Rajasthan New CM: कौन होगा राजस्थान का नया सीएम? प्रभारी अरुण सिंह ने दिए संकेत
राजस्थान में नए मुख्यमंत्री को लेकर जारी कयासों के बीच BJP के राज्य प्रभारी अरुण सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री के संबंध में पार्टी के संसदीय बोर्ड का फैसला सभी को मान्य होगा. हालांकि, नवनिर्वाचित विधायकों का यहां पूर्व सीएम वसुंधरा राजे से मिलना जारी है, जिसे शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है.
Rajasthan New CM: राजस्थान में नए मुख्यमंत्री को लेकर जारी कयासों के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)के राज्य प्रभारी अरुण सिंह ने मंगलवार को कहा कि मुख्यमंत्री के संबंध में पार्टी के संसदीय बोर्ड का फैसला सभी को मान्य होगा. हालांकि, नवनिर्वाचित विधायकों का यहां पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मिलना जारी है, जिसे शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है. वसुंधरा राजे खेमे के नेताओं ने दावा किया कि सोमवार से अब तक लगभग 60 विधायक उनके आवास पर उनसे मिल चुके हैं.
वसुंधरा राजे दौड़ में सबसे आगे
दो बार मुख्यमंत्री के रूप में राजस्थान की कमान संभाल चुकीं वसुंधरा राजे इस बार भी इस पद की दौड़ में सबसे आगे बताई जा रही हैं. राज्य में विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 199 सीटों में से 115 पर जीत हासिल की है. अरुण सिंह यहां पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के आवास पर पहुंचे. जब पत्रकारों ने उनसे मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, ‘केंद्रीय नेतृत्व जो फैसला लेगा, संसदीय बोर्ड जो फैसला लेगा, वही सबको मान्य होगा.’
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के आवास पर बैठक
अरुण सिंह बाद में पार्टी कार्यालय पहुंचे. सीपी जोशी भी पार्टी दफ्तर पहुंचे. पार्टी के कई नवनिर्वाचित विधायक पार्टी कार्यालय पहुंचे. वहीं, पार्टी के कुछ नवनिर्वाचित विधायकों द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से उनके आवास पर मुलाकात का दौर मंगलवार को भी जारी रहा. वसुंधरा राजे खेमे के सूत्रों ने दावा किया कि कल से लेकर अब तक लगभग 60 नवनिर्वाचित विधायक वसुंधरा राजे से उनके आवास पर मुलाकात कर चुके हैं.
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BJP आलाकमान नया मुख्यमंत्री चुनने की प्रक्रिया में
सूत्रों ने कहा, ‘कल से लेकर लगभग 60 नवनिर्वाचित विधायक वसुंधरा राजे से मिल चुके हैं. उनमें से कुछ ने आज मुलाकात की.’ पार्टी को राज्य में बहुमत मिलने के बाद भाजपा आलाकमान इस समय नया मुख्यमंत्री चुनने की प्रक्रिया में है. ऐसे समय में विधायकों की वसुंधरा राजे से इस मुलाकात को शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है. वसुंधरा राजे से मिलने वाले विधायकों में से अनेक ने इसे शिष्टाचार मुलाकात बताया, वहीं कुछ ने यह भी संदेश दिया कि वसुंधरा राजे को राज्य का नेतृत्व करना चाहिए.
वसुंधरा राजे को सभी विजयी विधायकों का समर्थन
नसीराबाद से भाजपा विधायक रामस्वरूप लांबा ने वसुंधरा राजे से मुलाकात के बाद सोमवार रात कहा था, ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वसुंधरा राजे के काम की वजह से ही राजस्थान में भाजपा की वापसी हुई है.’ जब उनसे पूछा गया कि क्या पार्टी विधायक मुख्यमंत्री पद के लिए राजे का समर्थन करते हैं, तो उन्होंने कहा, ‘वसुंधरा राजे को सभी विजयी विधायकों का समर्थन प्राप्त है.’
25 विधायकों ने पूर्व मुख्यमंत्री से मुलाकात की
सोमवार देर शाम तक करीब 25 विधायकों ने पूर्व मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी. इनमें कालीचरण सराफ, बाबू सिंह राठौड़, प्रेम चंद बैरवा, गोविंद रानीपुरिया, कालू लाल मीणा, केके विश्नोई, प्रताप सिंह सिंघवी, गोपीचंद मीणा, बहादुर सिंह कोली, शंकर सिंह रावत, मंजू बाघमार, विजय सिंह चौधरी, पुष्पेंद्र सिंह और शत्रुघ्न गौतम आदि शामिल हैं. वहीं मंगलवार को जोगाराम पटेल, अरुण अमरा राम, अर्जुन गर्ग, संजीव बेनीवाल, अजय सिंह किलक राजे के आवास पर पहुंचे. पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजे 2003 से 2008 और 2013 से 2018 तक दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं.
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वसुंधरा राजे को किनारे कर दिया गया
2018 में भाजपा की हार और पार्टी के भीतर बदले हालात के बाद ऐसा माना जाने लगा कि वसुंधरा राजे को किनारे कर दिया गया है. पहले के चुनावों में वह मुख्यमंत्री का चेहरा थीं लेकिन इस विधानसभा चुनाव में पार्टी ने ऐसी कोई घोषणा नहीं की तथा पार्टी के चुनाव चिन्ह ‘कमल’ को आगे कर चुनाव लड़ा. राज्य की कुल 200 में से 199 विधानसभा सीटों पर मतदान हुआ और मतों की गिनती रविवार को की गई. इसमें भाजपा को 115 सीटों के साथ बहुमत मिला जबकि कांग्रेस 69 सीटों पर सिमट गई.
पांच जनवरी को मतदान, वोटों की गिनती आठ जनवरी को
तीन सीटें भारत आदिवासी पार्टी, दो सीटें बहुजन समाज पार्टी (बसपा), एक-एक सीट राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) को मिली. आठ निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी जीत हासिल की है. करणपुर सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार के निधन के कारण चुनाव स्थगित कर दिया गया था. इसी सीट पर अब पांच जनवरी को मतदान होगा जबकि वोटों की गिनती आठ जनवरी को होगी.