कब- कब लिया गया ब्लॉक क्लोजर
- 10 फरवरी को एक दिन का ब्लॉक क्लोजर लिया गया. इस दिन शनिवार था. रविवार को छुट्टी थी.
- 17 फरवरी को एक दिन का ब्लॉक क्लोजर लिया गया है. शनिवार और रविवार दो दिन बंद था.
- 24 फरवरी को ब्लॉक क्लोजर लिया गया. शनिवार के कारण लगातार दो दिन प्लांट बंद था
- 29 फरवरी और 1 मार्च को ब्लॉक क्लोजर लिया गया था. दो मार्च को शनिवार था जबकि तीन मार्च को साप्ताहिक छुट्टी थी.
- 9 मार्च को ब्लॉक क्लोजर लिया गया था. शनिवार और रविवार को लगातार दो दिन तक कामकाज बंद था.
- होली की छुट्टी 25 मार्च सोमवार को दी गयी थी. होली के दूसरे दिन 26 मार्च मंगलवार को कंपनी ने एक दिन का ब्लॉक क्लोजर लिया था.
- 13 मई को ब्लॉक क्लोजर लिया गया था. सोमवार को ब्लॉक क्लोजर था और एक दिन पहले साप्ताहिक छुट्टी थी.
- 31 मई और 1 जून को ब्लॉक क्लोजर लिया गया था. फिर तीसरे दिन रविवार 2 जून को साप्ताहिक छुट्टी थी. लगातार तीन दिन तक प्लांट बंद था
- अब 17 जून को ब्लॉक क्लोजर लिया गया है.
ब्रजेश सिंह, जमशेदपुर
टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट में इस साल अब तक कंपनी 11 ब्लॉक क्लोजर ले चुकी है. बताया जाता है कि डिमांग के अनुपात में वाहनों का उत्पादन अधिक होने और उत्पादन लागत पर नियंत्रण लाने के लिए प्रबंधन ब्लॉक क्लोजर ले रहा है. लेकिन इसका प्रतिकूल असर कर्मचारियों के वेतन पर पड़ता है. क्योंकि क्लोजर के कारण 50 फीसदी वेतन ही कर्मचारियों को मिलता है. ऐसे में इस साल कर्मचारियों को करीब साढ़े पांच दिन के वेतन का नुकसान हो चुका है. इसी तरह अस्थायी और बाइसिक्स कर्मचारियों को भी इसका सीधा नुकसान होता है. आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र की छोटी कंपनियों की टाटा मोटर्स कंपनी के उत्पादन पर निर्भरता की वजह से करीब 1.50 लाख मजदूर और 1200 कंपनियों पर अप्रत्यक्ष रूप से ब्लॉक क्लोजर का असर पड़ रहा है. वहीं टाटा कमिंस, गोविंदपुर स्थित स्टील स्ट्रिप्स व्हील्स लिमिटेड पर भी सीधा इसका असर पड़ता है.
गर्मी के बीच ब्लॉक क्लोजर से मजदूर ज्यादा प्रभावित : एसिया
एसिया के इंदर अग्रवाल ने बताया कि गर्मी के कारण काम करना मुश्किल है. मजदूरों को भी परेशानी हो रही है. ऊपर से ब्लॉक क्लोजर का असर छोटे-बड़े हर उद्योग और उससे जुड़े मजदूरों पर पड़ेगा.
ब्लॉक क्लोजर का असर ज्यादा ज्यादा : इसरो
औद्योगिक संस्था इसरो के अध्यक्ष रुपेश कतरियार ने बताया कि ब्लॉक क्लोजर का असर आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में स्थित इकाइयों पर ज्यादा पड़ रहा है. जनवरी, फरवरी मार्च में सबसे ज्यादा काम का वक्त होता है. ऐसे वक्त में डिमांड में कमी आना चुनौती पूर्ण है. अब बारिश शुरू होगी तो कॉमर्शियल वाहनों की डिमांड घट जायेगी. ऐसे में उद्योगों और इनमें काम करने वालों से लिए यह चुनौतीपूर्ण स्थिति होगी.