तिलकागढ़ गांव लोगों के लिए आदर्श है, जब युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में आती जा रही है. यह चिंता का विषय है. केवल शहरी क्षेत्रों में ही नहीं, गांवों में भी इस समस्या ने पैर पसार लिए हैं. नशे में पड़े युवा न सिर्फ अपने भविष्य को बर्बाद कर रहे हैं, बल्कि समाज, राज्य और देश का भी भविष्य बर्बाद कर रहे हैं. ऐसे दौर में पूर्वी सिंहभूम जिले का छोटा-सा गांव तिलकागढ़ गांव किसी भी गांव के लिए प्रेरणा है.
तिलका मांझी के आदर्शों पर चलता है तिलकागढ़ गांव
पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर प्रखंड की पूर्वी हलुदबनी पंचायत में तिलकागढ़ गांव ने बाबा तिलका मांझी के आदर्शों को अपनाकर आधुनिकता और परंपरा के साथ संतुलन बना रखा है. यहां शराब और हंड़िया की खरीद-बिक्री पर पूर्ण पाबंदी है. गांव का हर व्यक्ति इस नियम से बंधा है और उसका अक्षरश: पालन भी करता है. अच्छी बात यह है कि इस नियम का पालन करवाने में युवाओं की भूमिका सबसे ज्यादा है.
70 के दशक में शुरू हुआ अभियान
1970 के दशक में पूर्वी सिंहभूम जिले के इस गांव में शराब और हड़िया पीने व बेचने पर पाबंदी का अभियान शुरू किया गया था. दो दशक बाद भी यह अभियान पहले की तरह ही जारी है. जब इस अभियान की शुरुआत की गयी थी, तब तिलकागढ़ गांव की आबादी करीब 250-300 थी. आज इस गांव की आबादी करीब तीन हजार तक पहुंच गयी है.
गांव में शत-प्रतिशत आबादी आदिवासी-मूलवासी समाज की
शत-प्रतिशत आदिवासी-मूलवासी समाज की आबादी वाले इस गांव में जुआ, शराब, मुर्गा पाड़ा (मुर्गे की लड़ाई) से लेकर हर गलत को प्रतिबंधित कर दिया गया है. गांव में नियम का अनुपालन हो रहा है या नहीं, इसकी देखरेख बाबा तिलका मांझी कमेटी व तिलकागढ़ ग्रामसभा के द्वारा किया जाता है.
बाबा तिलका मांझी की होती है पूजा
हर साल 11 फरवरी को भारत के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी बाबा तिलका मांझी की पूजा-अर्चना इस गांव में की जाती है. इस गांव के लोग भगवान की तरह उनकी पूजा करते हैं. इस वजह से गांव का नाम भी तिलकागढ़ रखा गया है. पूजा में पूरे गांव के लोग शामिल होते हैं. उन्होंने जो राह दिखाई थी, उसी पर चलने का संकल्प लेते हैं. नयी पीढ़ी को बाबा तिलका मांझी समेत अन्य महापुरुषों की जीवनी से अवगत कराया जाता है.
तीरंदाजी प्रतियोगिता का होता है आयोजन
बाबा तिलका मांझी की जयंती पर हर वर्ष तीरंदाजी प्रतियोगिता का आयोजन होता है. महिला व पुरुष दोनों के लिए. इसमें तिलकागढ़ ही नहीं, पड़ोसी गांवों के लोग भी शामिल होते हैं. तिलकागढ़ के लोगों ने अपने गांव को स्वच्छता, शिक्षा और सामाजिक समर्थन के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए प्रतिबद्ध किया है. एकता और सहयोग का माहौल है, जो गांव के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. स्थानीय संगठनों के माध्यम से कृषि, उद्योग और आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है.
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नशे की लत से लोगों को बाहर निकालना है मकसद
गांव के प्रबुद्ध बुद्धिजीवियों का मानना है कि नशा समाज को दीमक की तरह अंदर ही अंदर खत्म कर रहा है. जब तक लोगों को इस बात का अहसास होता है कि नशे की लत बहुत खराब है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. उनका मानना है कि समाज को नशे की लत से दूर रखने के लिए शिक्षा, संचार और सामाजिक संगठनों की सक्रिय भूमिका निभानी होगी. इसके लिए थोड़ी बहुत सख्ती जरूरी है. इसलिए जो गांव के नियम को नहीं मानते, तो उनके साथ गांव के लोग सख्ती से पेश आते हैं.