22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

द्वितीय विश्वयुद्ध की गवाही देता हरे पेड़ों से घिरा जमशेदपुर का लाल बंकर, ऐतिहासिक धरोहर के रूप में है सुरक्षित

जमशेदपुर में हरे पेड़ों से घिरा लाल बंकर है, जो द्वितीय विश्वयुद्ध का गवाह है. कंपनी ने इसे सील कर रखा है. ऐतिहासिक धरोहर के रूप में इसे सुरक्षित रखा गया है.

जमशेदपुर, निखिल सिन्हा: अगर आप गोलमुरी से टेल्को की ओर जाते हैं तो आपको इंडियन स्टील एंड वायर प्रोडक्ट (पूर्व में तार कंपनी) गेट के ठीक पहले एक लाल रंग का किलेनुमा भवन दिखाई देगा. हर दिन हजारों लोग उस किले जैसे भवन को देखते होंगे, लेकिन अब भी शहर के लोगों को इसके इतिहास के बारे में जानकारी नहीं है. अब भी कई लोग इसे अग्रेजों के जमाने का भवन समझ कर आगे बढ़ जाते हैं, लेकिन सच तो यह है कि आइएसडब्ल्यूपी कंपनी के बाहर बना ये कोई भवन नहीं, बल्कि यह बंकर है, जो द्वितीय विश्वयुद्ध के होने का सबूत है. अपने आप में कई कहानियों को समेटे बैठा है. वर्ष 1942 में जब द्वितीय विश्वयुद्ध हो रहा था तो भारत में औद्योगिक क्रांति की नींव रखने वाली टाटा ग्रुप की ओर से इस बंकर का निर्माण कराया गया था.

कंपनी ने बंकर को किया सील


ब्रिटिश सरकार और शहर के प्रबुद्ध लोगों की सुरक्षा और सहयोग के लिए आइएसडब्ल्यूपी कंपनी के द्वारा बंकर का निर्माण कराया गया था. इसे अब भी सुरक्षित रखा गया है. यह बंकर इतना मजबूत बनाया गया है कि इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी इस बंकर की न तो एक ईंट टूटी है और न ही रंग हल्का हुआ है. वर्तमान में आइएसडब्ल्यूपी कंपनी ने इस बंकर को पूरी तरह से सील कर दिया है. अब इस बंकर में किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है. बंकर सील करने के बाद कंपनी ने उस ऐतिहासिक धरोहर को सुरक्षित रखने के लिए चारों ओर से लोहे की ग्रिल लगा कर बंद कर दिया है.

40 लोगों को एक साथ सुरक्षित रख सकता है बंकर


आइएसडब्ल्यूपी कंपनी के बाहर बना यह बंकर एक साथ 40 लोगों को सुरक्षा प्रदान कर सकता है. इस बंकर में आराम से 40 लोग एक साथ प्रवेश कर बैठ सकते हैं. इस बंकर की दीवारें करीब 30 इंच मोटी हैं. 40 गुणा 40 के क्षेत्रफल में बना हुआ है. इसकी दीवार छह फीट ऊंची है, जबकि यह जमीन में तीन फीट नीचे तक है. बंकर में एक भी खिड़की नहीं है. इस लाल बंकर को हवाई हमले से पूरी तरह से सुरक्षित बनाया गया है. अगर कोई जहाज से देखने की कोशिश करेगा तो, इसे आसानी से देखा नहीं जा सकता है क्योंकि बंकर के चारों ओर लंबे-लंबे वृक्ष लगे हुए हैं. ऊपर से देखने पर वह जगह जंगल जैसा दिखाई देता है.

दुश्मन का हवाई जहाज दिखने के साथ बजता था सायरन


द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जब दुश्मन का जहाज शहर की ओर आता दिखाई देता था या प्रवेश कर जाता था तो कंपनी की ओर से सायरन बजाकर लोगों को सावधान कर दिया जाता था. विदेशी जहाज देखने के बाद लोग बंकर का उपयोग छुपने के लिए करते थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें