यूपी:750 से अधिक गांव बाढ की चपेट में
लखनऊ: नेपाल से छोडे गये पानी से उत्तर प्रदेश के कई जिले में तबाही का मंजर अभी बरकरार है. 750 से ज्यादा गांवों की करीब आठ लाख की आबादी अब भी बाढ से जूझ रही है. प्रदेश के राहत आयुक्त कार्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के बहराइच, गोंडा, बाराबंकी, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर तथा गोरखपुर […]
लखनऊ: नेपाल से छोडे गये पानी से उत्तर प्रदेश के कई जिले में तबाही का मंजर अभी बरकरार है. 750 से ज्यादा गांवों की करीब आठ लाख की आबादी अब भी बाढ से जूझ रही है. प्रदेश के राहत आयुक्त कार्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के बहराइच, गोंडा, बाराबंकी, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर तथा गोरखपुर जिलों में कुल 757 गांवों की आठ लाख एक हजार 106 की आबादी बाढ से प्रभावित हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, बहराइच में 145 गांव अब भी बाढ की चपेट में है. हालांकि, घाघरा का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे पहुंच गया है. लेकिन बाढ और कटान की वजह से जिले के 36 गांवों में 8457 मकान तथा 6118 झोपडियां क्षतिग्रस्त हो गयी हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, बलरामपुर में 236 गांवों के दो लाख 87 हजार 589 लोग बाढ से प्रभावित हैं. जिले में राहत और बचाव कार्य के लिये पीएसी की 16 तथा एनडीआरएफ की चार टीमें मुस्तैदी से काम कर रही हैं. इसके अलावा 32 चिकित्सीय दल तथा नौ सचल दल प्रभावित क्षेत्रों में बीमारियां फैलने से रोकने के लिये जीवन रक्षक दवाएं वितरित कर रहे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, सिद्धार्थनगर में नौगढ, बांसी, इटवा, शोहरतगढ तथा डुमरियागंज के कुल 214 गांव अब भी बाढ से प्रभावित हैं. इनमें से 81 गांव तो सैलाब से घिरे हुए हैं. राहत कार्यों में एनडीआरएफ तथा बाढ पीएसी की मदद ली जा रही है. साथ ही छह मोटरबोट तथा 69 नावें भी लगायी गयी हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, श्रावस्ती में भी 144 गांव की 94 हजार 259 की आबादी अब भी बाढ से प्रभावित है. जिले में तीन प्लाटून बाढ पीएसी राहत एवं बचाव कार्य कर रहे हैं. जिले में 17 बाढ चौकियां, पांच चिकित्सा दल तथा दो सचल चिकित्सा दल गठित किये गये हैं. इस बीच, केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक राप्ती नदी बर्डघाट (गोरखपुर) में और बूढी राप्ती ककरही (सिद्धार्थनगर) में खतरे के निशान से उपर बह रही है. राप्ती का जलस्तर बांसी (सिद्धार्थनगर) तथा रिगौली (गोरखपुर) में लाल चिह्न के करीब है. घाघरा नदी एल्गिनब्रिज (बाराबंकी), अयोध्या (फैजाबाद) तथा तुर्तीपार (बलिया) में खतरे के निशान के नजदीक बह रही है.