राजस्थान में सियासी घमासान अब और भी तेज हो गया है, सूबे के मुख्यमंत्री अशोक अब विधान सभा सत्र बुलाकर बहुत परीक्षण करने पर अड़े हुए हैं, इसी के मध्यनजर आज अशोक गहलोत और कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई, बैठक में उन्होंने कहा कि कि हम जरूरत पड़ने पर राष्ट्रपति से भी मिलने जाएंगे. और यदि ज्यादा जरूरत पड़ी तो हम प्रधानमंत्री निवास स्थान के बाहर भी विरोध प्रदर्शन करेंगे.
इसी बीच कांग्रेस अपने लड़ाई को और धार देने के लिए प्रत्येक राज्य में राजभवन का घेराव करने वाली है. कांग्रेस संगठन के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है, उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के हत्या के खिलाफ कांग्रेस राजभवन का घेराव करेगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस कल से एक राष्ट्रव्यापी ऑनलाइन अभियान “लोकतंत्र के खिलाफ बोलो” की शुरुआत करने जा रही है.
वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत ने भाजपा पर जम कर निशाना साधा है, उन्होंने पार्टी के समर्थकों को एक रैली में संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को गिराने की साजिश कर रही है. उन्होंने आगे कहा कि हमने किसानों के लिए बहुत काम किया, इसके साथ गई हम कोरोना वायरस से प्रभावी तरीके से निपटा है और यही वजह है कि भाजपा हमारी चुनी हुई सरकार को गिराने का प्रयास कर रही है.
इधर कानून व्यवस्था के उल्लंघन को लेकर भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने सीएम अशोक गहलोत से इस्तीफा मांगा है. बाजपा नेता जीसी कटारिया ने राज्यपाल से मिलने के बाद मीडिया से बात चीत करते हुए कहा कि कानून के उल्लंघन को लेकर अशोक गहलोत से इस्तीफा मांगा है. राज्य के मुख्य मंत्री को इस तरह की भाषा का उपयोग किये जाने को लेकर अपना इस्तीफा दे देना चाहिए.
इधर राज्यवर्धन सिंह रठौर ने बी कांग्रेस पर हमला बोला है, उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने जो किया वह राज्य की राजनीति का सबसे निम्न बिंदु हैं. राज्य में अब शासन नहीं है. जिनके हाथों में शासन है वह पांच सितारा होटल में ठहरे हुए हैं और राज्य की जनता विभिन्न मुद्दों से त्रस्त हैं.
इस पूरे घटना क्रम पर राज्यपाल कालराज मिश्र ने भी नराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि आप और आपके ग्रह मंत्री अगर राज्य के राज्यपाल को सुरक्षा नहीं दे सकता तो राज्य की कानून व्यवस्था के बारे में क्या कहा जाए. संवैधानिक मर्यादा से ऊपर कोई नहीं होता है. किसी प्रकार के दबाव की राजनीति नहीं होनी चाहिए. आज तक हमने किसी मुख्यमंत्री का इस तरह का बयान नहीं सुना. यदि सरकार के पास बहुमत है तो विश्वास मत प्राप्त करने के लिए सत्र बुलाने क्या औचित्य है.
Posted by : sameer oraon