Aligarh News: बासमती चावल में प्रयुक्त होने वाले 10 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. यह प्रतिबंध अलीगढ़ समेत 30 जनपदों पर लागू रहेगा. कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद एवं निर्यात तथा विकास प्राधिकरण यानी APEDA की रिपार्ट के अनुसार विदेशों में निर्यात किये गये बासमती चावलों में कीटनाशकों के अवशेष पाये गये हैं, जिसको लेकर के यह कार्रवाई की गई है.
अलीगढ़ के जिला कृषि रक्षा अधिकारी अमित जायसवाल ने प्रभात खबर को बताया कि कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद एवं निर्यात तथा विकास प्राधिकरण, भारत सरकार की रिपार्ट के अनुसार विदेशों में निर्यात किये गये बासमती चावलों में कीटनाशकों के अवशेष पाये गये हैं. इन देशों द्वारा कीटनाशकों के अवशेष को लेकर कड़े मानक निर्धारित किये गये हैं, जिससे बासमती चावल के निर्यात में कमी आयी है. इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 30 सितम्बर 2022 से 2 माह हेतु लम्बे समय तक अपने प्रभाव छोड़ने वाले 10 कीटनाशकों का अलीगढ़ समेत 30 जनपदों में बासमती चावल में प्रयोग करने पर प्रतिबन्ध लगा दिया है.
कृषक एवं कितना से विक्रेताओं को कृषि विभाग ने सूचित किया है कि प्रतिबंधित 10 कीटनाशकों का प्रयोग न करें.
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ट्राइसाइक्लाजोल
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बुप्रोफेजिन
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एसीफेट
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क्लोरपारीफॉस
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मैथामिडोफॅास
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प्रोपिकोनाजोल
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थायोमैथाक्साम
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प्रोफेनोफॅास
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आइसोप्रोथियोलेन
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कार्बेन्डाजिम
कृषि विभाग ने प्रतिबंधित कीटनाशकों की जगह अन्य विकल्पों का प्रयोग करने की सलाह दी है…
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गर्दन तोड़ रोग नियंत्रण को ट्राइसाइक्लाजोल, कार्वेन्डाजिम और आइसोप्रोथियोलेन की जगह कैप्टान और टेबुकोनाजोल, कासुगामाइसिन और कॉपर आक्सीक्लेाराइड का प्रयोग
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बुप्रेाफेजिन और एसीफेट से किसान चैंपा को खत्म करने लिए प्रयोग करते है, इसकी जगह पाइमेट्रोजिन बीपीएमसी का प्रयोग
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दीमक को मारने के लिये क्लोरोपाइरीफास के स्थान पर वाईफेन्थ्रिन का प्रयोग
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दाने की चमक के लिए प्रोफेनोफास की जगह एजोक्सीस्ट्रोनविन का प्रयोग
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टेबुकोनाजोल का प्रयोग गिड़ार पर नियंत्रण के लिए होता है, इसके स्थान पर ईमानेक्टिस क्लोरोट्रेनिलिप्रोल का प्रयोग
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टिड्डा और तीतरी पर नियंत्रण के लिए थायोमैथाक्साम के स्थान पर इमिडाक्लोप्रिड का प्रयोग
रिपोर्ट : चमन शर्मा