सरकार का इकबाल बुलंद करने में जुटे अखिलेश यादव
लखनऊ से राजेन्द्र कुमार लखनऊ: दुनिया में कहीं भी भाई, चाचा और ताऊ के भरोसे खेती नहीं होगी. खेती के लिए खुद लगना पड़ता है, इसी प्रकार सरकारें भी इकबाल से चलती है, इकबाल खत्म तो सरकार खत्म. ख्याति प्राप्त संपादक प्रभाष जोशी के इस कथन का मर्म यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अब समझ […]
लखनऊ से राजेन्द्र कुमार
लखनऊ: दुनिया में कहीं भी भाई, चाचा और ताऊ के भरोसे खेती नहीं होगी. खेती के लिए खुद लगना पड़ता है, इसी प्रकार सरकारें भी इकबाल से चलती है, इकबाल खत्म तो सरकार खत्म. ख्याति प्राप्त संपादक प्रभाष जोशी के इस कथन का मर्म यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अब समझ गए हैं. जिसके चलते उन्होंने अपनी सरकार के इकबाल को कायम करने के लिए यूपी के हर मंड़ल का दौरा कर जनता से सीधे संवाद करेंगे. जिलों में सरकारी योजना की हकीकत से रूबरू होंगे. अगले माह सूबे के सभी मंड़लों का दौरा कर कुछ जिलों में औचक्क निरीक्षण कर मुख्यमंत्री यह सिलसिला शुरू करेंगे. इस दौरान सरकारी योजनाओं के निर्माण व उनके संचालन में खामियां मिलने और जनता द्वारा पर किसी अधिकारी की लापरवाही को लेकर शिकायत करने पर मुख्यमंत्री मौके पर ही अफसरों को दण्डित करेंगे.
मुख्यमंत्री के इस ऐलान से सूबे की नौकरशाही में हड़कंप मच गया है. अखिलेश सरकार के दो वर्ष से अधिक के शासनकाल में पहली बार सूबे के नौकरशाह दहशत में है. उन्हें लगता है कि अब मुख्यमंत्री किसी भी तरह का तर्क नहीं सुनेंगे और नौकरशाही की सुस्ती के चलते समय से पूरी नहीं हुई सरकारी योजना का वाजिब कारण जानना चाहेंगे. मुख्यमंत्री के स्तर से होने वाली ऐसी पूछतांछ से बचने के लिए अब जिलों में तैनात नौकरशाह अ़धूरे पड़े सरकारी कार्यो की सूची तैयार कर उन्हें पूरा कराने में जुट गए हैं. शहरों की सफाई से लेकर अस्पतालों की पुताई तक करायी जाने लगी है. नाली पुलिया और अधूरे पड़े सड़क निर्माण को जिलाधिकारी अपनी देखरेख में पूरा कराने में जुटे हैं. पुलिस भी हरकत में आकर थाने पहुंचे लोगों की शिकायतें सुन उन पर कार्रवाई करने में जुट गई है.
बीते सवा दो सालों से सूबे की नौकरशाही में इस तरह की सक्रियता नहीं थी. जिसका खामियाजा अखिलेश सरकार को बीते लोकसभा चुनावों में भुगतना पड़ा. सपा नेताओं के अनुसार नौकरशाही की निष्क्रियता के चलते ही बीते लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी को सिर्फ पांच सीटें ही यूपी में मिली क्योंकि अधिकारियों ने सरकार की योजनाओं को जनता तक ठीक से नहीं पहुंचाया. लोकसभा चुनावों में हुई हार के कारणों को जानने के लिए हुई पार्टी की समीक्षा बैठक का यह निष्कर्ष रहा था. जिसके आधार पर मुख्यमंत्री ने सरकारी इकबाल को बुलंद करने में असफल रहे सूबे के मुख्य सचिव जावेद उस्मानी सहित पुलिस और प्रशासन के कई अफसरों को लोकसभा चुनावों के बाद हटाया था और फिर सरकारी कामकाज की जमीनी हकीकत जानने के लिए दो जिलों के दौरे पर अचानक पहुंचे गए थे.
जहां उन्होंने हर सरकारी योजना में बदहाली ही पायी तो जिलाधिकारी अधिकारी सहित तमाम अफसरों को निलंबित कर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को अधूरे सरकारी काम पूरा करने के लिए तीन महीने का समय दिया.
यह अवधि इस माह पूरी हो रही है. जिसका संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने दस सितंबर में जिलों का दौरा कर सरकारी योजनाओं का हालचाल जानने की घोषणा की है. जिलों में जाकर सरकारी योजनाओं का औचक निरीक्षण कर सरकारी इकबाल बुलंद करने का यह एक दशक पूराना अजमाया हुआ तरीका है. यूपी के मुख्यमंत्री रहते हुए कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह यादव और मायावती प्रदेश के औचक निरीक्षण पर निकलते थे और अधिकारियों पर उनका हमेशा दबाव रहता था. अब अखिलेश भी अपनी सरकार के इकबाल को बुलंद करने के लिए इस तरीके को अपनाएंगे.
वास्तव में अखिलेश यादव के सामने अब कई बड़ी चुनौतियां हैं. इनमें सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश की कानून व्यवस्था को दुरुस्त करना और बिजली, पानी और सड़क का स्वास्थ्य ठीक करना है. यह काम लखनऊ में बैठक कर नहीं हो सकता, इसके लिए जिलों में हो रहे कार्य की प्रगति को जानकर बेलगाम हो चुकी नौकरशाही को हरकत में लाना होगा. यह तभी होगा जब मुख्यमंत्री जिलों का दौरा कर लापरवाही बरतने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करें. अगले माह मुख्यमंत्री यह सिलसिला शुरू करेंगे, ताकि उनकी सरकार का इकबाल बहाल हो.