18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Sarhasa : बिहार के इस अनोखे मंदिर में ब्राह्मण नहीं होते पुरोहित, नाई कराते हैं पूजा

Sarhasa : सहरसा जंक्शन से पांच किलोमीटर दक्षिण व सोनवर्षा कचहरी स्टेशन से पांच किलोमीटर उत्तर दिवारी गांव में अवस्थित अति प्राचीन देवी मंदिर में ब्राह्मण पुरोहित नहीं होते हैं. यहां नाई समाज के लोग पूजा कराते हैं.

Sarhasa : कुमार आशीष. मधेपुरा. ऐसे अनोखे मंदिर की कहानी, जहां ब्राह्मण नहीं, बल्कि नाई समाज के लोग पूजा कराते हैं. यह मंदिर बिहार के सहरसा जिले में अवस्थित है. सहरसा जंक्शन से पांच किलोमीटर दक्षिण व सोनवर्षा कचहरी स्टेशन से पांच किलोमीटर उत्तर दिवारी गांव में देवी का यह मंदिर अतिप्राचीन है. मान्यता है कि यहां भगवती की पांचों बहन एक साथ विद्यमान है. बिषहरा के नाम से यह मंदिर विख्यात है. प्राचीन काल में यह मंदिर फूस की झोपड़ी में था. बाद में भक्तों ने ईंट व खपरैल का एक छोटा सा घर बना उसे मंदिर का रूप दिया. लोगों की श्रद्धा बढ़ती गई और अब यह अति विशाल और आकर्षक मंदिर का रूप ले चुका है. बिहार सरकार की जल-जीवन-हरियाली योजना के तहत मंदिर परिसर में एक बड़े और सुसज्जित तालाब का भी निर्माण कराया गया.

मंगलवार और शुक्रवार को जुटती है श्रद्धालुओं की भारी भीड़

स्थानीय सांसद दिनेश चंद्र यादव के प्रयास से मंदिर परिसर में विवाह भवन, यात्री शेड और बैठकी का निर्माण कराया गया है. यहां प्रत्येक मंगलवार और शुक्रवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है. देश के विभिन्न हिस्सों के अलावे यहां नेपाल और भूटान तक के श्रद्धालु आते हैं. मान्यता है कि देवी भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती है. सहरसा का यह दिवारी स्थान निश्चित रूप से आने वाले समय में भारत, नेपाल या भूटान ही नहीं, पूरी दुनियां के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करेगा.जरूरत है इसे पर्यटन के मानचित्र पर स्थापित करने की.सहरसा के लोगों ने जनसहयोग से इतनी बड़ी इबारत तो लिख दी है.अब सरकार की बारी है. वह इस मंदिर को कितनी ऊंचाई देती है.

एक साथ विराजमान हैं पांच देवियां

ग्रामीणों की मानें तो मां विषहरी भगवती स्थान का ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व है. इस मंदिर की परंपरा रही है कि यहां का पुजारी ब्राह्मण नहीं, नाई जाति के ही वंशज होता है. कहा जाता है कि विश्वभर में यह एक ऐसा मंदिर है, जहां एक साथ पांच देवियों की पूजा की जाती है. ये देवियां अलग-अलग नहीं, बल्कि पांच बहनें हैं. हर साल इस भगवती स्थान में भव्य मेले का भी आयोजन होता है. इस मंदिर में जो भी व्यक्ति हाजिरी लगा देता है, उसकी मन्नत जरूर पूरी होती है.

Also Read: Madhepura : बिहार के इस गांव में लावारिस पड़ी हैं नौवीं सदी की दर्जनों प्रतिमाएं

यहां के नीर का अपना महत्व

यहां का नीर पिलाने से नहीं चढ़ता सांप या बिच्छू का जहरइस भगवती मंदिर की एक मान्यता यह भी है कि अगर किसी को कोई सर्प या बिच्छू डस लेता है, तो मैया को चढ़ाया गया नीर (जल) पिलाने से विष नहीं चढ़ता है. पुजारी उपेंद्र ठाकुर बताते हैं कि यह मंदिर सैकड़ों वर्ष पहले से है. इस जगह को आदि शक्ति भी कहा जाता है. आदि शक्ति मां भगवती विशाला विष की मालिक हैं. वे बताते हैं कि यहां विराजमान देवी पांच बहन हैं. जिनके नाम दूतला देवी, मनसा देवी, मां भगवती, विषहरा और पांचवीं पायल देवी हैं. कहा जाता है कि दुनियाभर का यह पहला मंदिर है, जहां पांच बहनें एक साथ विराजमान हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें