बेहमई कांडः जिस घटना ने फूलन देवी को बनाया बैंडिट क्वीन, उसमें 39 साल बाद आज फैसला
कानपुरः 80 के दशक में हुए बेहमई कांड में आज निचली अदालत का फैसला आ सकता है. इस कांड की मुख्य आरोपी फूलन देवी की 2001 में हत्या कर दी गई थी.वारदात के दो साल बाद तक पुलिस फूलन को गिरफ्तार नहीं कर सकी थी. 39 साल पहले 14 फरवरी 1981 को डकैत फूलन देवी […]
कानपुरः 80 के दशक में हुए बेहमई कांड में आज निचली अदालत का फैसला आ सकता है. इस कांड की मुख्य आरोपी फूलन देवी की 2001 में हत्या कर दी गई थी.वारदात के दो साल बाद तक पुलिस फूलन को गिरफ्तार नहीं कर सकी थी. 39 साल पहले 14 फरवरी 1981 को डकैत फूलन देवी व उसके गिरोह ने कानपुर देहात के बेहमई गांव में धावा बोलकर लाइन में खड़ा कर 20 लोगों को एक साथ गोली मार कर हत्या कर दी थी.
गोली लगने से कुछ लोग घायल भी हुए थे. यह घटना जमीन विवाद के बाद अंजाम दिया गया था. यह ऐसा मामला है, जिसमें 35 आरोपियों में से सिर्फ 5 पर केस शुरू हुआ. इनमें श्याम बाबू, भीखा, विश्वनाथ, पोशा और राम सिंह शामिल थे. राम सिंह की 13 फरवरी 2019 को जेल में मौत हो गई। पोशा जेल में बंद है. तीन आरोपी जमानत पर हैं. इस केस में सिर्फ 6 गवाह बनाए गए थे. अब दो जिंदा बचे हैं.
इस हत्याकांड में मारे गए लोगों की विधवाएं न्याय की बाट जोहती रहीं. इनमें से आज महज 8 ही जीवित रह गई हैं. ये भी किसी तरह जानवरों को पालकर अपना जीवन-यापन कर रही हैं. उनसे विधवा पेंशन का वादा किया गया था लेकिन वह वादा ही रहा।
1983 में सरेंडर, बनीं सांसद, फिर हत्या
1983 में फूलन ने कई शर्तों के साथ मध्य प्रदेश में आत्मसमर्पण किया था. 1993 में फूलन जेल से बाहर आईं. वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर मिर्जापुर लोकसभा सीट से दो बार सांसद भी बनीं. 2001 में शेर सिंह राणा ने फूलन देवी की दिल्ली में उनके घर के पास हत्या कर दी थी. 2011 में स्पेशल जज (डकैत प्रभावित क्षेत्र) में राम सिंह, भीखा, पोसा, विश्वनाथ उर्फ पुतानी और श्यामबाबू के खिलाफ आरोप तय होने के बाद ट्रायल शुरू हुआ.राम सिंह की जेल में मौत हो गई. फिलहाल पोसा ही जेल में है.