘‘हमारा जीवन पूरी तरह से बदल गया है. नेता हमारे पास आते हैं, एक-दूसरे पर दोषारोपण करते हैं. हम (इस मुद्दे पर) राजनीति नहीं चाहते हैं, लेकिन निश्चित ही हम चाहते हैं कि राजनीतिक दल इस मामले में सख्त रुख अपनाएं ताकि दोषियों को मौत की सजा मिल सके.’’ मुख्य विपक्षी दल भाजपा इस मुद्दे को विधानसभा चुनाव में मुख्य मुद्दा बनाने की पूरी कोशिश में है और इसको लेकर उसने सत्तारूढ़ कांग्रेस पर निशाना साधा है. हालांकि सत्तारूढ़ दल का दावा है कि आरोपी भाजपा से जुड़े थे.
उदयपुर सीट पर भाजपा के उम्मीदवार तारा चंद जैन ने कहा, ‘‘निश्चित रूप से कन्हैया लाल हत्याकांड का चुनाव पर असर पड़ेगा. इस जघन्य घटना के बाद लोगों में गुस्सा है.’’ उन्होंने कहा,‘‘यह पूरी तरह से कांग्रेस सरकार विफलता थी. (कन्हैया) लाल के परिवार ने पुलिस को उनकी जान पर खतरे के बारे में सूचित किया था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. इस ढिलाई के कारण यह घटना हुई… इससे शहर की छवि खराब हुई. इसे पाकिस्तान से भी जोड़ा गया, तो लोग इतनी बड़ी घटना को कैसे भूल सकते हैं.’’
जैन के अनुसार सरकारी भर्तियों के प्रश्नपत्र लीक होने से राज्य के युवाओं को नुकसान हुआ है. उदयपुर जिले की आठ विधानसभा सीटों में से एक उदयपुर सीट यहां से विधायक रहे भाजपा नेता गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल नियुक्त किए जाने के बाद खाली हो गई थी. उदयपुर से कांग्रेस प्रत्याशी गौरव वल्लभ ने आरोप लगाया कि कन्हैयालाल हत्याकांड के आरोपी भाजपा के सदस्य थे. उन्होंने दावा किया, ‘‘भाजपा नेताओं के साथ उनकी तस्वीरें हैं… उनमें से एक नेता ‘असम के महामहिम’ (राज्यपाल) हैं.’
वल्लभ ने कहा,‘‘आरोपी भाजपा के सदस्य थे. राजस्थान पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया फिर एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) ने मामले को जल्दबाजी में अपने हाथ में ले लिया? अमित शाह (केंद्रीय गृह मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता) को लोगों को बताना चाहिए कि ऐसा क्यों और किसको बचाने के लिए किया गया.’’ राज्य की अशोक गहलोत सरकार ने घटना के बाद कन्हैयालाल के परिवार को चौबीसों घंटे पुलिस सुरक्षा प्रदान की गई और उनके दोनों बेटों को निजी सुरक्षा अधिकारी नियुक्त किया गया और सरकारी नौकरी दी गई है.
कन्हैयालाल की पत्नी जसोदा ने कहा कि मामले को अंजाम तक पहुंचाया जाना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया,‘‘ एनआईए हमें अदालत में घटनाक्रम के बारे में नहीं बताती है और हमें केवल खबरों से ही पता चलता है.’’ रियाज अटारी और गौस मोहम्मद पर कन्हैया लाल की हत्या करने, इस अपराध का वीडियो शूट करने और उसे सोशल मीडिया पर प्रसारित करने का आरोप है. घटना के कुछ घंटे बाद ही इन्हें राजसमंद जिले में पकड़ लिया गया था. इसके बाद एनआईए ने इस मामले को अपने हाथ में ले लिया था. अटारी और गौस समेत आठ आरोपी फिलहाल न्यायिक हिरासत में है.
वहीं उदयपुर में मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने कहा कि समुदाय का इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है और मामले का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. धार्मिक नेता मुफ्ती शकीरुल क़ादरी ने कहा, “यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी और समुदाय ने इसकी निंदा की थी. ऐसे मुद्दों पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए और पूरे समुदाय को मामले से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.” शहर के मंडी क्षेत्र के व्यापारी शत्रुघ्न ने कहा,‘‘ कन्हैया लाल की हत्या के बाद व्यापारी डर में हैं. कुछ को धमकियां भी मिलीं. हम सुरक्षित माहौल चाहते हैं और यह तब हो सकता है जब कोई सरकार, योगी (उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री) की सरकार की तरह काम करेगी.’’
कन्हैयालाल कांड के अलावा यहां झीलों के शहर में बेहतर सफाई, स्वच्छता, सड़कें, जल निकासी और यातायात प्रबंधन जैसे मुद्दे भी हैं. उदयपुर विधानसभा क्षेत्र पिछले दो दशकों से भाजपा का गढ़ रहा है और कटारिया ने 1953 से लगातार चार बार यहां जीत हासिल की है. छह बार के विधायक रहे कटारिया राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष था. उन्हें फरवरी में असम का राज्यपाल नियुक्त किया गया.