Rajasthan: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थित विधायकों की ओर से 25 सितंबर की रात को दिए गए इस्तीफे अब विधानसभा अध्यक्ष और सचिव के गले की फांस बन गए हैं. विधानसभा सचिवालय ने सोमवार को राजस्थान हाई कोर्ट को बताया कि कांग्रेस विधायकों ने स्वेच्छा से इस्तीफा नहीं दिया था और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से स्पीकर से इस्तीफा वापस मांगा था.
हाई कोर्ट के सामने स्पीकर सीपी जोशी के फैसले को रखते हुए सचिवालय ने कहा कि विधायकों ने व्यक्तिगत रूप से अपना इस्तीफा वापस लेने की गुजारिश करते हुए साफ कहा था कि उन्होंने स्वेच्छा से इस्तीफा नहीं दिया था. सचिव ने कहा कि विधायकों ने स्वेच्छा से अपना इस्तीफा वापस ले लिया और इस्तीफों को स्वीकार किए जाने की याचिका को जल्दबाजी करार दिया. क्योंकि, स्पीकर ने इस पर फैसला नहीं लिया था.
सचिन पायलट को विधायक दल का नेता घोषित किए जाने से रोकने के लिए 25 सितंबर 2022 को कांग्रेस के 91 विधायकों ने शहरी विकास मंत्री शांति धारीवाल के घर पर इस्तीफों पर हस्ताक्षर किए थे. इसके बाद ये सभी विधायक स्पीकर से मिले थे. दरअसल, अशोक गहलोत के कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की संभावना के बीच बुलाई गई बैठक को सत्ता परिवर्तन की आहट मानते हुए मुख्यमंत्री के करीबी विधायकों ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया था. जिसे पार्टी आलाकमान के खिलाफ विद्रोह के रूप में देखा गया. इसके बाद, विपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ कोर्ट ने याचिका दायर करके स्पीकर की ओर से फैसला नहीं लिए जाने पर सवाल उठाए थे.
विपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि यह 5वीं बार है, जब मुद्दा हाई कोर्ट बेंच के सामने था. स्पीकर की ओर से दिए गए नब्बे पेज के जवाब में सनसनीखेज बात सामने आई है कि विधायकों ने अपनी मर्जी से इस्तीफा नहीं दिया था. इसका मतलब है कि यह दबाव में किया गया था. उन्होंने कहा कि जवाब में उन 5 विधायकों का भी जिक्र है, जो सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के दोनों खेमों को खुश रखने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने इस्तीफे की फोटो कॉपी दी थी, वास्तविक कॉपी नहीं. उन्होंने बताया कि आखिरी सुनवाई 13 फरवरी को होगा.