कोटा/बूंदी : कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू किये गये लॉकडाउन के चलते जहां अधिकतर धार्मिक स्थान आम लोगों के लिए बंद हैं. वहीं राजस्थान के हाड़ोती क्षेत्र में भगवान शिव के कई मंदिरों में यह माता पार्वती की ‘गायब’ मूर्तियों की वापसी में भी बाधक बन गया है और इनमें शिवजी ‘अकेले’ हैं.
बूंदी जिले के हिंडोली शहर में स्थित रघुनाथ घाट में मंदिर के पुजारी राम बाबू पराशर कहते हैं, ‘इन मूर्तियों को वापस आना चाहिए था. लॉकडाउन के कारण मंदिर में कोई शादी नहीं हुई, इसलिए मूर्ति अब भी गायब है.’
सरकारी स्कूल में शिक्षक राम बाबू पराशर (55) ने बताया कि शताब्दियों पुरानी मान्यता है कि अगर किसी की जल्दी शादी नहीं होती है, तो उसे रात को माता पार्वती की मूर्ति को ‘उठा’ ले जाना चाहिए. उन्होंने बताया, ‘इससे भगवान शिव को अपने जीवनसाथी से अलगाव का अहसास होगा और उसकी जल्द शादी हो जायेगी.’
उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र के युवक इस परंपरा का पालन करते हैं और माता पार्वती की प्रतिमा अपने घर ले जाने के बाद वे उनसे प्रार्थना करते हैं कि वह भगवान शिव से उसके लिए योग्य पत्नी का आशीर्वाद पाने में मदद करें.
पुजारी ने कहा, ‘उनकी इच्छा पूरी होने के बाद नवविवाहित जोड़ा माता पार्वती की प्रतिमा के साथ वापस आता है और प्रतिमा को उपयुक्त स्थान पर परंपरा के साथ स्थापित करता है.’ उन्होंने बताया कि और यह सब गुप्त रूप से किया जाता है.
पराशर ने बताया कि गांव के कुछ अज्ञात युवक देवी पार्वती की ढाई फुट लंबी मूर्ति पिछले सावन (जुलाई-अगस्त, 2019) में यहां से ले गये थे. माना जाता है कि मूर्ति 400 से 500 साल पुरानी थी. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, सावन पांचवां महीना है, जिस दौरान भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना होती है.
उन्होंने बताया कि 24 मार्च से जारी लॉकडाउन के बाद से न तो विवाहों की और न ही साामाजिक कार्यक्रमों की अनुमति दी गयी है. इसलिए पार्वती की कई मूर्तियां अब भी गायब हैं. पुजारी ने बताया, ‘चूंकि लॉकडाउन के कारण, अक्षय तृतीया के दिन भी कोई विवाह नहीं हो सका है, इसलिए पिछले 10 महीने से भगवान शिव मंदिर में अकेले हैं.’
राजस्थान में अक्षय तृतीया को विवाह के लिए शुभ माना जाता है. पराशर ने कहा, ‘हमने कभी शिकायत दर्ज नहीं करायी, क्योंकि जहां से मूर्ति गायब होती है, कुछ समय बाद उसी स्थान पर दोबारा स्थापित हो जाती है.’