मोदी लहर के सहारे लड़ेगी भाजपा उपचुनाव, मुलायम सिंह की छोड़ी गई सीट पर भी चुनाव 13 को

लखनऊ:यूपी में 11 विधानसभा और एक लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव होने वाले हैं. भाजपा एक बार फिर से मोदी लहर के सहारे चुनाव में उतरने के लिए तैयार है. इन उपचुनावों में मोदी लहर को जोरदार और कमजोर बताए जाने पर जोर रहेगा. वहीं,समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस की नजर भाजपा के इस सबसे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 10, 2014 1:43 PM

लखनऊ:यूपी में 11 विधानसभा और एक लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव होने वाले हैं. भाजपा एक बार फिर से मोदी लहर के सहारे चुनाव में उतरने के लिए तैयार है. इन उपचुनावों में मोदी लहर को जोरदार और कमजोर बताए जाने पर जोर रहेगा.

वहीं,समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस की नजर भाजपा के इस सबसे बडे हथियार की धार कुंद करके एक तीर से दो निशाने लगाने पर हैं.
लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित जीत और बिहार तथा उत्तराखण्ड में हाल में हुए उपचुनाव में अनुकूल परिणाम नहीं आने के बाद अब भाजपा का पूरा ध्यान उत्तर प्रदेश के उपचुनावों पर टिक गया है और वह लोकसभा चुनाव में परवान चढ चुके मोदी फैक्टर को मुख्य केंद्र बनाकर बेहद आक्रामक अंदाज में प्रचार कर रही है.
दूसरी ओर, लोकसभा चुनाव में करारा झटका पायी सत्तारुढ सपा तथा कांग्रेस मोदी फैक्टर को एक छलावा मात्र साबित करने की कोशिश करते हुए इसके लिये मोदी सरकार के 100 दिन के कार्यकाल को नाकामियों से भरा बताकर मोदी लहर को भ्रमजाल करार दे रही हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक अपने विधायकों के सांसद बनने के कारण रिक्त हुई सीटों को दोबारा हासिल करने के लिये बढ-चढकर चुनाव प्रचार कर रही भाजपा के लिये मोदी फैक्टर उसके मनोबल का आधार है. हालांकि यह उसके लिये शेर की सवारी करने जैसा है, क्योंकि मोदी लहर के जादू को भुनाना उसके लिये चुनौती भी है.
उपचुनाव प्रचार में खासकर भाजपा और सपा के बीच जबर्दस्त होड हो रही है. भाजपा ने प्रचार के मैदान में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के अलावा राजनाथ सिंह समेत छह केंद्रीय मंत्रियों की अगुवाई में 39 स्टार प्रचारकों की फौज उतारी है, वहीं सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने उपचुनाव प्रचार की कमान खुद सम्भाली है. किसी उपचुनाव में सम्भवत: ऐसा पहली बार हुआ है.
भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक का कहना है कि हर मोर्चे पर विफल साबित हुई प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार अब भाजपा की घेराबंदी की वजह से बैकफुट पर है. पाठक ने आरोप लगाया कि सरकार ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से बिजली कटौती करके जनता को परेशान कर रखा है और जब भाजपा ने आक्रामक होकर घेराबंदी की तो उसने केंद्र पर आरोप लगाने शुरु कर दिये.
उन्होंने कहा उपचुनाव के मुद्दे पर हम जनता से कहेंगे कि यह सरकार अलोकप्रिय हो चुकी है, दिन प्रतिदिन उसका ग्राफ गिर रहा है, और स्वाभाविक है कि जो उसके खिलाफ संघर्ष करेगा, जनता उसके साथ होगी.
पाठक ने कहा कि उपचुनावों में भाजपा को अपने प्रति बेहतर नतीजे मिलने की उम्मीद है. विधानसभा में हमारी संख्या ज्यादा नहीं है लेकिन फिर भी हम इन उपचुनाव को फतह के जरिये मनोबल की लडाई जीतना चाहते हैं.
सपा के प्रान्तीय प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी के मुताबिक उनकी पार्टी मोदी सरकार की वादा खिलाफी और नाकामियों को जनता के बीच शिद्दत से रखने की कोशिश कर रही है. भाजपा प्रदेश में साम्प्रदायिक माहौल बनाकर जीत हासिल करना चाहती है लेकिन सपा उसके मंसूबे को पूरा नहीं होने देगी.
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में भाजपा ने भ्रमजाल में जनता को उलझाकर सत्ता हथिया ली लेकिन अब गुबार छंट चुका है और उपचुनाव में हालात बदले हुए नजर आएंगे.
मालूम हो कि वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश की ठाकुरद्वारा, सहारनपुर, चरखारी, बिजनौर, हमीरपुर, लखनउ पूर्वी, सिराथू, खीरी, बलहा और नोएडा समेत 11 विधानसभा सीटों पर चुने गये भाजपा के विधायक अब सांसद बन चुके हैं.
लिहाजा इन सीटों पर 13 सितम्बर को उपचुनाव होना है. इसी तिथि को भाजपा के सहयोगी अपना दल की विधायक अनुप्रिया पटेल के सांसद बनने के कारण रिक्त हुई रोहनिया सीट के लिये भी उपचुनाव होगा.
साथ ही सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव द्वारा छोडी गयी मैनपुरी लोकसभा सीट के लिये भी 13 सितम्बर को ही चुनाव होने हैं. पिछले करीब 13 साल से उत्तर प्रदेश की सत्ता से दूर भाजपा लोकसभा चुनाव में अपने बूते सूबे की 71 सीटें जीतने के बाद बेहद उत्साहित है और वह बिजली संकट तथा कानून-व्यवस्था के मुद्दे को लेकर सरकार पर हमले करके अपने लिये नई सम्भावनाएं तलाश रही है.
यही वजह है कि इस मामलों को लेकर उसके नेता तथा कार्यकर्ता सडकों पर उतरे, और अब वे इन्हें मुख्य चुनावी मुद्दे के तौर पर जनता के सामने उठा रहे हैं. प्रदेश विधानसभा में मुख्य विपक्षी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के लोकसभा चुनाव में सफाये के बाद भाजपा को लग रहा है कि बैठे-बैठाये हाथ लगे बिजली संकट और कानून-व्यवस्था के मुद्दों पर सरकार को घेरकर वह विधानसभा क्षेत्रों में भी जनता का विश्वास जीत उसकी नजर में सबसे बडी हमदर्द की भूमिका में आ सकती है.
इन उपचुनाव में भाजपा की तरफ से मुस्लिम तुष्टीकरण और परोक्ष रुप से तथाकथित लव जिहाद के मुद्दों की गूंज भी सुनायी दे रही है. लोकसभा चुनाव में 80 में से सिर्फ अपने कुनबे की पांच सीटें ही बचा सकी सपा आगामी उपचुनावों को प्रतिष्ठा बचाने के आखिरी मौके के तौर पर देख रही है.
शायद यही वजह है कि पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने खुद उपचुनाव प्रचार की कमान सम्भाली है और उनकी अगुवाई में सपा भाजपा पर हमलावर है. सपा , भाजपा के तुरुप यानी प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार पर ही लगातार निशाना साध रही है.
कांग्रेस ने भी पूर्व मंत्रियों सलमान खुर्शीद, बेनी प्रसाद वर्मा, श्रीप्रकाश जायसवाल समेत 36 नेताओं को स्टार प्रचारक घोषित किया है. हालांकि प्रचार के मामले में उसके नेता भाजपा और सपा से पीछे नजर आ रहे हैं. प्रदेश की एक और अहम राजनीतिक ताकत बसपा ने इन उपचुनाव से किनारा कर लिया है.

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