Rajasthan News: फोन टैपिंग (Phone Tapping) मामले को लेकर राजस्थान (Rajasthan politics) में सड़क से सदन तक सियासी घमासान मचा हुआ है. इस पूरे मामले में राज्य की अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सरकार एक बार फिर से कटघरे में है. एक तरफ भाजपा (BJP) इस मामले में हमलावर है और गहलोत के इस्तीफे की मांग की है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी के अंदर से ही आवाजें उठनी शुरू हो गयी हैं.
कथित तौर पर इस पूरे सियासी घटनाक्रम में अंदरखाने सचिन पायलट का खेमा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मुखर हो रहा है. इस बार पायलट खेमा, राजीव गांधी का उदाहरण दे रहा है. इधर, सीएम गहलोत भी पूरी मजबूती से मैदान में डटे हैं, उन्होंने साफ कहा है कि अगर फोन टैपिंग के आरोप सही साबित होते हैं तो वो खुद से इस्तीफा दे देंगे, और राजनीति का भी त्याग कर देंगे. दरअसल, राजस्थान में आए इस सियासी भूचाल का कारण विधानसभा में गहोलोत सरकार का एक जवाब ही है.
भाजपा विधायक के एक सवाल के जवाब में गहलोत सरकार ने ही कबूल किया कि पिछले साल जुलाई में कुछ जनप्रतिनिधियों के फोन टेप किए गए थे. यह वही समय था जब सचिन पायलट खेमे की बगावत के कारण अशोक गहलोत की सरकार खतरे में थी. इसी दौरान एक केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेताओं के बीच फोन पर हुई बातचीत का ऑडियो भी वायरल हुआ था. इसी वायरल ऑडियो के बाद राजस्थान में राजनीतिक संकट पैदा हो गया था. भाजपा और बसपा ने भी गहलोत सरकार पर अवैध फोन टैपिंग का आरोप लगाया था.
तब सीएम गहलोत ने आरोप लगाया था कि भाजपा उनके विधायकों को खरीदने की कोशिश कर रही है. वहीं इस मुद्दे के उठने के बाद अगस्त, 2020 में विधानसभा सत्र में पूर्व शिक्षा मंत्री कालीचरण सराफ ने यह सवाल पूछा था, क्या यह सच है कि पिछले दिनों फोन टैपिंग के मामले सामने आए हैं, अगर हां तो किस कानून के तहत और किसके आदेश पर ये कार्रवाई की गई थी? पूर्ण विवरण सदन की मेज पर रखी जाए.
भाजपा नेता के सवाल का जवाब करीब आठ माह बाद अब राजस्थान विधानसभा की वेबसाइट पर प्रकाशित हुआ. इसके अनुसार,’लोक सुरक्षा या लोक व्यवस्था के हित में या किसी ऐसे अपराध को प्रोत्साहित होने से रोकने के लिए जिससे लोक सुरक्षा या लोक व्यवस्था को खतरा हो टेलीफोन अन्तावरोध (इंटरसेप्ट) भारतीय तार अधिनियम 1885 की धारा 5(2), भारतीय तार अधिनियम (संशोधित) नियम 2007 के नियम 419 ए एवं सूचना प्रोद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 69 में वर्णित प्रावधान के अनुसार सक्षम अधिकारी की स्वीकृति उपरान्त किया जाता है. जवाब के एक खंड के अनुसार, राजस्थान पुलिस द्वारा उपरोक्त प्रावधानों के अंतर्गत टेलीफोन अन्तावरोध (इंटरसेप्ट) सक्षम अधिकारी से अनुमति प्राप्त करने के उपरान्त ही किए गए है. मतलब ये कि फोन टैपिंग सभी कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखकर ही की गई है.
सरकार के इस जवाब पर भाजपा अशोक गहलोत सरकार पर हमलावर हो गयी. भाजपा सासंद राज्यवर्धन सिंह राठोड़ ने कहा कि पहले भी ये करती थी और आगे भी करेगी. वहीं प्रदेश भाजपा ने सीएम अशोक गहलोत से इस्तीफे की मांग की है. दिलचस्प बात यह है कि मुख्यमंत्री गहलोत इससे पहले राजस्थान विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों जगह फोन टैपिंग से इनकार कर चुके हैं. लेकिन अब अपने ही जवाब से फिर से परेशानी में है.
अब सभी की निगाहें सचिन पायलट पर हैं कि वह गहलोत के इस्तीफे की मांग करेंगे या नहीं. हालांकि, पायलट ने अभी चुप्पी साध रखी है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पायलट अभी कांग्रेस हाईकमान के निर्देश और पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के कारण मौन हैं. लेकिन माना जा रहा है कि इस मौके को पायलट छोड़ेंगे नहीं.
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Posted By: utpal Kant