उत्तर प्रदेश: बिन बिजली बेहाल हुई जिंदगी
-लखनऊ से राजेन्द्र कुमार तपते सूरज के कहर से झुलस रहे उत्तर प्रदेश की जनता बिजली संकट से जूझ रही है. सूबे के अधिकांश जिलों में अघोषित बिजली कटौती के चलते जनता बेहाल है. ग्रामीण क्षेत्रों में महज चार घटे और शहरी क्षेत्रों में आठ से नौ घंटे ही जनता को बिजली मिल पा रही […]
-लखनऊ से राजेन्द्र कुमार
तपते सूरज के कहर से झुलस रहे उत्तर प्रदेश की जनता बिजली संकट से जूझ रही है. सूबे के अधिकांश जिलों में अघोषित बिजली कटौती के चलते जनता बेहाल है. ग्रामीण क्षेत्रों में महज चार घटे और शहरी क्षेत्रों में आठ से नौ घंटे ही जनता को बिजली मिल पा रही है. जिसके चलते सूबे में खेती किसानी से लेकर उद्योग-धंधे तक प्रभावित हो रहे हैं. पेयजल का संकट भी शहर के लोगों को झेलना पड़ रहा है. स्कूल, कालेज और अस्पताल भी बिजली कटौती की मार से बचे नहीं है. पढ़ाई से लेकर इलाज तक बिजली की कमी से जूझ रहा है.
ऐसे में बिजली संकट से जूझ रही जनता की बेहाली को कम करने के लिए सरकार ने उद्योगों को मुहैया करायी जा रही बिजली में कटौती की है. जिससे लेकर सूबे के उद्योगपतियों को 200 करोड़ से अधिक का नुकसान गुरूवार को उठाना पड़ा. शुक्रवार को भी इतना ही नुकसान उनको उठाना पड़ेगा क्योंकि उद्योगों की बिजली कटौती को सरकार ने खत्म नहीं किया है. इसके बाद भी सरकार जनता की मांग के अनुरूप उन्हें बिजली मुहैया नहीं कर सकी.
जिसके चलते अब बिजली संकट से परेशान सूबे की जनता धरना प्रदर्शन कर अघोषित बिजली कटौती खत्म करने की मांग करने लगी है. कुछ जिलों में प्रदर्शन कर रहे लोगों की गुरूवार और शुक्रवार को पुलिस के साथ झड़प भी हुई. तो मुख्यमंत्री कार्यालय से पुलिस प्रशासन को बिजली संकट को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों से नम्रता से पेश आने को कहा गया. सूत्रों का कहना है कि बिजली संकट को लेकर जनता की नाराजगी का संज्ञान मुख्यमंत्री ने लिया है. जिसके तहत उन्होंने केंद्र की सरकार से यूपी के बिजली संकट को खत्म करने के लिए अतिरिक्त बिजली मुहैया कराने का आग्रह किया है. इसके अलावा मुख्यमंत्री ने सूबे की जनता से बिजली बचाने की अपील करने का निर्णय लिया है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ओर से जारी होने वाली अपील में लोगों से हीटर का उपयोग न करने, एसी और कूलर जैसे उपकरणों का उपयोग कम करने पर व कमरे में किसी के न होने पर बिजली पंखा बंद रखने की बात कही जाएगी.
बीते तीन वर्षो में यह पहला मौका होगा जब सूबे के मुख्यमंत्री की तरफ से इस तरह की एक अपील की जाएगी. वैसे तो हर साल गरमी में बिजली की कमी से यूपी की जनता का जूझना कोई नई बात नहीं है. बिजली संकट से पार पाने की खातिर तमाम सरकारों ने सैंकड़ों वायदे किए पर उनपर अमल नहीं किया. जिसके चलते हर वर्ष जनता को बिजली संकट से जूझना पड़ रहा है. इस बार भी ये सिलसिला जारी है क्योंकि यूपी को 14,500 मेगावाट बिजली की जरूरत है और इसके सापेक्ष 10,500 मेगावाट बिजली ही उपलब्ध हो पा रही है. मांग और उपलब्धता के इस अंतर की वजह से पूरे उत्तर प्रदेश में भारी बिजली संकट आन खड़ा हुआ है. बिजली के इस संकट को लेकर अखिलेश सरकार अपनी असफलता को छिपाने के लिए केंद्र सरकार को निशाना बना रही है, तो भाजपा और कांग्रेस के नेता भी अघोषित बिजली कटौती को मुददा बनाकर अखिलेश सरकार को घेरने में जुट गए हैं. भाजपा नेता तो जिलों में बिजली कटौती के विरोध में धरना प्रदर्शन करने लगे हैं.
भाजपा का यह रवैया देख सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहते हैं कि केंद्र सरकार ने यूपी को 6082 मेगावाट बिजली का कोटा आबंटित किया है, लेकिन कोटे के अनुसार यूपी को बिजली मुहैया नहीं करायी जा रही है. यदि केंद्र सरकार निर्धारित कोटे की बिजली राज्य को उपलब्ध करा दे तो यूपी में बिजली संकट को खत्म किया जा सकता है. फिलहाल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव केंद्र सरकार पर ऐसा कोई आरोप नहीं लगाते. वह कहते है कि बिजली व्यवस्था में सुधार के लिए युद्धस्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. इसके अलावा प्रदेश सरकार सोलर एनर्जी के नए प्रोजेक्ट यूपी में लाने का प्रयास कर रही है. मुख्यमंत्री का दावा है कि वर्ष 2016 तक यूपी के गांवों को 16 घंटे और शहरों को 20 से 24 घंटे बिजली की आपूर्ति की जाएगी. इसके लिए तमाम योजनाओं पर उनकी सरकार काम कर रही है.
यूपी में बिजली संकट से जूझ रहे लोगों को लेकर पूछे गए सवालों पर मुख्यमंत्री कहते हैं कि वर्तमान में कोयले और पानी की कमी के चलते बिजली संकट खड़ा हुआ है. जिसकी जानकारी जनता को देते हुए जनता की जाएगी कि अधिक बिजली की खपत करने वाले उपकरणों का प्रयोग कम करें और इस्तेमाल न किए जाने की स्थिति में उपकरणों को बंद रखा जाए. इसके अलावा दफ्तर और घर के कमरों में किसी के ना होने पर पंखे आदि बंद रखे जाए. मुख्यमंत्री और उनके सचिवालय के अफसरों को लगता है कि बिजली की बचत करने संबंधी ऐसी अपील का असर होगा और राज्य में अघोषित बिजली कटौती की जरूरत नहीं पड़ेगी.
उद्योगों को 200 करोड़ की चपत
प्रदेश में बिजली की कमी की उद्योगों पर भी पड़ने लगी है. गुरूवार को दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली की कटौती हुई. औद्योगिक संगठन एसोचैम के मुताबिक पहले ही दिन उद्योगों को 200 करोड़ की चपत लगी है. रविवार तक यही हाल रहा तो एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होना तय है. उद्योग संगठनों का आरोप है कि पावर कॉरपोरेशन ने बिना बताए ही बिजली कटौती की. इससे उद्यमियों को लेबर और कच्चे माल का भी नुकसान हुआ.