प्रवासी मजदूरों पर मेहरबान हुई राजस्थान सरकार, बाड़मेर से 1200 मजदूरों को मुफ्त में पहुंचाया बिहार

राजस्थान (Rajasthan )के सीमावर्ती जिले बाड़मेर से बिहार (Barmer to bihar) भेजे गए 1200 श्रमिकों (Migrant labours)में से किसी भी श्रमिक को खुद की जेब से कोई किराया नहीं देना पड़ा. उन्हें राज्य सरकार के प्रयासों से मुफ्त में बिहार पहुंचाया गया। जिला कलेक्टर के माध्यम से 600 श्रमिकों का चार लाख रुपए से अधिक किराया रेलवे को जमा कराया गया. शेष 600 श्रमिकों का किराया विभिन्न कंपनियों व ठेकेदारों ने सीधा रेलवे के खाते में जमा कराया.

By Agency | May 15, 2020 11:58 AM
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राजस्थान के सीमावर्ती जिले बाड़मेर से बिहार भेजे गए 1200 श्रमिकों में से किसी भी श्रमिक को खुद की जेब से कोई किराया नहीं देना पड़ा. उन्हें राज्य सरकार के प्रयासों से मुफ्त में बिहार पहुंचाया गया। जिला कलेक्टर के माध्यम से 600 श्रमिकों का चार लाख रुपए से अधिक किराया रेलवे को जमा कराया गया. शेष 600 श्रमिकों का किराया विभिन्न कंपनियों व ठेकेदारों ने सीधा रेलवे के खाते में जमा कराया. बाड़मेर जिला कलक्टर विश्राम मीणा ने बताया कि केन्द्र सरकार के तीन मई तथा राज्य सरकार के 5 मई के जारी निर्देशानुसार जो श्रमिक अपने कार्यालयों, कारखानों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों से लॉक डाउन से पूर्व रवाना हो गये थे परन्तु ना तो वह अपने घर जा पाये और न ही वापिस अपने कार्यालय व औद्योगिक प्रतिष्ठान में आ पाए.

उन्होंने बताया कि ऎसे श्रमिकों को चिह्वित कर उन्हें विभिन्न परिवहन साधनों के माध्यम से अन्य राज्यों में भिजवाया गया. उन्होंने कहा कि इसी चरण में बिहार के ऎसे श्रमिकों का सर्वे व चिह्वीकरण सभी उपखण्ड अधिकारियों के माध्यम से करवाया गया, जिसमें बाड़मेर जिले में लगभग 1675 श्रमिक पाए गए. मीणा ने बताया, ‘‘बाड़मेर जिले में फंसे लगभग 1675 श्रमिकों को रेल के माध्यम से बिहार भेजने के लिए परिवहन आयुक्त को प्रस्ताव भेजा गया. उनके प्रयासों से इसकी स्वीकृति मिली और 10 मई को बाड़मेर से मोतिहारी के लिए 1200 यात्रियों की ट्रेन से रवानगी की गई.

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इस ट्रेन में सवार 600 श्रमिकों का 675 रुपए प्रति श्रमिक के हिसाब से 4 लाख 5 हजार रुपए रेलवे के खाते में जिला प्रशासन ने आपदा एवं सहायता विभाग से प्राप्त अन्टाइड फण्ड से जमा करवाए. उन्होंने बताया कि इसी प्रकार बाड़मेर उपखण्ड के 316 व गुड़ामालानी उपखण्ड के 284 श्रमिकों का किराया विभिन्न कम्पनियों व ठेकेदारों की ओर से सीधे ही रेलवे के खाते में जमा करवाया गया.

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