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सपा में हो रहा अमर पर नफा-नुकसान का मंथन

!!राजेन्द्र कुमार!! लखनऊ:समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव की अमर सिंह से इस माह हुई दो मुलाकातों को लेकर पार्टी में अमर सिंह को लेकर नफा नुकसान का आंकलन होने लगा है. चर्चाएं अब इस बात को लेकर हैं कि अमर सिंह के सपा में आने या ना आने पर क्या फर्क पड़ेगा. पार्टी […]

!!राजेन्द्र कुमार!!

लखनऊ:समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव की अमर सिंह से इस माह हुई दो मुलाकातों को लेकर पार्टी में अमर सिंह को लेकर नफा नुकसान का आंकलन होने लगा है. चर्चाएं अब इस बात को लेकर हैं कि अमर सिंह के सपा में आने या ना आने पर क्या फर्क पड़ेगा. पार्टी में हर कोई अपने अपने तरीके से नफा-नुकसान का विश्लेषण कर रहा है.

कोई अमर के आने से पार्टी को खासी मुश्किलों का सामना करने की बात कह रहा है तो कोई मान रहा है कि इससे दूरगामी लाभ होगा, पार्टी को पुनर्जीवन मिलेगा. यह बात दीगर है कि इस मसले पर पार्टी नेता खुलकर सामने आने से हिचक रहे हैं. उन्हें डर है कि ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है, ऐसे में नाराजगी की गाज उन पर भी गिर सकती है. इसलिए गुपचुप तरीके से सपा प्रमुख तक तमाम नेता अपनी राय पहुंचा रहे हैं. बहरहाल अमर पार्टी में आए अथवा नहीं, सपाई दोनों ही स्थितियों के लिए खुद को तैयार बता रहे हैं. सपा के एक युवा पदाधिकारी के मुताबिक अमर सिंह की सपा में आने से पार्टी में चमक दमक तो बढ़ जाएगी पर रामगोपाल यादव और आजम खान सरीखे बड़े नेताओं को अमर सिंह अखरेंगे.

इन नेताओं की नाराजगी का असर पार्टी के जनाधार पर भी पड़ सकता है, क्योंकि अमर सिंह फिर सपा को कारपोरेट पार्टी बनाने में प्रयास करेंगे. जैसा की उन्होंने सपा में रहते हुए किया था और आंदोलन की पार्टी रही सपा की जो प्रासंगिकता थी, तब वह विपरीत दिशा में मुड़ गयी. तो गांव किसान के बीच सपा की जमीन कमजोर हुई. ऐसे आंकलन वाले सपाई अमर सिंह के सपा में आने के खिलाफ हैं. वही पार्टी के एक धड़ा यह मान रहा है कि देर सवेर अमर सिंह सपा में आ जाएंगे पर उनका पहले जैसा प्रभुत्व पार्टी में अब नहीं रहेगा. इसी लिए अमर सिंह रालोद का सपा से गठबंधन कराकर का प्रयास करते हुए अपनी जोड़तोड़ की राजनीति को जरूरी साबित करने में जुटे हैं. और नेताजी (मुलायम सिंह) से लेकर अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव से बार-बार मिल रहे हैं.

ऐसी मुलाकातों पर निगाह जाने रहने वाले तमाम सपा नेताओं का मत है कि वर्तमान राजनीति में जोड़तोड़ में मा‍हिर नेता भी जरूरी है. अमर सिंह के सपा से जाने के बाद पार्टी यह पक्ष कमजोर हुआ और सपा के अन्य दलों के साथ रिश्ते खराब हुए. जो वाम नेता यूपी में मुलायम सिंह के साथ राजनीतिक मंत्रणा करते थे, वह मायावती के साथ भी डिनर करने लगे. यह तर्क देते हुए सपा में अमर सिंह की वापसी के पक्षधर एक नेता कहते हैं कि अमर सिंह ने पार्टी के लिए जिनती भागदौड़ की, जितना परिश्रम किया, वह शायद ही कोई कर पाए. स्वास्थ्य ठीक न होने के बावजूद उन्होंने पार्टी को बढ़ाने के लिए रात दिन एक किया था.

ऐसे में यदि वह सपा में लौटते हैं तो दोनों का ही भला होगा. फिलहाल सपा नेताओं के ऐसे तर्क और आंकलन के बीच सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव अभी अमर सिंह के पार्टी में आने को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं. वही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस मामले में मीडिया से कुछ भी कहने को तैयार नहीं है. शिवपाल सिंह यादव जरूर यह कहते हैं कि अभी तक तो अमर सिंह ने सपा में आने का कोई प्रस्ताव नहीं किया है तो हम अभी क्यों कुछ बोले.

शिवपाल यह भी नहीं बताते कि अमर सिंह से उनकी हुई मुलाकात में क्या बात हुई. मुलायम, अखिलेश और शिवपाल सिंह का अमर सिंह को लेकर कोई स्पष्ट बात ना करना यह दर्शाता है कि पार्टी के यह प्रमुख नेता भी अमर सिंह को लेकर नफा नुकसान का मंथन कर रहे हैं और जल्दी ही इसका परिणाम पार्टी नेताओं के सामने आएगा.

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