7.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

लोकसभा चुनाव में राजनीतिक कौशल और ग्लैमर की परीक्षा

।।राजेन्द्र कुमार।। लखनऊः पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले चरण की जिन दस सीटों के लिए गुरूवार (10अप्रैल) को मतदान हो रहा है, उनमें पांच सीटें बसपा के कब्जे वाली हैं. जाहिर है इस इलाके में बसपा मजबूत जनाधार रखती हैं और अपने वर्चस्व को कायम रखने के लिए उसने कोई कोर-कसर बाकी भी नहीं रखी. […]

।।राजेन्द्र कुमार।।

लखनऊः पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले चरण की जिन दस सीटों के लिए गुरूवार (10अप्रैल) को मतदान हो रहा है, उनमें पांच सीटें बसपा के कब्जे वाली हैं. जाहिर है इस इलाके में बसपा मजबूत जनाधार रखती हैं और अपने वर्चस्व को कायम रखने के लिए उसने कोई कोर-कसर बाकी भी नहीं रखी. ये वही इलाके हैं जो पिछले दिनों मुजफ्फरनगर दंगे के बाद साम्प्रदायिक हिंसा की आग में झुलसे हैं. इस इलाके का चुनाव रालोद प्रमुख अजित सिंह की राजनीतिक जमीन और भाजपा की हवा तो तय करेगा ही फिल्मी सितारों के ग्लैमर की जमीनी हकीकत भी बताएगा.

दरअसल यहां की तीन सीटों पर तीन सीटों पर राज बब्बर, जया प्रदा और नगमा जैसे फिल्मी सितारे भी अपनी किस्मत आजमाने मैदान में उतरे हैं. चौधरी अजित सिंह और इन तीन फिल्मी सितारों के अलावा सपा सरकार के कई मंत्रियों का भविष्य भी दांव पर है. इनमें कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर खुद प्रत्याशी हैं तो इलाके में दो मंत्री राजेंद्र सिंह राणा, चितरंजन स्वरूप का भी विधानसभा क्षेत्र आता है. भाजपा के विधानसभा में नेता हुकुम सिंह तथा मुजफ्फरनगर दंगे के आरोपी इन्हीं सीटों से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.

कल होने वाले मतदान से ही यह तस्वीर भी साफ होगी कि दंगों के बाद देर से जागी बसपा के पास अब कितनी जमीन बची है. राजनीतिक विश्लेषण में लगे विद्वानों का मत है कि इस पहले चरण में 1,69,88,237 मतदाता यहां की दस सीटों पर चुनाव लड़ रहे 154 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला जहां करेंगे. वही यह भी तय करेंगे कि मुजफ्फरनगर दंगे के बाद अलग-अलग हुए जाट और मुसलमान मतदाताओं ने सपा और बीजेपी को कितनी तवज्जो दी और दंगे को लेकर हुए जातीय ‘विभाजन’ में जाट, गुर्जर, ठाकुर बीजेपी के साथ खड़े हुए भी या नहीं.

हालांकि पहले चरण की दस सीटों पर हुए प्रचार के दौरान सभी दलों ने मुजफ्फरनगर के दंगे और जाट आरक्षण को प्रमुख मुददा बनाया. आरक्षण को जरिया बनाकर ही रालोद और कांग्रेस जाटों को अपने पक्ष में लाने की कोशिश की. वही मुजफ्फरनगर के दंगे को लेकर भाजपा ने हिन्दुओं की हमदर्द बनकर तथा सपा ने दंगा पीडि़तों को दी गई आर्थिक मदद को लेकर मुसलमानों को लुभाने का प्रयास किया. खुद मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री दंगे के बाद यहां प्रचार करने पहुंचे. पर अब भी समाजवादी पार्टी का विरोध कम नहीं हुआ है. सपा के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश की इन दस सीटों का यह इलाका सबसे ज्यादा मुश्किल भरा है. अगर उसका मुसलमानों की हमदर्द और दंगा पीड़ितों को दी गई मदद का फॉर्मूला कारगर रहा तो ही उसे यहां कोई सीट मिल सकती है. इस वक्त यहां सपा के पास एक ही सीट बुलंदशहर है. यहां से सांसद कमलेश वाल्मीकी को सपा ने उस वक्त पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के कहने पर टिकट दिया था.

इस बार यह सीट भी खतरे में है. सपा की मुश्किल का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस क्षेत्र में वह पांच सीटों पर दो बार प्रत्याशी बदल चुकी है. वही बीएसपी ने इस इलाके से दंगों के बाद दूरी बनाए रखी और उसके बड़े नेता इस इलाके में बहुत देर से सक्रिय हुए इसलिए उसे भी अपनी जमीनी सच्चाई परखने का मौका इस चरण में मिलेगा. बसपा ने ज्यादातर सीटों पर अपने पुराने प्रत्याशियों को रिपीट किया है, उसका फायदा भी पार्टी को मिलेगा. वहीं बीजेपी इस इलाके में हिन्दुओं और विधायक संगीत सोम और सुरेश राणा के साथ हुए अत्याचार को भी चुनावी मुद्दा बनाएगी.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिन दस सीटों पर गुरूवार को मतदान होना है, वहां सीटवार भले ही जातीय गणित अलग-अलग हो पर यहां मुसलमान मतदाता ही निर्णायक भूमिका में रहेंगे. माना जा रहा है कि जिस दल के साथ वह एक मुश्त वोट करेंगे, वही सबसे ज्यादा सफलता हासिल करेगा. 2009 के चुनाव में मुसलमान बसपा के साथ रहे थे. सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ में मुस्लिम मतदाताओं की तादाद 25-38 फीसदी, गाजियाबाद, बागपत और बुलंदशहर में 20 से 25 फीसदी है. दलित मतदाताओं की तादाद भी 20-22 फीसदी है. जाट अलग-अलग सीटों पर अलग-अलग संख्या के अनुसार हैं. बिजनौर, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, बुलंदशहर, अलीगढ़, कैराना और गाजियाबाद में जाट वोटरों की संख्या 10-25 फीसदी तक है. वहीं सहारनपुर, शामली, नोएडा में गुर्जर और सहारनपुर, नोएडा में ठाकुर जाति भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराती है. जाति के इन्हीं आंकड़ों और मोदी लहर को लेकर भाजपा यहां सबसे अधिक सीटें पाने का दावा कर रही है.

पहले चरण की सीटों की स्थिति और पार्टी के उम्मीदवार

सहारनपुर : पिछली बार यह सीट बीएसपी के पास थी और सपा प्रत्याशी रशीद मसूद दूसरे स्थान पर रहे. इस बार सपा ने मसूद के बेटे शाजान मसूद को मैदान में उतारा है. बसपा ने वर्तमान सांसद जगदीश राणा को फिर मैदान में उतारा है. तो कांग्रेस ने इमरान मसूद और भाजपा ने राघव लखनपाल पर दांव लगाया है.

कैराना : भाजपा विधानमंडल दल के नेता हुकुम सिंह इस सीट पर दोहरी चुनौतियों से घिरे हैं. मोदी लहर और दंगों के बाद उपजे माहौल में जीत की संभावना तलाश रहे हुकुम को सपा के नाहिद, बसपा के कंवर हसन और रालोद के करतार सिंह भड़ाना से जूझना पड़ रहा है. नाहिद यहां के बड़े नेता माने जाने वाले मुनव्वर हसन के बेटे हैं.

बिजनौर : पिछले चुनाव में सपा यहां चौथे नंबर पर थी. इस बार सपा ने यहां से बसपा के पूर्व विधायक शहनवाज राणा को चुनाव मैदान में उतारा है. यहां भाजपा ने दंगे में आरोपी रहे विधायक भारतेन्दु को उम्मीदवार बनाया है. पिछली बार यह सीट आरएलडी के पास थी इस बार यहां से जयाप्रदा लड़ रही हैं. बसपा से पूर्व विधायक मलूक नागर मैदान में हैं. यहां के एक तिहाई से अधिक मुस्लिम वोटों पर सभी की निगाहें हैं.

गाजियाबाद : गाजियाबाद सीट पिछली बार बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह के पास थी. सपा ने यहां पिछली बार प्रत्याशी ही नहीं उतारा था. इस बार यहां से कांग्रेस के राजबब्बर, बीजेपी के जनरल वीके सिंह, बसपा के मुकुल उपाध्याय मैदान में हैं. सपा के जाट बिरादरी के सुधन रावत और आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार शाजिया इल्मी हैं.

गौतमबुद्धनगर : कांग्रेस और बसपा को चुनाव अभियान के दौरान ही इस सीट पर करारे झटके लग चुके हैं. यहां कांग्रेस से कांग्रेस प्रत्याशी रमेश चन्द्र तोमर भाजपा में शामिल हो चुके हैं तो बसपा के मौजूदा सांसद सुरेन्द्र नागर ने सपा का दामन थाम लिया है. इस बार सपा ने नरेंद्र सिंह भाटी को मैदान में उतारा है. यहां पिछली बार सपा तीसरे नंबर पर थी. भाजपा के महेश चंद्र शर्मा मैदान में हैं. जबकि बसपा ने सतीश अवाना पर दांव लगाया है.

मेरठ : यह सीट पिछली बार बीजेपी के पास थी. कांग्रेस ने यहां से फिल्म अभिनेत्री नगमा को खड़ा किया है. सपा के मौजूदा प्रत्याशी शाहिद मंजूर पिछली बार भी चुनाव मैदान में थे.

बसपा ने शाहिद अखलाक पर दांव लगाया है. भाजपा ने मौजूदा सांसद राजेन्द्र अग्रवाल को ही मैदान में उतारा है. मुजफ्फरनगर के दंगे का यहां असर है.

मुजफ्फरनगर : यह सीट पिछली बार बीएसपी के पास थी और सपा तीसरे नंबर पर रही. यहां सीधी लड़ाई मुस्लिम और जाट वोटों के लिए होगी. सपा ने गुर्जर बिरादरी के चौधरी वीरेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है. वहीं भाजपा ने संजीव बालियान और बसपा ने मौजूदा सांसद कादिर राणा को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने पंकज अग्रवाल को खड़ा किया है. बीते साल हुए दंगे की वजह से यहां मतदान पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हावी रहने की संभावनाएं जताई जा रही हैं.

बागपत : बागपत सीट पिछली बार आरएलडी के प्रमुख अजित सिंह के पास थी. सपा यहां चौथे नंबर पर रही थी. इस बार सपा के गुलाम मोहम्मद मैदान में हैं. भाजपा ने महाराष्ट्र के पुलिस कमिश्नर रहे सत्यपाल सिंह को तथा बसपा ने प्रशांत चौधरी को मैदान में उतारा है. ये सभी प्रत्याशी अजित सिंह को कड़ी चुनौती दे रहे हैं.

बुलंदशहर : बुलंदशहर इकलौती सीट है जो सपा के पास थी. कल्याण सिंह के कहने पर भाजपा ने यहां भोला सिंह को ‍मैदान में उतारा है. सपा ने दो बार टिकट बदलने के बाद मौजूदा सांसद कमलेश वाल्मीकी, बसपा ने प्रदी‍प जाटव तथा रालोद ने अंजु मुस्कान को उम्मीदवार बनाया है. मुस्लिम वोट ही यहां पर निर्णायक बताए जा रहे हैं.

अलीगढ़ : बसपा ने इस सीट से मौजूदा सांसद राजकुमारी चौहान का टिकट काट कर उनके पुत्र अरविंद चौहान को प्रत्याशी बनाया है. भाजपा ने कल्याण सिंह के नजदीकी सतीश गौतम तथा सपा ने जफर आलम को मैदान में उतारा है. जफर अलीगढ़ से ही विधायक भी हैं. कांग्रेस से पूर्व सांसद बिजेन्द्र सिंह मैदान में है. कहा जा रहा है कि यहां मुस्लिम वोट जिसके पक्ष में लाभबंद होंगे, वही भाजपा से मुकाबला करेगा.

इन सीटों पर हो रहा है मतदान

सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, गौतमबुद्धनगर तथा अलीगढ़.

कुल मतदाता : 1,69,88,237

कुल प्रत्याशी : 157

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें