बदायूं बलात्कार-हत्याकांड: पोस्टमार्टम रिपोर्ट, सीबीआइ जांच के आदेश की प्रति तलब

लखनऊ : इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बदायूं बलात्कार-हत्याकांड की सीबीआइ जांच के निर्देश दिये जाने के आग्रह वाली जनहित याचिका पर वारदात की शिकार किशोरियों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट एवं इस मामले में दर्ज रिपोर्ट आगामी 9 जून को तलब की है. साथ ही अदालत ने मामले की सीबीआइ जांच की सिफारिश सम्बन्धी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 3, 2014 12:09 PM

लखनऊ : इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बदायूं बलात्कार-हत्याकांड की सीबीआइ जांच के निर्देश दिये जाने के आग्रह वाली जनहित याचिका पर वारदात की शिकार किशोरियों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट एवं इस मामले में दर्ज रिपोर्ट आगामी 9 जून को तलब की है. साथ ही अदालत ने मामले की सीबीआइ जांच की सिफारिश सम्बन्धी राज्य सरकार के आदेश की प्रति भी पेश करने को कहा है.

न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा और न्यायमूर्ति शशिकांत की ग्रीष्म अवकाशकालीन खण्डपीठ ने आज यह आदेश वी द पीपुल नामक संस्था की जनहित याचिका पर दिया. याचिका में बदायूं के कटरा सादात में पिछले मंगलवार को दो लडकियों की सामूहिक बलात्कार के बाद फांसी पर चढ़ाकर हत्या किये जाने की सीबीआइ से जांच कराने के आदेश दिए जाने, आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई और पीडित परिजनों को सुरक्षा मुहैया कराये जाने के निर्देश दिये जाने का आग्रह किया गया है.

अदालत ने आज मामले की शुरुआती सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता के वकील को वारदात की शिकार लड़कियों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और सम्बन्धित प्राथमिकी की प्रति 9 जून को पेश करने के निर्देश दिये हैं. साथ ही राज्य सरकार से सीबीआइ जांच की सिफारिश सम्बन्धी आदेश भी तलब किया है.

याचिका दायर करने वाली संस्था के महासचिव प्रिंस लेनिन का तर्क था कि देश-विदेश तक चर्चित हुए बदायूं बलात्कार-हत्याकांड की पूरी तरह से निष्पक्ष जांच करायी जानी चाहिये. याची वकील का यह भी आरोप था कि राज्य सरकार इस मामले में गम्भीरता से कार्रवाई नहीं कर रही है.

लेनिन के मुताबिक राज्य सरकार की तरफ से इस कांड की सीबीआइ जांच की सिफारिश किये जाने सम्बन्धी कोई लिखित आदेश पेश नहीं किया गया. उधर, राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता बुलबुल गोदियाल ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार इस मामले में गम्भीरता से कार्रवाई कर रही है और सूबे के मुख्य सचिव समेत कई आला अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की गयी है.

उन्होंने अदालत को यह भी जानकारी दी कि राज्य सरकार ने पहले ही बदायूं कांड की सीबीआइ से जांच कराये जाने की सिफारिश कर दी है, ऐसे में यह याचिका महत्वहीन हो गयी है.

*बदायूं बलात्कार-हत्याकांड: परिजनों से लिखित में ली सीबीआइ जांच की मांग

प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ए. एल. बनर्जी ने आज कहा कि उन्होंने बदायूं बलात्कार-हत्याकांड की शिकार हुई लड़कियों के परिजनों से सीबीआइ जांच की मांग लिखित रुप में ले ली है और आज ही यह जांच सम्बन्धी औपचारिक पत्र केंद्र को भेज दिया जाएगा.

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर यहां पहुंचे बनर्जी ने कहा कि उन्होंने मामले की सीबीआइ से जांच कराने की मांग करने वाले परिवार से उनकी मांग लिखित में ले ली है. अब आज ही राज्य सरकार की तरफ से केंद्र को सीबीआइ जांच के लिये औपचारिक पत्र भेज दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि पीडित परिवार की सुरक्षा के लिये सशस्त्र गार्ड लगाए जाएंगे और इच्छुक होने पर उन्हें शस्त्र लाइसेंस जारी किये जाएंगे.

जांच के बारे में पूछे जाने पर डीजीपी ने कहा कि तफ्तीश इस सिलसिले में दर्ज रिपोर्ट के आधार पर ही चल रही है. उन्होंने कहा कि वारदात की शिकार लड़कियों के चाचा बाबूराम ने आरोपियों को लडकियों के साथ देखा था जिस पर उसकी उनके साथ झडप हुई थी. आरोपियों ने हथियार दिखाकर उसे आतंकित किया था तब वह डर कर चला गया था.

बनर्जी ने बताया कि फिर परिवार के लोग एकत्र होकर पुलिस चौकी गये. वहां सिपाही सर्वेश यादव से बात हुई तो उसने कहा कि दोनों लड़कियों के शव बाग में लटके हुए हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि सामूहिक बलात्कार में पुलिस शामिल नहीं है. उन्होंने बताया कि इस मामले में अब तक पकड से बाहर दो अज्ञात लोगों के स्केच बाबूराम की मदद से बनवाये जाएंगे.

राज्य पुलिस के प्रमुख ने कहा कि महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिये डीजीपी मुख्यालय पर तीन सदस्यीय प्रकोष्ठ का गठन किया जाएगा. अपर पुलिस महानिदेशक रैंक की सुतापा सान्याल, और पुलिस महानिरीक्षक रैंक की तिलोतमा वर्मा और तनुजा श्रीवास्तव इसकी सदस्य होंगी. यह कमेटी ऐसे मामलों पर गौर करेगी और अंकुश लगाने के लिये कार्रवाई करेगी.

गौरतलब है कि उसहैत थाना क्षेत्र के कटरा सादतगंज क्षेत्र में गत 27 मई की रात शौच के लिए गयी 14 तथा 15 वर्षीय चचेरी बहनों के शव अगली सुबह एक बाग में पेड पर फांसी से लटके पाये गये थे. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनकी सामूहिक बलात्कार के बाद फांसी पर चढाकर हत्या किया जाने की पुष्टि हुई थी. इस मामले में दो पुलिसकर्मियों समेत सात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. उनमें से पांच को गिरफ्तार किया जा चुका है. दोनों आरोपी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पीडित परिजनों को पूरी सुरक्षा तथा पांच-पांच लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया था, जिसे परिजनों ने ठुकरा दिया था. मुख्यमंत्री ने मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी है.

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