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Rajasthan Politics: राजस्थान में सियासी घमासान, एक बार फिर गहलोत और पायलट गुट आमने-सामने

इससे पहले भी राजस्थान में सियासी घमासान हुआ था. दिसंबर 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के तुरंत बाद मुख्यमंत्री बनने के लिए गहलोत और पायलट नेतृत्व को लेकर आमने-सामने आ गये थे. लेकिन पार्टी ने गहलोत को तीसरी बार मुख्यमंत्री बताया और पायलट उपमुख्यमंत्री बने.

अशोक गहलोत के कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की संभावनाओं के बीच एक बार फिर से राजस्थान में सियासी घमासान आरंभ हो गयी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट एक बार फिर से आमने-सामने आ गये हैं. बैठकों का दौर जारी है. एक ओर सचिन गुट के नेताओं का मानना है कि सचिन पायलट जल्द राजस्थान के मुख्यमंत्री बनेंगे, तो दूसरी ओर गहलोत गुट के नेताओं ने सचिन का विरोध करना शुरू कर दिया है. राजस्थान में विधायक दल की बैठक से पहले गहलोत गुट के 20 विधायक मंत्रियों ने बैठक की और आगे की रणनीति पर चर्चा की.

कुछ कांग्रेसी नेता सचिन पायलट को देखना चाहते हैं मुख्यमंत्री

लगभग चार साल के इंतजार के बाद सचिन पायलट के निर्वाचन क्षेत्र टोंक में कांग्रेसियों और अन्य लोगों में उम्मीद जगी है कि उन्हें पायलट को राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में देखने का लंबा इंतजार बहुत जल्द खत्म हो जाएगा. वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृहनगर जोधपुर में कई लोग चाहते हैं कि कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर पदोन्नत होने पर भी वह मुख्यमंत्री पद पर बने रहें. उन्हें विश्वास है कि गहलोत को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा, तो भी वह पार्टी अध्यक्ष के रूप में एक प्रमुख शक्ति केंद्र होंगे. राजधानी जयपुर से 100 किमी दूर टोंक में लोगों को उम्मीद है कि पायलट को मौका मिला तो इसका सबसे ज्यादा फायदा टोंक को मिलेगा, क्योंकि टोंक को विकसित करने के रोडमैप पर काम तेज गति से होगा.

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सचिन पायलट के विरोध में गहलोत के मंत्री

सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने की अटकलों के बीच राजस्थान के मंत्री सुभाष गर्ग ने जमकर विरोध किया. उन्होंने कहा, कांग्रेस आलाकमान जो भी फैसला करेगा उसे हर कोई स्वीकार करेगा, लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए कि कैसे 2 साल पहले राज्य सरकार को गिराने के लिए बीजेपी के साथ गठबंधन में साजिश रची गई थी. डॉ सुभाष गर्ग ने आगे कहा, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत को (अगले सीएम का फैसला करने में) लूप में लिया जाना चाहिए ताकि हम 2023 में फिर से सरकार बना सकें. यह खेदजनक है कि अनुशासन तोड़ने वाले कुछ लोगों (सचिन पायलट का जिक्र करते हुए) को इस मुख्यमंत्री पद के लिए माना जा रहा है. उन्होंने आगे कहा, आशा है कि पंजाब की तरह कुछ भी नहीं होगा. सचिन पायलट को सीएम बनाने की बात तभी होनी चाहिए जब सीएम को अगला पार्टी प्रमुख घोषित किया जाए.

मैं 40 सालों तक संवैधानिक पदों पर रहा, लेकिन अब नई पीढ़ी को मौका मिले : गहलोत

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहा कि वह 40 सालों तक संवैधानिक पदों पर रहे और चाहते हैं कि अब नयी पीढ़ी को मौका मिले. उन्होंने यह भी कहा कि अगला विधानसभा चुनाव ऐसे व्यक्ति के नेतृत्व में लड़ा जाना चाहिए जिससे राजस्थान में कांग्रेस सरकार फिर से सत्ता में आ सके. जैसलमेर में संवाददाताओं से बातचीत में गहलोत ने कहा, मैं पहले ही कह चुका हूं कि मेरे लिये कोई पद महत्वपूर्ण नहीं है. मैं 50 साल से राजनीति कर रहा हू और 40 साल से किसी न किसी संवैधानिक पद पर हूं. इससे ज्यादा व्यक्ति को क्या मिल सकता है या क्या चाहिए। मेरे दिमाग में बात यह है कि नयी पीढ़ी को मौका मिले और सब मिलकर देश को नेतृत्व प्रदान करे.

पहले भी गहलोत और सचिन गुट आ चुके हैं आमने-सामने

मालूम हो इससे पहले भी राजस्थान में सियासी घमासान हुआ था. दिसंबर 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के तुरंत बाद मुख्यमंत्री बनने के लिए गहलोत और पायलट नेतृत्व को लेकर आमने-सामने आ गये थे. लेकिन पार्टी ने गहलोत को तीसरी बार मुख्यमंत्री बताया और पायलट उपमुख्यमंत्री बने. उसके बाद जुलाई 2020 में सचिन पायलट ने पार्टी के 18 विधायकों के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी. एक महीने तक चला राजनीतिक संकट पार्टी नेता राहुल गांधी के हस्तक्षेप के बाद समाप्त हुआ था.

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